بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
27052332فأرسلنا فيهم رسولا منهم أن اعبدوا الله ما لكم من إله غيره أفلا تتقون
और हमने उनही में से (एक आदमी सालेह को) रसूल बनाकर उन लोगों में भेजा (और उन्होंने अपनी क़ौम से कहा) कि खुदा की इबादत करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तो क्या तुम (उससे डरते नही हो)
27062333وقال الملأ من قومه الذين كفروا وكذبوا بلقاء الآخرة وأترفناهم في الحياة الدنيا ما هذا إلا بشر مثلكم يأكل مما تأكلون منه ويشرب مما تشربون
और उनकी क़ौम के चन्द सरदारों ने जो काफिर थे और (रोज़) आख़िरत की हाज़िरी को भी झुठलाते थे और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी में हमने उन्हें शहवत भी दे रखी थी आपस में कहने लगे (अरे) ये तो बस तुम्हारा ही सा आदमी है जो चीज़े तुम खाते वही ये भी खाता है और जो चीज़े तुम पीते हो उन्हीं में से ये भी पीता है
27072334ولئن أطعتم بشرا مثلكم إنكم إذا لخاسرون
और अगर कहीं तुम लोगों ने अपने ही से आदमी की इताअत कर ली तो तुम ज़रुर घाटे में रहोगे
27082335أيعدكم أنكم إذا متم وكنتم ترابا وعظاما أنكم مخرجون
क्या ये शख्स तुमसे वायदा करता है कि जब तुम मर जाओगे और (मर कर) सिर्फ मिट्टी और हड्डियाँ (बनकर) रह जाओगे तो तुम दुबारा ज़िन्दा करके कब्रों से निकाले जाओगे (है है अरे) जिसका तुमसे वायदा किया जाता है
27092336هيهات هيهات لما توعدون
बिल्कुल (अक्ल से) दूर और क़यास से बईद है (दो बार ज़िन्दा होना कैसा) बस यही तुम्हारी दुनिया की ज़िन्दगी है
27102337إن هي إلا حياتنا الدنيا نموت ونحيا وما نحن بمبعوثين
कि हम मरते भी हैं और जीते भी हैं और हम तो फिर (दुबारा) उठाए नहीं जाएँगे हो न हो ये (सालेह) वह शख्स है जिसने खुदा पर झूठ मूठ बोहतान बाँधा है
27112338إن هو إلا رجل افترى على الله كذبا وما نحن له بمؤمنين
और हम तो कभी उस पर ईमान लाने वाले नहीं (ये हालत देखकर) सालेह ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले चूँकि इन लोगों ने मुझे झुठला दिया
27122339قال رب انصرني بما كذبون
तू मेरी मदद कर ख़ुदा ने फरमाया (एक ज़रा ठहर जाओ)
27132340قال عما قليل ليصبحن نادمين
अनक़रीब ही ये लोग नादिम व परेशान हो जाएँगे
27142341فأخذتهم الصيحة بالحق فجعلناهم غثاء فبعدا للقوم الظالمين
ग़रज़ उन्हें यक़ीनन एक सख्त चिंघाड़ ने ले डाला तो हमने उन्हें कूडे क़रकट (का ढेर) बना छोड़ा पस ज़ालिमों पर (खुदा की) लानत है


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