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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2518 | 21 | 35 | كل نفس ذائقة الموت ونبلوكم بالشر والخير فتنة وإلينا ترجعون |
| | | (हर शख्स एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है और हम तुम्हें मुसीबत व राहत में इम्तिहान की ग़रज़ से आज़माते हैं और (आख़िकार) हमारी ही तरफ लौटाए जाओगे |
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2519 | 21 | 36 | وإذا رآك الذين كفروا إن يتخذونك إلا هزوا أهذا الذي يذكر آلهتكم وهم بذكر الرحمن هم كافرون |
| | | और (ऐ रसूल) जब तुम्हें कुफ्फ़ार देखते हैं तो बस तुमसे मसखरापन करते हैं कि क्या यही हज़रत हैं जो तुम्हारे माबूदों को (बुरी तरह) याद करते हैं हालाँकि ये लोग खुद खुदा की याद से इन्कार करते हैं (तो इनकी बेवकूफ़ी पर हँसना चाहिए) |
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2520 | 21 | 37 | خلق الإنسان من عجل سأريكم آياتي فلا تستعجلون |
| | | आदमी तो बड़ा जल्दबाज़ पैदा किया गया है मैं अनक़रीब ही तुम्हें अपनी (कुदरत की) निशानियाँ दिखाऊँगा तो तुम मुझसे जल्दी की (द्दूम) न मचाओ |
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2521 | 21 | 38 | ويقولون متى هذا الوعد إن كنتم صادقين |
| | | और लुत्फ़ तो ये है कि कहते हैं कि अगर सच्चे हो तो ये क़यामत का वायदा कब (पूरा) होगा |
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2522 | 21 | 39 | لو يعلم الذين كفروا حين لا يكفون عن وجوههم النار ولا عن ظهورهم ولا هم ينصرون |
| | | और जो लोग काफ़िर हो बैठे काश उस वक्त क़ी हालत से आगाह होते (कि जहन्नुम की आग में खडे होंगे) और न अपने चेहरों से आग को हटा सकेंगे और न अपनी पीठ से और न उनकी मदद की जाएगी |
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2523 | 21 | 40 | بل تأتيهم بغتة فتبهتهم فلا يستطيعون ردها ولا هم ينظرون |
| | | (क़यामत कुछ जता कर तो आने से रही) बल्कि वह तो अचानक उन पर आ पड़ेगी और उन्हें हक्का बक्का कर देगी फिर उस वक्त उसमें न उसके हटाने की मजाल होगी और न उन्हें ही दी जाएगी |
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2524 | 21 | 41 | ولقد استهزئ برسل من قبلك فحاق بالذين سخروا منهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | और (ऐ रसूल) कुछ तुम ही नहीं तुमसे पहले पैग़म्बरों के साथ मसख़रापन किया जा चुका है तो उन पैग़म्बरों से मसखरापन करने वालों को उस सख्त अज़ाब ने आ घेर लिया जिसकी वह हँसी उड़ाया करते थे |
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2525 | 21 | 42 | قل من يكلؤكم بالليل والنهار من الرحمن بل هم عن ذكر ربهم معرضون |
| | | (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि खुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) रात को या दिन को तुम्हारा कौन पहरा दे सकता है उस पर डरना तो दर किनार बल्कि ये लोग अपने परवरदिगार की याद से मुँह फेरते हैं |
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2526 | 21 | 43 | أم لهم آلهة تمنعهم من دوننا لا يستطيعون نصر أنفسهم ولا هم منا يصحبون |
| | | क्या हमरो सिवा उनके कुछ और परवरदिगार हैं कि जो उनको (हमारे अज़ाब से) बचा सकते हैं (वह क्या बचाएँगे) ये लोग खुद अपनी आप तो मदद कर ही नहीं सकते और न हमारे अज़ाब से उन्हें पनाह दी जाएगी |
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2527 | 21 | 44 | بل متعنا هؤلاء وآباءهم حتى طال عليهم العمر أفلا يرون أنا نأتي الأرض ننقصها من أطرافها أفهم الغالبون |
| | | बल्कि हम ही ने उनको और उनके बुर्जुग़ों को आराम व चैन रहा यहाँ तक कि उनकी उम्रें बढ़ गई तो फिर क्या ये लोग नहीं देखते कि हम रूए ज़मीन को चारों तरफ से क़ब्ज़ा करते और उसको फतेह करते चले आते हैं तो क्या (अब भी यही लोग कुफ्फ़ारे मक्का) ग़ालिब और वर हैं |
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