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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2495 | 21 | 12 | فلما أحسوا بأسنا إذا هم منها يركضون |
| | | तो जब उन लोगों ने हमारे अज़ाब की आहट पाई तो एका एकी भागने लगे |
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2496 | 21 | 13 | لا تركضوا وارجعوا إلى ما أترفتم فيه ومساكنكم لعلكم تسألون |
| | | (हमने कहा) भागो नहीं और उन्हीं बस्तियों और घरों में लौट जाओ जिनमें तुम चैन करते थे ताकि तुमसे कुछ पूछगछ की जाए |
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2497 | 21 | 14 | قالوا يا ويلنا إنا كنا ظالمين |
| | | वह लोग कहने लगे हाए हमारी शामत बेशक हम सरकश तो ज़रूर थे |
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2498 | 21 | 15 | فما زالت تلك دعواهم حتى جعلناهم حصيدا خامدين |
| | | ग़रज़ वह बराबर यही पड़े पुकारा किए यहाँ तक कि हमने उन्हें कटी हुई खेती की तरह बिछा के ठन्डा करके ढेर कर दिया |
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2499 | 21 | 16 | وما خلقنا السماء والأرض وما بينهما لاعبين |
| | | और हमने आसमान और ज़मीन को और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है बेकार लगो नहीं पैदा किया |
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2500 | 21 | 17 | لو أردنا أن نتخذ لهوا لاتخذناه من لدنا إن كنا فاعلين |
| | | अगर हम कोई खेल बनाना चाहते तो बेशक हम उसे अपनी तजवीज़ से बना लेते अगर हमको करना होता (मगर हमें शायान ही न था) |
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2501 | 21 | 18 | بل نقذف بالحق على الباطل فيدمغه فإذا هو زاهق ولكم الويل مما تصفون |
| | | बल्कि हम तो हक़ को नाहक़ (के सर) पर खींच मारते हैं तो वह बिल्कुल के सर को कुचल देता है फिर वह उसी वक्त नेस्तवेनाबूद हो जाता है और तुम पर अफ़सोस है कि ऐसी-ऐसी नाहक़ बातें बनाये करते हो |
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2502 | 21 | 19 | وله من في السماوات والأرض ومن عنده لا يستكبرون عن عبادته ولا يستحسرون |
| | | हालाँकि जो लोग (फरिश्ते) आसमान और ज़मीन में हैं (सब) उसी के (बन्दे) हैं और जो (फरिश्ते) उस सरकार में हैं न तो वह उसकी इबादत की शेख़ी करते हैं और न थकते हैं |
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2503 | 21 | 20 | يسبحون الليل والنهار لا يفترون |
| | | रात और दिन उसकी तस्बीह किया करते हैं (और) कभी काहिली नहीं करते |
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2504 | 21 | 21 | أم اتخذوا آلهة من الأرض هم ينشرون |
| | | उन लोगों जो माबूद ज़मीन में बना रखे हैं क्या वही (लोगों को) ज़िन्दा करेंगे |
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