بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
2796245إلا الذين تابوا من بعد ذلك وأصلحوا فإن الله غفور رحيم
सिवाय उन लोगों के जो इसके पश्चात तौबा कर लें और सुधार कर लें। तो निश्चय ही अल्लाह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
2797246والذين يرمون أزواجهم ولم يكن لهم شهداء إلا أنفسهم فشهادة أحدهم أربع شهادات بالله إنه لمن الصادقين
औऱ जो लोग अपनी पत्नियों पर दोषारोपण करें औऱ उनके पास स्वयं के सिवा गवाह मौजूद न हों, तो उनमें से एक (अर्थात पति) चार बार अल्लाह की क़सम खाकर यह गवाही दे कि वह बिलकुल सच्चा है
2798247والخامسة أن لعنت الله عليه إن كان من الكاذبين
और पाँचवी बार यह गवाही दे कि यदि वह झूठा हो तो उसपर अल्लाह की फिटकार हो
2799248ويدرأ عنها العذاب أن تشهد أربع شهادات بالله إنه لمن الكاذبين
पत्ऩी से भी सज़ा को यह बात टाल सकती है कि वह चार बार अल्लाह की क़सम खाकर गवाही दे कि वह बिलकुल झूठा है
2800249والخامسة أن غضب الله عليها إن كان من الصادقين
और पाँचवी बार यह कहें कि उसपर (उस स्त्री पर) अल्लाह का प्रकोप हो, यदि वह सच्चा हो
28012410ولولا فضل الله عليكم ورحمته وأن الله تواب حكيم
यदि तुम अल्लाह की उदार कृपा और उसकी दया न होती (तो तुम संकट में पड़े जाते), और यह कि अल्लाह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला,अत्यन्त तत्वदर्शी है
28022411إن الذين جاءوا بالإفك عصبة منكم لا تحسبوه شرا لكم بل هو خير لكم لكل امرئ منهم ما اكتسب من الإثم والذي تولى كبره منهم له عذاب عظيم
जो लोग तोहमत घड़ लाए है वे तुम्हारे ही भीतर की एक टोली है। तुम उसे अपने लिए बुरा मत समझो, बल्कि वह भी तुम्हारे लिए अच्छा ही है। उनमें से प्रत्येक व्यक्ति के लिए उतना ही हिस्सा है जितना गुनाह उसने कमाया, और उनमें से जिस व्यक्ति ने उसकी ज़िम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा अपने सिर लिया उसके लिए बड़ा यातना है
28032412لولا إذ سمعتموه ظن المؤمنون والمؤمنات بأنفسهم خيرا وقالوا هذا إفك مبين
ऐसा क्यों न हुआ कि जब तुम लोगों ने उसे सुना था, तब मोमिन पुरुष और मोमिन स्त्रियाँ अपने आपसे अच्छा गुमान करते और कहते कि "यह तो खुली तोहमत है?"
28042413لولا جاءوا عليه بأربعة شهداء فإذ لم يأتوا بالشهداء فأولئك عند الله هم الكاذبون
आख़िर वे इसपर चार गवाह क्यों न लाए? अब जबकि वे गवाह नहीं लाए, तो अल्लाह की स्पष्ट में वही झूठे है
28052414ولولا فضل الله عليكم ورحمته في الدنيا والآخرة لمسكم في ما أفضتم فيه عذاب عظيم
यदि तुमपर दुनिया और आख़िरत में अल्लाह की उदार कृपा और उसकी दयालुता न होती तो जिस बात में तुम पड़ गए उसके कारण तुम्हें एक बड़ी यातना आ लेती


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