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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2706 | 23 | 33 | وقال الملأ من قومه الذين كفروا وكذبوا بلقاء الآخرة وأترفناهم في الحياة الدنيا ما هذا إلا بشر مثلكم يأكل مما تأكلون منه ويشرب مما تشربون |
| | | उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया और आख़िरत के मिलन को झूठलाया और जिन्हें हमने सांसारिक जीवन में सुख प्रदान किया था, कहने लगे, "यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। जो कुछ तुम खाते हो, वही यह भी खाता है और जो कुछ तुम पीते हो, वही यह भी पीता है |
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2707 | 23 | 34 | ولئن أطعتم بشرا مثلكم إنكم إذا لخاسرون |
| | | यदि तुम अपने ही जैसे एक मनुष्य के आज्ञाकारी हुए तो निश्चय ही तुम घाटे में पड़ गए |
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2708 | 23 | 35 | أيعدكم أنكم إذا متم وكنتم ترابا وعظاما أنكم مخرجون |
| | | क्या यह तुमसे वादा करता है कि जब तुम मरकर मिट्टी और हड़्डियाँ होकर रह जाओगे तो तुम निकाले जाओगे? |
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2709 | 23 | 36 | هيهات هيهات لما توعدون |
| | | दूर की बात है, बहुत दूर की, जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है! |
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2710 | 23 | 37 | إن هي إلا حياتنا الدنيا نموت ونحيا وما نحن بمبعوثين |
| | | वह तो बस हमारा सांसारिक जीवन ही है। (यहीं) हम मरते और जीते है। हम कोई दोबारा उठाए जानेवाले नहीं है |
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2711 | 23 | 38 | إن هو إلا رجل افترى على الله كذبا وما نحن له بمؤمنين |
| | | वह तो बस एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अल्लाह पर झूठ घड़ा है। हम उसे कदापि माननेवाले नहीं।" |
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2712 | 23 | 39 | قال رب انصرني بما كذبون |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरे रब! उन्होंने जो मुझे झुठलाया, उसपर तू मेरी सहायता कर।" |
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2713 | 23 | 40 | قال عما قليل ليصبحن نادمين |
| | | कहा, "शीघ्र ही वे पछताकर रहेंगे।" |
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2714 | 23 | 41 | فأخذتهم الصيحة بالحق فجعلناهم غثاء فبعدا للقوم الظالمين |
| | | फिर घटित होनेवाली बात के अनुसार उन्हें एक प्रचंड आवाज़ ने आ लिया और हमने उन्हें कूड़ा-कर्कट बनाकर रख दिया। अतः फिटकार है, ऐसे अत्याचारी लोगों पर! |
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2715 | 23 | 42 | ثم أنشأنا من بعدهم قرونا آخرين |
| | | फिर हमने उनके पश्चात दूसरी नस्लों को उठाया |
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