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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2513 | 21 | 30 | أولم ير الذين كفروا أن السماوات والأرض كانتا رتقا ففتقناهما وجعلنا من الماء كل شيء حي أفلا يؤمنون |
| | | जो लोग काफिर हो बैठे क्या उन लोगों ने इस बात पर ग़ौर नहीं किया कि आसमान और ज़मीन दोनों बस्ता (बन्द) थे तो हमने दोनों को शिगाफ़ता किया (खोल दिया) और हम ही ने जानदार चीज़ को पानी से पैदा किया इस पर भी ये लोग ईमान न लाएँगे |
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2514 | 21 | 31 | وجعلنا في الأرض رواسي أن تميد بهم وجعلنا فيها فجاجا سبلا لعلهم يهتدون |
| | | और हम ही ने ज़मीन पर भारी बोझल पहाड़ बनाए ताकि ज़मीन उन लोगों को लेकर किसी तरफ झुक न पड़े और हम ने ही उसमें लम्बे-चौड़े रास्ते बनाए ताकि ये लोग अपने-अपने मंज़िलें मक़सूद को जा पहुँचे |
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2515 | 21 | 32 | وجعلنا السماء سقفا محفوظا وهم عن آياتها معرضون |
| | | और हम ही ने आसमान को छत बनाया जो हर तरह महफूज़ है और ये लोग उसकी आसमानी निशानियों से मुँह फेर रहे हैं |
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2516 | 21 | 33 | وهو الذي خلق الليل والنهار والشمس والقمر كل في فلك يسبحون |
| | | और वही वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने रात और दिन और आफ़ताब और माहताब को पैदा किया कि सब के सब एक (एक) आसमान में पैर कर चक्मर लगा रहे हैं |
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2517 | 21 | 34 | وما جعلنا لبشر من قبلك الخلد أفإن مت فهم الخالدون |
| | | और (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले भी किसी फ़र्दे बशर को सदा की ज़िन्दगी नहीं दी तो क्या अगर तुम मर जाओगे तो ये लोग हमेशा जिया ही करेंगे |
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2518 | 21 | 35 | كل نفس ذائقة الموت ونبلوكم بالشر والخير فتنة وإلينا ترجعون |
| | | (हर शख्स एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है और हम तुम्हें मुसीबत व राहत में इम्तिहान की ग़रज़ से आज़माते हैं और (आख़िकार) हमारी ही तरफ लौटाए जाओगे |
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2519 | 21 | 36 | وإذا رآك الذين كفروا إن يتخذونك إلا هزوا أهذا الذي يذكر آلهتكم وهم بذكر الرحمن هم كافرون |
| | | और (ऐ रसूल) जब तुम्हें कुफ्फ़ार देखते हैं तो बस तुमसे मसखरापन करते हैं कि क्या यही हज़रत हैं जो तुम्हारे माबूदों को (बुरी तरह) याद करते हैं हालाँकि ये लोग खुद खुदा की याद से इन्कार करते हैं (तो इनकी बेवकूफ़ी पर हँसना चाहिए) |
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2520 | 21 | 37 | خلق الإنسان من عجل سأريكم آياتي فلا تستعجلون |
| | | आदमी तो बड़ा जल्दबाज़ पैदा किया गया है मैं अनक़रीब ही तुम्हें अपनी (कुदरत की) निशानियाँ दिखाऊँगा तो तुम मुझसे जल्दी की (द्दूम) न मचाओ |
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2521 | 21 | 38 | ويقولون متى هذا الوعد إن كنتم صادقين |
| | | और लुत्फ़ तो ये है कि कहते हैं कि अगर सच्चे हो तो ये क़यामत का वायदा कब (पूरा) होगा |
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2522 | 21 | 39 | لو يعلم الذين كفروا حين لا يكفون عن وجوههم النار ولا عن ظهورهم ولا هم ينصرون |
| | | और जो लोग काफ़िर हो बैठे काश उस वक्त क़ी हालत से आगाह होते (कि जहन्नुम की आग में खडे होंगे) और न अपने चेहरों से आग को हटा सकेंगे और न अपनी पीठ से और न उनकी मदद की जाएगी |
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