نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2622 | 22 | 27 | وأذن في الناس بالحج يأتوك رجالا وعلى كل ضامر يأتين من كل فج عميق |
| | | और लोगों को हज की ख़बर कर दो कि लोग तुम्हारे पास (ज़ूक दर ज़ूक) ज्यादा और हर तरह की दुबली (सवारियों पर जो राह दूर दराज़ तय करके आयी होगी चढ़-चढ़ के) आ पहुँचेगें |
|
2623 | 22 | 28 | ليشهدوا منافع لهم ويذكروا اسم الله في أيام معلومات على ما رزقهم من بهيمة الأنعام فكلوا منها وأطعموا البائس الفقير |
| | | ताकि अपने (दुनिया व आखेरत के) फायदो पर फायज़ हों और खुदा ने जो जानवर चारपाए उन्हें अता फ़रमाए उनपर (ज़िबाह के वक्त) चन्द मुअय्युन दिनों में खुदा का नाम लें तो तुम लोग कुरबानी के गोश्त खुद भी खाओ और भूखे मोहताज को भी खिलाओ |
|
2624 | 22 | 29 | ثم ليقضوا تفثهم وليوفوا نذورهم وليطوفوا بالبيت العتيق |
| | | फिर लोगों को चाहिए कि अपनी-अपनी (बदन की) कसाफ़त दूर करें और अपनी नज़रें पूरी करें और क़दीम (इबादत) ख़ानए काबा का तवाफ करें यही हुक्म है |
|
2625 | 22 | 30 | ذلك ومن يعظم حرمات الله فهو خير له عند ربه وأحلت لكم الأنعام إلا ما يتلى عليكم فاجتنبوا الرجس من الأوثان واجتنبوا قول الزور |
| | | और इसके अलावा जो शख्स खुदा की हुरमत वाली चीज़ों की ताज़ीम करेगा तो ये उसके पवरदिगार के यहाँ उसके हक़ में बेहतर है और उन जानवरों के अलावा जो तुमसे बयान किए जाँएगे कुल चारपाए तुम्हारे वास्ते हलाल किए गए तो तुम नापाक बुतों से बचे रहो और लग़ो बातें गाने वग़ैरह से बचे रहो |
|
2626 | 22 | 31 | حنفاء لله غير مشركين به ومن يشرك بالله فكأنما خر من السماء فتخطفه الطير أو تهوي به الريح في مكان سحيق |
| | | निरे खरे अल्लाह के होकर (रहो) उसका किसी को शरीक न बनाओ और जिस शख्स ने (किसी को) खुदा का शरीक बनाया तो गोया कि वह आसमान से गिर पड़ा फिर उसको (या तो दरमियान ही से) कोई (मुरदा ख्ववार) चिड़िया उचक ले गई या उसे हवा के झोंके ने बहुत दूर जा फेंका |
|
2627 | 22 | 32 | ذلك ومن يعظم شعائر الله فإنها من تقوى القلوب |
| | | ये (याद रखो) और जिस शख्स ने खुदा की निशानियों की ताज़ीम की तो कुछ शक नहीं कि ये भी दिलों की परहेज़गारी से हासिल होती है |
|
2628 | 22 | 33 | لكم فيها منافع إلى أجل مسمى ثم محلها إلى البيت العتيق |
| | | और इन चार पायों में एक मुअय्युन मुद्दत तक तुम्हार लिये बहुत से फायदें हैं फिर उनके ज़िबाह होने की जगह क़दीम (इबादत) ख़ानए काबा है |
|
2629 | 22 | 34 | ولكل أمة جعلنا منسكا ليذكروا اسم الله على ما رزقهم من بهيمة الأنعام فإلهكم إله واحد فله أسلموا وبشر المخبتين |
| | | और हमने तो हर उम्मत के वास्ते क़ुरबानी का तरीक़ा मुक़र्रर कर दिया है ताकि जो मवेशी चारपाए खुदा ने उन्हें अता किए हैं उन पर (ज़िबाह के वक्त) ख़ुदा का नाम ले ग़रज़ तुम लोगों का माबूद (वही) यकता खुदा है तो उसी के फरमाबरदार बन जाओ |
|
2630 | 22 | 35 | الذين إذا ذكر الله وجلت قلوبهم والصابرين على ما أصابهم والمقيمي الصلاة ومما رزقناهم ينفقون |
| | | और (ऐ रसूल हमारे) गिड़गिड़ाने वाले बन्दों को (बेहश्त की) खुशख़बरी दे दो ये वह हैं कि जब (उनके सामने) खुदा का नाम लिया जाता है तो उनके दिल सहम जाते हैं और जब उनपर कोई मुसीबत आ पड़े तो सब्र करते हैं और नमाज़ पाबन्दी से अदा करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दे रखा है उसमें से (राहे खुदा में) ख़र्च करते हैं |
|
2631 | 22 | 36 | والبدن جعلناها لكم من شعائر الله لكم فيها خير فاذكروا اسم الله عليها صواف فإذا وجبت جنوبها فكلوا منها وأطعموا القانع والمعتر كذلك سخرناها لكم لعلكم تشكرون |
| | | और कुरबानी (मोटे गदबदे) ऊँट भी हमने तुम्हारे वास्ते खुदा की निशानियों में से क़रार दिया है इसमें तुम्हारी बहुत सी भलाईयाँ हैं फिर उनका तांते का तांता बाँध कर ज़िबाह करो और उस वक्त उन पर खुदा का नाम लो फिर जब उनके दस्त व बाजू काटकर गिर पड़े तो उन्हीं से तुम खुद भी खाओ और केनाअत पेशा फक़ीरों और माँगने वाले मोहताजों (दोनों) को भी खिलाओ हमने यूँ इन जानवरों को तुम्हारा ताबेए कर दिया ताकि तुम शुक्रगुज़ार बनो |
|