نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
274 | 2 | 267 | يا أيها الذين آمنوا أنفقوا من طيبات ما كسبتم ومما أخرجنا لكم من الأرض ولا تيمموا الخبيث منه تنفقون ولستم بآخذيه إلا أن تغمضوا فيه واعلموا أن الله غني حميد |
| | | ऐ ईमान वालों अपनी पाक कमाई और उन चीज़ों में से जो हमने तुम्हारे लिए ज़मीन से पैदा की हैं (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो और बुरे माल को (ख़ुदा की राह में) देने का क़सद भी न करो हालॉकि अगर ऐसा माल कोई तुमको देना चाहे तो तुम अपनी ख़ुशी से उसके लेने वाले नहीं हो मगर ये कि उस (के लेने) में (अमदन) आंख चुराओ और जाने रहो कि ख़ुदा बेशक बेनियाज़ (और) सज़ावारे हम्द है |
|
275 | 2 | 268 | الشيطان يعدكم الفقر ويأمركم بالفحشاء والله يعدكم مغفرة منه وفضلا والله واسع عليم |
| | | शैतान तमुको तंगदस्ती से डराता है और बुरी बात (बुख्ल) का तुमको हुक्म करता है और ख़ुदा तुमसे अपनी बख्शिश और फ़ज़ल (व करम) का वायदा करता है और ख़ुदा बड़ी गुन्जाइश वाला और सब बातों का जानने वाला है |
|
276 | 2 | 269 | يؤتي الحكمة من يشاء ومن يؤت الحكمة فقد أوتي خيرا كثيرا وما يذكر إلا أولو الألباب |
| | | वह जिसको चाहता है हिकमत अता फ़रमाता है और जिसको (ख़ुदा की तरफ) से हिकमत अता की गई तो इसमें शक नहीं कि उसे ख़ूबियों से बड़ी दौलत हाथ लगी और अक्लमन्दों के सिवा कोई नसीहत मानता ही नहीं |
|
277 | 2 | 270 | وما أنفقتم من نفقة أو نذرتم من نذر فإن الله يعلمه وما للظالمين من أنصار |
| | | और तुम जो कुछ भी ख़र्च करो या कोई मन्नत मानो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है और (ये भी याद रहे) कि ज़ालिमों का (जो) ख़ुदा का हक़ मार कर औरों की नज़्र करते हैं (क़यामत में) कोई मददगार न होगा |
|
278 | 2 | 271 | إن تبدوا الصدقات فنعما هي وإن تخفوها وتؤتوها الفقراء فهو خير لكم ويكفر عنكم من سيئاتكم والله بما تعملون خبير |
| | | अगर ख़ैरात को ज़ाहिर में दो तो यह (ज़ाहिर करके देना) भी अच्छा है और अगर उसको छिपाओ और हाजतमन्दों को दो तो ये छिपा कर देना तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है और ऐसे देने को ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों का कफ्फ़ारा कर देगा और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है |
|
279 | 2 | 272 | ليس عليك هداهم ولكن الله يهدي من يشاء وما تنفقوا من خير فلأنفسكم وما تنفقون إلا ابتغاء وجه الله وما تنفقوا من خير يوف إليكم وأنتم لا تظلمون |
| | | ऐ रसूल उनका मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाना तुम्हारा काम नहीं (तुम्हारा काम सिर्फ रास्ता दिखाना है) मगर हॉ ख़ुदा जिसको चाहे मंज़िले मक़सूद तक पहुंचा दे और (लोगों) तुम जो कुछ नेक काम में ख़र्च करोगे तो अपने लिए और तुम ख़ुदा की ख़ुशनूदी के सिवा और काम में ख़र्च करते ही नहीं हो (और जो कुछ तुम नेक काम में ख़र्च करोगे) (क़यामत में) तुमको भरपूर वापस मिलेगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा |
|
280 | 2 | 273 | للفقراء الذين أحصروا في سبيل الله لا يستطيعون ضربا في الأرض يحسبهم الجاهل أغنياء من التعفف تعرفهم بسيماهم لا يسألون الناس إلحافا وما تنفقوا من خير فإن الله به عليم |
| | | (यह खैरात) ख़ास उन हाजतमन्दों के लिए है जो ख़ुदा की राह में घिर गये हो (और) रूए ज़मीन पर (जाना चाहें तो) चल नहीं सकते नावाक़िफ़ उनको सवाल न करने की वजह से अमीर समझते हैं (लेकिन) तू (ऐ मुख़ातिब अगर उनको देखे) तो उनकी सूरत से ताड़ जाये (कि ये मोहताज हैं अगरचे) लोगों से चिमट के सवाल नहीं करते और जो कुछ भी तुम नेक काम में ख़र्च करते हो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है |
|
281 | 2 | 274 | الذين ينفقون أموالهم بالليل والنهار سرا وعلانية فلهم أجرهم عند ربهم ولا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | जो लोग रात को या दिन को छिपा कर या दिखा कर (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करते हैं तो उनके लिए उनका अज्र व सवाब उनके परवरदिगार के पास है और (क़यामत में) न उन पर किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न वह आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे |
|
282 | 2 | 275 | الذين يأكلون الربا لا يقومون إلا كما يقوم الذي يتخبطه الشيطان من المس ذلك بأنهم قالوا إنما البيع مثل الربا وأحل الله البيع وحرم الربا فمن جاءه موعظة من ربه فانتهى فله ما سلف وأمره إلى الله ومن عاد فأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | जो लोग सूद खाते हैं वह (क़यामत में) खड़े न हो सकेंगे मगर उस शख्स की तरह खड़े होंगे जिस को शैतान ने लिपट कर मख़बूतुल हवास (पागल) बना दिया है ये इस वजह से कि वह उसके क़ायल हो गए कि जैसा बिक्री का मामला वैसा ही सूद का मामला हालॉकि बिक्री को तो खुदा ने हलाल और सूद को हराम कर दिया बस जिस शख्स के पास उसके परवरदिगार की तरफ़ से नसीहत (मुमानियत) आये और वह बाज़ आ गया तो इस हुक्म के नाज़िल होने से पहले जो सूद ले चुका वह तो उस का हो चुका और उसका अम्र (मामला) ख़ुदा के हवाले है और जो मनाही के बाद फिर सूद ले (या बिक्री के माले को यकसा बताए जाए) तो ऐसे ही लोग जहन्नुम में रहेंगे |
|
283 | 2 | 276 | يمحق الله الربا ويربي الصدقات والله لا يحب كل كفار أثيم |
| | | खुदा सूद को मिटाता है और ख़ैरात को बढ़ाता है और जितने नाशुक्रे गुनाहगार हैं खुदा उन्हें दोस्त नहीं रखता |
|