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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2705 | 23 | 32 | فأرسلنا فيهم رسولا منهم أن اعبدوا الله ما لكم من إله غيره أفلا تتقون |
| | | और हमने उनही में से (एक आदमी सालेह को) रसूल बनाकर उन लोगों में भेजा (और उन्होंने अपनी क़ौम से कहा) कि खुदा की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे डरते नही हो) |
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2706 | 23 | 33 | وقال الملأ من قومه الذين كفروا وكذبوا بلقاء الآخرة وأترفناهم في الحياة الدنيا ما هذا إلا بشر مثلكم يأكل مما تأكلون منه ويشرب مما تشربون |
| | | और उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने जो काफिर थे और (रोज़) आख़िरत की हाज़िरी को भी झुठलाते थे और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में हमने उन्हें शहवत भी दे रखी थी आपस में कहने लगे (अरे) ये तो बस तुम्हारा ही सा आदमी है जो चीज़े तुम खाते वही ये भी खाता है और जो चीज़े तुम पीते हो उन्हीं में से ये भी पीता है |
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2707 | 23 | 34 | ولئن أطعتم بشرا مثلكم إنكم إذا لخاسرون |
| | | और अगर कहीं तुम लोगों ने अपने ही से आदमी की इताअत कर ली तो तुम ज़रुर घाटे में रहोगे |
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2708 | 23 | 35 | أيعدكم أنكم إذا متم وكنتم ترابا وعظاما أنكم مخرجون |
| | | क्या ये शख्स तुमसे वायदा करता है कि जब तुम मर जाओगे और (मर कर) सिर्फ मिट्टी और हड्डियाँ (बनकर) रह जाओगे तो तुम दुबारा ज़िन्दा करके कब्रों से निकाले जाओगे (है है अरे) जिसका तुमसे वायदा किया जाता है |
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2709 | 23 | 36 | هيهات هيهات لما توعدون |
| | | बिल्कुल (अक्ल से) दूर और क़यास से बईद है (दो बार ज़िन्दा होना कैसा) बस यही तुम्हारी दुनिया की ज़िन्दगी है |
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2710 | 23 | 37 | إن هي إلا حياتنا الدنيا نموت ونحيا وما نحن بمبعوثين |
| | | कि हम मरते भी हैं और जीते भी हैं और हम तो फिर (दुबारा) उठाए नहीं जाएँगे हो न हो ये (सालेह) वह शख्स है जिसने खुदा पर झूठ मूठ बोहतान बाँधा है |
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2711 | 23 | 38 | إن هو إلا رجل افترى على الله كذبا وما نحن له بمؤمنين |
| | | और हम तो कभी उस पर ईमान लाने वाले नहीं (ये हालत देखकर) सालेह ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले चूँकि इन लोगों ने मुझे झुठला दिया |
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2712 | 23 | 39 | قال رب انصرني بما كذبون |
| | | तू मेरी मदद कर ख़ुदा ने फरमाया (एक ज़रा ठहर जाओ) |
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2713 | 23 | 40 | قال عما قليل ليصبحن نادمين |
| | | अनक़रीब ही ये लोग नादिम व परेशान हो जाएँगे |
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2714 | 23 | 41 | فأخذتهم الصيحة بالحق فجعلناهم غثاء فبعدا للقوم الظالمين |
| | | ग़रज़ उन्हें यक़ीनन एक सख्त चिंघाड़ ने ले डाला तो हमने उन्हें कूडे क़रकट (का ढेर) बना छोड़ा पस ज़ालिमों पर (खुदा की) लानत है |
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