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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2697 | 23 | 24 | فقال الملأ الذين كفروا من قومه ما هذا إلا بشر مثلكم يريد أن يتفضل عليكم ولو شاء الله لأنزل ملائكة ما سمعنا بهذا في آبائنا الأولين |
| | | इसपर उनकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया था, कहने लगे, "यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। चाहता है कि तुमपर श्रेष्ठता प्राप्त करे।""अल्लाह यदि चाहता तो फ़रिश्ते उतार देता। यह बात तो हमने अपने अगले बाप-दादा के समयों से सुनी ही नहीं |
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2698 | 23 | 25 | إن هو إلا رجل به جنة فتربصوا به حتى حين |
| | | यह तो बस एक उन्मादग्रस्त व्यक्ति है। अतः एक समय तक इसकी प्रतीक्षा कर लो।" |
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2699 | 23 | 26 | قال رب انصرني بما كذبون |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरे रब! इन्होंने मुझे जो झुठलाया है, इसपर तू मेरी सहायता कर।" |
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2700 | 23 | 27 | فأوحينا إليه أن اصنع الفلك بأعيننا ووحينا فإذا جاء أمرنا وفار التنور فاسلك فيها من كل زوجين اثنين وأهلك إلا من سبق عليه القول منهم ولا تخاطبني في الذين ظلموا إنهم مغرقون |
| | | तब हमने उसकी ओर प्रकाशना की कि "हमारी आँखों के सामने और हमारी प्रकाशना के अनुसार नौका बना और फिर जब हमारा आदेश आ जाए और तूफ़ान उमड़ पड़े तो प्रत्येक प्रजाति में से एक-एक जोड़ा उसमें रख ले और अपने लोगों को भी, सिवाय उनके जिनके विरुद्ध पहले फ़ैसला हो चुका है। और अत्याचारियों के विषय में मुझसे बात न करना। वे तो डूबकर रहेंगे |
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2701 | 23 | 28 | فإذا استويت أنت ومن معك على الفلك فقل الحمد لله الذي نجانا من القوم الظالمين |
| | | फिर जब तू नौका पर सवार हो जाए और तेरे साथी भी तो कह, प्रशंसा है अल्लाह की, जिसने हमें ज़ालिम लोगों से छुटकारा दिया |
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2702 | 23 | 29 | وقل رب أنزلني منزلا مباركا وأنت خير المنزلين |
| | | और कह, ऐ मेरे रब! मुझे बरकतवाली जगह उतार। और तू सबसे अच्छा मेज़बान है।" |
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2703 | 23 | 30 | إن في ذلك لآيات وإن كنا لمبتلين |
| | | निस्संदेह इसमें कितनी ही निशानियाँ हैं और परीक्षा तो हम करते ही है |
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2704 | 23 | 31 | ثم أنشأنا من بعدهم قرنا آخرين |
| | | फिर उनके पश्चात हमने एक दूसरी नस्ल को उठाया; |
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2705 | 23 | 32 | فأرسلنا فيهم رسولا منهم أن اعبدوا الله ما لكم من إله غيره أفلا تتقون |
| | | और उनमें हमने स्वयं उन्हीं में से एक रसूल भेजा कि "अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। तो क्या तुम डर नहीं रखते?" |
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2706 | 23 | 33 | وقال الملأ من قومه الذين كفروا وكذبوا بلقاء الآخرة وأترفناهم في الحياة الدنيا ما هذا إلا بشر مثلكم يأكل مما تأكلون منه ويشرب مما تشربون |
| | | उसकी क़ौम के सरदार, जिन्होंने इनकार किया और आख़िरत के मिलन को झूठलाया और जिन्हें हमने सांसारिक जीवन में सुख प्रदान किया था, कहने लगे, "यह तो बस तुम्हीं जैसा एक मनुष्य है। जो कुछ तुम खाते हो, वही यह भी खाता है और जो कुछ तुम पीते हो, वही यह भी पीता है |
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