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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2622 | 22 | 27 | وأذن في الناس بالحج يأتوك رجالا وعلى كل ضامر يأتين من كل فج عميق |
| | | और लोगों में हज के लिए उद्घोषणा कर दो कि "वे प्रत्येक गहरे मार्ग से, पैदल भी और दुबली-दुबली ऊँटनियों पर, तेरे पास आएँ |
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2623 | 22 | 28 | ليشهدوا منافع لهم ويذكروا اسم الله في أيام معلومات على ما رزقهم من بهيمة الأنعام فكلوا منها وأطعموا البائس الفقير |
| | | ताकि वे उन लाभों को देखें जो वहाँ उनके लिए रखे गए है। और कुछ ज्ञात और निश्चित दिनों में उन चौपाए अर्थात मवेशियों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें दिए है। फिर उसमें से स्वयं भी खाओ और तंगहाल मुहताज को भी खिलाओ।" |
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2624 | 22 | 29 | ثم ليقضوا تفثهم وليوفوا نذورهم وليطوفوا بالبيت العتيق |
| | | फिर उन्हें चाहिए कि अपना मैल-कुचैल दूर करें और अपनी मन्नतें पूरी करें और इस पुरातन घर का तवाफ़ (परिक्रमा) करें |
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2625 | 22 | 30 | ذلك ومن يعظم حرمات الله فهو خير له عند ربه وأحلت لكم الأنعام إلا ما يتلى عليكم فاجتنبوا الرجس من الأوثان واجتنبوا قول الزور |
| | | इन बातों का ध्यान रखों और जो कोई अल्लाह द्वारा निर्धारित मर्यादाओं का आदर करे, तो यह उसके रब के यहाँ उसी के लिए अच्छा है। और तुम्हारे लिए चौपाए हलाल है, सिवाय उनके जो तुम्हें बताए गए हैं। तो मूर्तियों की गन्दगी से बचो और बचो झूठी बातों से |
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2626 | 22 | 31 | حنفاء لله غير مشركين به ومن يشرك بالله فكأنما خر من السماء فتخطفه الطير أو تهوي به الريح في مكان سحيق |
| | | इस तरह कि अल्लाह ही की ओर के होकर रहो। उसके साथ किसी को साझी न ठहराओ, क्योंकि जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती स्थान पर फेंक दे |
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2627 | 22 | 32 | ذلك ومن يعظم شعائر الله فإنها من تقوى القلوب |
| | | इन बातों का ख़याल रखो। और जो कोई अल्लाह के नाम लगी चीज़ों का आदर करे, तो निस्संदेह वे (चीज़ें) दिलों के तक़वा (धर्मपरायणता) से सम्बन्ध रखती है |
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2628 | 22 | 33 | لكم فيها منافع إلى أجل مسمى ثم محلها إلى البيت العتيق |
| | | उनमें एक निश्चित समय तक तुम्हारे लिए फ़ायदे है। फिर उनको उस पुरातन घर तक (क़ुरबानी के लिए) पहुँचना है |
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2629 | 22 | 34 | ولكل أمة جعلنا منسكا ليذكروا اسم الله على ما رزقهم من بهيمة الأنعام فإلهكم إله واحد فله أسلموا وبشر المخبتين |
| | | और प्रत्येक समुदाय के लिए हमने क़ुरबानी का विधान किया, ताकि वे उन जानवरों अर्थात मवेशियों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। अतः तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला पूज्य-प्रभु है। तो उसी के आज्ञाकारी बनकर रहो और विनम्रता अपनानेवालों को शुभ सूचना दे दो |
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2630 | 22 | 35 | الذين إذا ذكر الله وجلت قلوبهم والصابرين على ما أصابهم والمقيمي الصلاة ومما رزقناهم ينفقون |
| | | ये वे लोग है कि जब अल्लाह को याद किया जाता है तो उनके दिल दहल जाते है और जो मुसीबत उनपर आती है उसपर धैर्य से काम लेते है और नमाज़ को क़ायम करते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है |
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2631 | 22 | 36 | والبدن جعلناها لكم من شعائر الله لكم فيها خير فاذكروا اسم الله عليها صواف فإذا وجبت جنوبها فكلوا منها وأطعموا القانع والمعتر كذلك سخرناها لكم لعلكم تشكرون |
| | | (क़ुरबानी के) ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः खड़ा करके उनपर अल्लाह का नाम लो। फिर जब उनके पहलू भूमि से आ लगें तो उनमें से स्वयं भी खाओ औऱ संतोष से बैठनेवालों को भी खिलाओ और माँगनेवालों को भी। ऐसी ही करो। हमने उनको तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञता दिखाओ |
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