بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
27412368أفلم يدبروا القول أم جاءهم ما لم يأت آباءهم الأولين
उनके पास कोई ऐसी नयी चीज़ आयी जो उनके अगले बाप दादाओं के पास नहीं आयी थी
27422369أم لم يعرفوا رسولهم فهم له منكرون
या उन लोगों ने अपने रसूल ही को नहीं पहचाना तो इस वजह से इन्कार कर बैठे
27432370أم يقولون به جنة بل جاءهم بالحق وأكثرهم للحق كارهون
या कहते हैं कि इसको जुनून हो गया है (हरगिज़ उसे जुनून नहीं) बल्कि वह तो उनके पास हक़ बात लेकर आया है और उनमें के अक्सर हक़ बात से नफरत रखते हैं
27442371ولو اتبع الحق أهواءهم لفسدت السماوات والأرض ومن فيهن بل أتيناهم بذكرهم فهم عن ذكرهم معرضون
और अगर कहीं हक़ उनकी नफसियानी ख्वाहिश की पैरवी करता है तो सारे आसमान व ज़मीन और जो लोग उनमें हैं (सबके सब) बरबाद हो जाते बल्कि हम तो उन्हीं के तज़किरे (जिबरील के वास्ते से) उनके पास लेकर आए तो यह लोग अपने ही तज़किरे से मुँह मोड़तें हैं
27452372أم تسألهم خرجا فخراج ربك خير وهو خير الرازقين
(ऐ रसूल) क्या तुम उनसे (अपनी रिसालत की) कुछ उजरत माँगतें हों तो तुम्हारे परवरदिगार की उजरत उससे कही बेहतर है और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देने वाला है
27462373وإنك لتدعوهم إلى صراط مستقيم
और तुम तो यक़ीनन उनको सीधी राह की तरफ बुलाते हो
27472374وإن الذين لا يؤمنون بالآخرة عن الصراط لناكبون
और इसमें शक नहीं कि जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते वह सीधी राह से हटे हुए हैं
27482375ولو رحمناهم وكشفنا ما بهم من ضر للجوا في طغيانهم يعمهون
और अगर हम उन पर तरस खायें और जो तकलीफें उनको (कुफ्र की वजह से) पहुँच रही हैं उन को दफा कर दें तो यक़ीनन ये लोग (और भी) अपनी सरकशी पर अड़ जाए और भटकते फिरें
27492376ولقد أخذناهم بالعذاب فما استكانوا لربهم وما يتضرعون
और हमने उनको अज़ाब में गिरफ्तार किया तो भी वे लोग न तो अपने परवरदिगार के सामने झुके और गिड़गिड़ाएँ
27502377حتى إذا فتحنا عليهم بابا ذا عذاب شديد إذا هم فيه مبلسون
यहाँ तक कि जब हमने उनके सामने एक सख्त अज़ाब का दरवाज़ा खोल दिया तो उस वक्त फ़ौरन ये लोग बेआस होकर बैठ रहे


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