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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
26 | 2 | 19 | أو كصيب من السماء فيه ظلمات ورعد وبرق يجعلون أصابعهم في آذانهم من الصواعق حذر الموت والله محيط بالكافرين |
| | | या उनकी मिसाल ऐसी है जैसे आसमानी बारिश जिसमें तारिकियाँ ग़र्ज़ बिजली हो मौत के खौफ से कड़क के मारे अपने कानों में ऊँगलियाँ दे लेते हैं हालाँकि खुदा काफ़िरों को (इस तरह) घेरे हुए है (कि उसक हिल नहीं सकते) |
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27 | 2 | 20 | يكاد البرق يخطف أبصارهم كلما أضاء لهم مشوا فيه وإذا أظلم عليهم قاموا ولو شاء الله لذهب بسمعهم وأبصارهم إن الله على كل شيء قدير |
| | | क़रीब है कि बिजली उनकी ऑंखों को चौन्धिया दे जब उनके आगे बिजली चमकी तो उस रौशनी में चल खड़े हुए और जब उन पर अंधेरा छा गया तो (ठिठके के) खड़े हो गए और खुदा चाहता तो यूँ भी उनके देखने और सुनने की कूवतें छीन लेता बेशक खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
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28 | 2 | 21 | يا أيها الناس اعبدوا ربكم الذي خلقكم والذين من قبلكم لعلكم تتقون |
| | | ऐ लोगों अपने परवरदिगार की इबादत करो जिसने तुमको और उन लोगों को जो तुम से पहले थे पैदा किया है अजब नहीं तुम परहेज़गार बन जाओ |
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29 | 2 | 22 | الذي جعل لكم الأرض فراشا والسماء بناء وأنزل من السماء ماء فأخرج به من الثمرات رزقا لكم فلا تجعلوا لله أندادا وأنتم تعلمون |
| | | जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन का बिछौना और आसमान को छत बनाया और आसमान से पानी बरसाया फिर उसी ने तुम्हारे खाने के लिए बाज़ फल पैदा किए पस किसी को खुदा का हमसर न बनाओ हालाँकि तुम खूब जानते हो |
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30 | 2 | 23 | وإن كنتم في ريب مما نزلنا على عبدنا فأتوا بسورة من مثله وادعوا شهداءكم من دون الله إن كنتم صادقين |
| | | और अगर तुम लोग इस कलाम से जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाज़िल किया है शक में पड़े हो पस अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) एक सूरा बना लाओ और खुदा के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो |
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31 | 2 | 24 | فإن لم تفعلوا ولن تفعلوا فاتقوا النار التي وقودها الناس والحجارة أعدت للكافرين |
| | | पस अगर तुम ये नहीं कर सकते हो और हरगिज़ नहीं कर सकोगे तो उस आग से डरो सिके ईधन आदमी और पत्थर होंगे और काफ़िरों के लिए तैयार की गई है |
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32 | 2 | 25 | وبشر الذين آمنوا وعملوا الصالحات أن لهم جنات تجري من تحتها الأنهار كلما رزقوا منها من ثمرة رزقا قالوا هذا الذي رزقنا من قبل وأتوا به متشابها ولهم فيها أزواج مطهرة وهم فيها خالدون |
| | | और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक काम किए उनको (ऐ पैग़म्बर) खुशख़बरी दे दो कि उनके लिए (बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरे जारी हैं जब उन्हें इन बाग़ात का कोई मेवा खाने को मिलेगा तो कहेंगे ये तो वही (मेवा है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है) (क्योंकि) उन्हें मिलती जुलती सूरत व रंग के (मेवे) मिला करेंगे और बेहिश्त में उनके लिए साफ सुथरी बीवियाँ होगी और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे |
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33 | 2 | 26 | إن الله لا يستحيي أن يضرب مثلا ما بعوضة فما فوقها فأما الذين آمنوا فيعلمون أنه الحق من ربهم وأما الذين كفروا فيقولون ماذا أراد الله بهذا مثلا يضل به كثيرا ويهدي به كثيرا وما يضل به إلا الفاسقين |
| | | बेशक खुदा मच्छर या उससे भी बढ़कर (हक़ीर चीज़) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं झेंपता पस जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो ये यक़ीन जानते हैं कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह लोग जो काफ़िर है पस वह बोल उठते हैं कि खुदा का उस मिसाल से क्या मतलब है, ऐसी मिसाल से ख़ुदा बहुतेरों की हिदायत करता है मगर गुमराही में छोड़ता भी है तो ऐसे बदकारों को |
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34 | 2 | 27 | الذين ينقضون عهد الله من بعد ميثاقه ويقطعون ما أمر الله به أن يوصل ويفسدون في الأرض أولئك هم الخاسرون |
| | | जो लोग खुदा के एहदो पैमान को मज़बूत हो जाने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन (ताल्लुक़ात) का खुदा ने हुक्म दिया है उनको क़ताआ कर देते हैं और मुल्क में फसाद करते फिरते हैं, यही लोग घाटा उठाने वाले हैं |
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35 | 2 | 28 | كيف تكفرون بالله وكنتم أمواتا فأحياكم ثم يميتكم ثم يحييكم ثم إليه ترجعون |
| | | (हाँए) क्यों कर तुम खुदा का इन्कार कर सकते हो हालाँकि तुम (माओं के पेट में) बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा, फिर वही तुमको (दोबारा क़यामत में) ज़िन्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए जाओगे |
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