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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2517 | 21 | 34 | وما جعلنا لبشر من قبلك الخلد أفإن مت فهم الخالدون |
| | | हमने तुमसे पहले भी किसी आदमी के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या यदि तुम मर गए तो वे सदैव रहनेवाले है? |
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2518 | 21 | 35 | كل نفس ذائقة الموت ونبلوكم بالشر والخير فتنة وإلينا ترجعون |
| | | हर जीव को मौत का मज़ा चखना है और हम अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर तुम सबकी परीक्षा करते है। अन्ततः तुम्हें हमारी ही ओर पलटकर आना है |
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2519 | 21 | 36 | وإذا رآك الذين كفروا إن يتخذونك إلا هزوا أهذا الذي يذكر آلهتكم وهم بذكر الرحمن هم كافرون |
| | | जिन लोगों ने इनकार किया वे जब तुम्हें देखते है तो तुम्हारा उपहास ही करते है। (कहते है,) "क्या यही वह व्यक्ति है, जो तुम्हारे इष्ट -पूज्यों की बुराई के साथ चर्चा करता है?" और उनका अपना हाल यह है कि वे रहमान के ज़िक्र (स्मरण) से इनकार करते हैं |
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2520 | 21 | 37 | خلق الإنسان من عجل سأريكم آياتي فلا تستعجلون |
| | | मनुष्य उतावला पैदा किया गया है। मैं तुम्हें शीघ्र ही अपनी निशानियाँ दिखाए देता हूँ। अतः तुम मुझसे जल्दी मत मचाओ |
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2521 | 21 | 38 | ويقولون متى هذا الوعد إن كنتم صادقين |
| | | वे कहते है कि "यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?" |
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2522 | 21 | 39 | لو يعلم الذين كفروا حين لا يكفون عن وجوههم النار ولا عن ظهورهم ولا هم ينصرون |
| | | अगर इनकार करनेवालें उस समय को जानते, जबकि वे न तो अपने चहरों की ओर आग को रोक सकेंगे और न अपनी पीठों की ओर से और न उन्हें कोई सहायता ही पहुँच सकेगी तो (यातना की जल्दी न मचाते) |
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2523 | 21 | 40 | بل تأتيهم بغتة فتبهتهم فلا يستطيعون ردها ولا هم ينظرون |
| | | बल्कि वह अचानक उनपर आएगी और उन्हें स्तब्ध कर देगी। फिर न उसे वे फेर सकेंगे और न उन्हें मुहलत ही मिलेगी |
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2524 | 21 | 41 | ولقد استهزئ برسل من قبلك فحاق بالذين سخروا منهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | तुमसे पहले भी रसूलों की हँसी उड़ाई जा चुकी है, किन्तु उनमें से जिन लोगों ने उनकी हँसी उड़ाई थी उन्हें उसी चीज़ ने आ घेरा, जिसकी वे हँसी उड़ाते थे |
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2525 | 21 | 42 | قل من يكلؤكم بالليل والنهار من الرحمن بل هم عن ذكر ربهم معرضون |
| | | कहो कि "कौन रहमान के मुक़ाबले में रात-दिन तुम्हारी रक्षा करेगा? बल्कि बात यह है कि वे अपने रब की याददिहानी से कतरा रहे है |
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2526 | 21 | 43 | أم لهم آلهة تمنعهم من دوننا لا يستطيعون نصر أنفسهم ولا هم منا يصحبون |
| | | (क्या वे हमें नहीं जानते) या हमसे हटकर उनके और भी इष्ट-पूज्य है, जो उन्हें बचा ले? वे तो स्वयं अपनी ही सहायता नहीं कर सकते है और न हमारे मुक़ाबले में उनका कोई साथ ही दे सकता है |
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