نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2476 | 20 | 128 | أفلم يهد لهم كم أهلكنا قبلهم من القرون يمشون في مساكنهم إن في ذلك لآيات لأولي النهى |
| | | तो क्या उन (अहले मक्का) को उस (खुदा) ने ये नहीं बता दिया था कि हमने उनके पहले कितने लोगों को हलाक कर डाला जिनके घरों में ये लोग चलते फिरते हैं इसमें शक नहीं कि उसमें अक्लमंदों के लिए (कुदरते खुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं |
|
2477 | 20 | 129 | ولولا كلمة سبقت من ربك لكان لزاما وأجل مسمى |
| | | और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से पहले ही एक वायदा और अज़ाब का) एक वक्त मुअय्युन न होता तो (उनकी हरकतों से) फ़ौरन अज़ाब का आना लाज़मी बात थी |
|
2478 | 20 | 130 | فاصبر على ما يقولون وسبح بحمد ربك قبل طلوع الشمس وقبل غروبها ومن آناء الليل فسبح وأطراف النهار لعلك ترضى |
| | | (ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ |
|
2479 | 20 | 131 | ولا تمدن عينيك إلى ما متعنا به أزواجا منهم زهرة الحياة الدنيا لنفتنهم فيه ورزق ربك خير وأبقى |
| | | और (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी ज़िन्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज्यादा पाएदार है |
|
2480 | 20 | 132 | وأمر أهلك بالصلاة واصطبر عليها لا نسألك رزقا نحن نرزقك والعاقبة للتقوى |
| | | और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खुद भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खुद तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखैर है |
|
2481 | 20 | 133 | وقالوا لولا يأتينا بآية من ربه أولم تأتهم بينة ما في الصحف الأولى |
| | | और (अहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीव गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची |
|
2482 | 20 | 134 | ولو أنا أهلكناهم بعذاب من قبله لقالوا ربنا لولا أرسلت إلينا رسولا فنتبع آياتك من قبل أن نذل ونخزى |
| | | और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते |
|
2483 | 20 | 135 | قل كل متربص فتربصوا فستعلمون من أصحاب الصراط السوي ومن اهتدى |
| | | रसूल तुम कह दो कि हर शख्स (अपने अन्जामकार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है। |
|
2484 | 21 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم اقترب للناس حسابهم وهم في غفلة معرضون |
| | | लोगों के पास उनका हिसाब (उसका वक्त) अा पहुँचा और वह है कि गफ़लत में पड़े मुँह मोड़े ही जाते हैं |
|
2485 | 21 | 2 | ما يأتيهم من ذكر من ربهم محدث إلا استمعوه وهم يلعبون |
| | | जब उनके परवरदिगार की तरफ से उनके पास कोई नया हुक्म आता है तो उसे सिर्फ कान लगाकर सुन लेते हैं और (फिर उसका) हँसी खेल उड़ाते हैं |
|