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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2632 | 22 | 37 | لن ينال الله لحومها ولا دماؤها ولكن يناله التقوى منكم كذلك سخرها لكم لتكبروا الله على ما هداكم وبشر المحسنين |
| | | खुदा तक न तो हरगिज़ उनके गोश्त ही पहुँचेगे और न खून मगर (हाँ) उस तक तुम्हारी परहेज़गारी अलबत्ता पहुँचेगी ख़ुदा ने जानवरों को (इसलिए) यूँ तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है ताकि जिस तरह खुदा ने तुम्हें बनाया है उसी तरह उसकी बड़ाई करो |
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2633 | 22 | 38 | إن الله يدافع عن الذين آمنوا إن الله لا يحب كل خوان كفور |
| | | और (ऐ रसूल) नेकी करने वालों को (हमेशा की) ख़ुशख़बरी दे दो इसमें शक नहीं कि खुदा ईमानवालों से कुफ्फ़ार को दूर दफा करता रहता है खुदा किसी बददयानत नाशुक्रे को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता |
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2634 | 22 | 39 | أذن للذين يقاتلون بأنهم ظلموا وإن الله على نصرهم لقدير |
| | | जिन (मुसलमानों) से (कुफ्फ़ार) लड़ते थे चूँकि वह (बहुत) सताए गए उस वजह से उन्हें भी (जिहाद) की इजाज़त दे दी गई और खुदा तो उन लोगों की मदद पर यक़ीनन क़ादिर (वत वाना) है |
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2635 | 22 | 40 | الذين أخرجوا من ديارهم بغير حق إلا أن يقولوا ربنا الله ولولا دفع الله الناس بعضهم ببعض لهدمت صوامع وبيع وصلوات ومساجد يذكر فيها اسم الله كثيرا ولينصرن الله من ينصره إن الله لقوي عزيز |
| | | ये वह (मज़लूम हैं जो बेचारे) सिर्फ इतनी बात कहने पर कि हमारा परवरदिगार खुदा है (नाहक़) अपने-अपने घरों से निकाल दिए गये और अगर खुदा लोगों को एक दूसरे से दूर दफा न करता रहता तो गिरजे और यहूदियों के इबादत ख़ाने और मजूस के इबादतख़ाने और मस्जिद जिनमें कसरत से खुदा का नाम लिया जाता है कब के कब ढहा दिए गए होते और जो शख्स खुदा की मदद करेगा खुदा भी अलबत्ता उसकी मदद ज़रूर करेगा बेशक खुदा ज़रूर ज़बरदस्त ग़ालिब है |
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2636 | 22 | 41 | الذين إن مكناهم في الأرض أقاموا الصلاة وآتوا الزكاة وأمروا بالمعروف ونهوا عن المنكر ولله عاقبة الأمور |
| | | ये वह लोग हैं कि अगर हम इन्हें रूए ज़मीन पर क़ाबू दे दे तो भी यह लोग पाबन्दी से नमाजे अदा करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे-अच्छे काम का हुक्म करेंगे और बुरी बातों से (लोगों को) रोकेंगे और (यूँ तो) सब कामों का अन्जाम खुदा ही के एख्तेयार में है |
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2637 | 22 | 42 | وإن يكذبوك فقد كذبت قبلهم قوم نوح وعاد وثمود |
| | | और (ऐ रसूल) अगर ये (कुफ्फ़ार) तुमको झुठलाते हैं तो कोइ ताज्जुब की बात नहीं उनसे पहले नूह की क़ौम और (क़ौमे आद और समूद) |
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2638 | 22 | 43 | وقوم إبراهيم وقوم لوط |
| | | और इबराहीम की क़ौम और लूत की क़ौम |
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2639 | 22 | 44 | وأصحاب مدين وكذب موسى فأمليت للكافرين ثم أخذتهم فكيف كان نكير |
| | | और मदियन के रहने वाले (अपने-अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुके हैं और मूसा (भी) झुठलाए जा चुके हैं तो मैंने काफिरों को चन्द ढील दे दी फिर (आख़िर) उन्हें ले डाला तो तुमने देखा मेरा अज़ाब कैसा था |
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2640 | 22 | 45 | فكأين من قرية أهلكناها وهي ظالمة فهي خاوية على عروشها وبئر معطلة وقصر مشيد |
| | | ग़रज़ कितनी बस्तियाँ हैं कि हम ने उन्हें बरबाद कर दिया और वह सरकश थीं पस वह अपनी छतों पर ढही पड़ी हैं और कितने बेकार (उजडे क़ुएँ और कितने) मज़बूत बड़े-बड़े ऊँचे महल (वीरान हो गए) |
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2641 | 22 | 46 | أفلم يسيروا في الأرض فتكون لهم قلوب يعقلون بها أو آذان يسمعون بها فإنها لا تعمى الأبصار ولكن تعمى القلوب التي في الصدور |
| | | क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं ताकि उनके लिए ऐसे दिल होते हैं जैसे हक़ बातों को समझते या उनके ऐसे कान होते जिनके ज़रिए से (सच्ची बातों को) सुनते क्योंकि ऑंखें अंधी नहीं हुआ करती बल्कि दिल जो सीने में है वही अन्धे हो जाया करते हैं |
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