نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2562 | 21 | 79 | ففهمناها سليمان وكلا آتينا حكما وعلما وسخرنا مع داوود الجبال يسبحن والطير وكنا فاعلين |
| | | तो हमने सुलेमान को (इसका सही फ़ैसला समझा दिया) और (यूँ तो) सबको हम ही ने फहमे सलीम और इल्म अता किया और हम ही ने पहाड़ों को दाऊद का ताबेए बना दिया था कि उनके साथ (खुदा की) तस्बीह किया करते थे और परिन्दों को (भी ताबेए कर दिया था) और हम ही (ये अज़ाब) किया करते थे |
|
2563 | 21 | 80 | وعلمناه صنعة لبوس لكم لتحصنكم من بأسكم فهل أنتم شاكرون |
| | | और हम ही ने उनको तुम्हारी जंगी पोशिश (ज़िराह) का बनाना सिखा दिया ताकि तुम्हें (एक दूसरे के) वार से बचाए तो क्या तुम (अब भी) उसके शुक्रगुज़ार बनोगे |
|
2564 | 21 | 81 | ولسليمان الريح عاصفة تجري بأمره إلى الأرض التي باركنا فيها وكنا بكل شيء عالمين |
| | | और (हम ही ने) बड़े ज़ोरों की हवा को सुलेमान का (ताबेए कर दिया था) कि वह उनके हुक्म से इस सरज़मीन (बैतुलमुक़द्दस) की तरफ चला करती थी जिसमें हमने तरह-तरह की बरकतें अता की थी और हम तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ़ थे (और) है |
|
2565 | 21 | 82 | ومن الشياطين من يغوصون له ويعملون عملا دون ذلك وكنا لهم حافظين |
| | | और जिन्नात में से जो लोग (समन्दर में) ग़ोता लगाकर (जवाहरात निकालने वाले) थे और उसके अलावा और काम भी करते थे (सुलेमान का ताबेए कर दिया था) और हम ही उनके निगेहबान थे |
|
2566 | 21 | 83 | وأيوب إذ نادى ربه أني مسني الضر وأنت أرحم الراحمين |
| | | (कि भाग न जाएँ) और (ऐ रसूल) अय्यूब (का क़िस्सा याद करो) जब उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (ख़ुदा वन्द) बीमारी तो मेरे पीछे लग गई है और तू तो सब रहम करने वालोंसे (बढ़ कर है मुझ पर तरस खा) |
|
2567 | 21 | 84 | فاستجبنا له فكشفنا ما به من ضر وآتيناه أهله ومثلهم معهم رحمة من عندنا وذكرى للعابدين |
| | | तो हमने उनकी दुआ कुबूल की तो हमने उनका जो कुछ दर्द दुख था दफ़ा कर दिया और उन्हें उनके लड़के वाले बल्कि उनके साथ उतनी ही और भी महज़ अपनी ख़ास मेहरबानी से और इबादत करने वालों की इबरत के वास्ते अता किए |
|
2568 | 21 | 85 | وإسماعيل وإدريس وذا الكفل كل من الصابرين |
| | | और (ऐ रसूल) इसमाईल और इदरीस और जुलकिफ्ल (के वाक़यात से याद करो) ये सब साबिर बन्दे थे |
|
2569 | 21 | 86 | وأدخلناهم في رحمتنا إنهم من الصالحين |
| | | और हमने उन सबको अपनी (ख़ास) रहमत में दाख़िल कर लिया बेशक ये लोग नेक बन्दे थे |
|
2570 | 21 | 87 | وذا النون إذ ذهب مغاضبا فظن أن لن نقدر عليه فنادى في الظلمات أن لا إله إلا أنت سبحانك إني كنت من الظالمين |
| | | और जुन्नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अंधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ |
|
2571 | 21 | 88 | فاستجبنا له ونجيناه من الغم وكذلك ننجي المؤمنين |
| | | तो हमने उनकी दुआ कुबूल की और उन्हें रंज से नजात दी और हम तो ईमानवालों को यूँ ही नजात दिया करते हैं |
|