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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2525 | 21 | 42 | قل من يكلؤكم بالليل والنهار من الرحمن بل هم عن ذكر ربهم معرضون |
| | | (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि खुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) रात को या दिन को तुम्हारा कौन पहरा दे सकता है उस पर डरना तो दर किनार बल्कि ये लोग अपने परवरदिगार की याद से मुँह फेरते हैं |
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2526 | 21 | 43 | أم لهم آلهة تمنعهم من دوننا لا يستطيعون نصر أنفسهم ولا هم منا يصحبون |
| | | क्या हमरो सिवा उनके कुछ और परवरदिगार हैं कि जो उनको (हमारे अज़ाब से) बचा सकते हैं (वह क्या बचाएँगे) ये लोग खुद अपनी आप तो मदद कर ही नहीं सकते और न हमारे अज़ाब से उन्हें पनाह दी जाएगी |
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2527 | 21 | 44 | بل متعنا هؤلاء وآباءهم حتى طال عليهم العمر أفلا يرون أنا نأتي الأرض ننقصها من أطرافها أفهم الغالبون |
| | | बल्कि हम ही ने उनको और उनके बुर्जुग़ों को आराम व चैन रहा यहाँ तक कि उनकी उम्रें बढ़ गई तो फिर क्या ये लोग नहीं देखते कि हम रूए ज़मीन को चारों तरफ से क़ब्ज़ा करते और उसको फतेह करते चले आते हैं तो क्या (अब भी यही लोग कुफ्फ़ारे मक्का) ग़ालिब और वर हैं |
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2528 | 21 | 45 | قل إنما أنذركم بالوحي ولا يسمع الصم الدعاء إذا ما ينذرون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तो बस तुम लोगों को ''वही'' के मुताबिक़ (अज़ाब से) डराता हूँ (मगर तुम लोग गोया बहरे हो) और बहरों को जब डराया जाता है तो वह पुकारने ही को नहीं सुनते (डरें क्या ख़ाक) |
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2529 | 21 | 46 | ولئن مستهم نفحة من عذاب ربك ليقولن يا ويلنا إنا كنا ظالمين |
| | | और (ऐ रसूल) अगर कहीं उनको तुम्हारे परवरदिगार के अज़ाब की ज़रा सी हवा भी लग गई तो वे सख्त! बोल उठे हाय अफसोस वाक़ई हम ही ज़ालिम थे |
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2530 | 21 | 47 | ونضع الموازين القسط ليوم القيامة فلا تظلم نفس شيئا وإن كان مثقال حبة من خردل أتينا بها وكفى بنا حاسبين |
| | | और क़यामत के दिन तो हम (बन्दों के भले बुरे आमाल तौलने के लिए) इन्साफ़ की तराज़ू में खड़ी कर देंगे तो फिर किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा और अगर राई के दाने के बराबर भी किसी का (अमल) होगा तो तुम उसे ला हाज़िर करेंगे और हम हिसाब करने के वास्ते बहुत काफ़ी हैं |
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2531 | 21 | 48 | ولقد آتينا موسى وهارون الفرقان وضياء وذكرا للمتقين |
| | | और हम ही ने यक़ीनन मूसा और हारून को (हक़ व बातिल की) जुदा करने वाली किताब (तौरेत) और परहेज़गारों के लिए अज़सरतापा बनूँ और नसीहत अता की |
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2532 | 21 | 49 | الذين يخشون ربهم بالغيب وهم من الساعة مشفقون |
| | | जो बे देखे अपने परवरदिगार से ख़ौफ खाते हैं और ये लोग रोज़े क़यामत से भी डरते हैं |
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2533 | 21 | 50 | وهذا ذكر مبارك أنزلناه أفأنتم له منكرون |
| | | और ये (कुरान भी) एक बाबरकत तज़किरा है जिसको हमने उतारा है तो क्या तुम लोग इसको नहीं मानते |
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2534 | 21 | 51 | ولقد آتينا إبراهيم رشده من قبل وكنا به عالمين |
| | | और इसमें भी शक नहीं कि हमने इबराहीम को पहले ही से फ़हेम सलीम अता की थी और हम उन (की हालत) से खूब वाक़िफ थे |
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