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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2434 | 20 | 86 | فرجع موسى إلى قومه غضبان أسفا قال يا قوم ألم يعدكم ربكم وعدا حسنا أفطال عليكم العهد أم أردتم أن يحل عليكم غضب من ربكم فأخلفتم موعدي |
| | | तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?" |
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2435 | 20 | 87 | قالوا ما أخلفنا موعدك بملكنا ولكنا حملنا أوزارا من زينة القوم فقذفناها فكذلك ألقى السامري |
| | | उन्होंने कहा, "हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।" |
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2436 | 20 | 88 | فأخرج لهم عجلا جسدا له خوار فقالوا هذا إلهكم وإله موسى فنسي |
| | | और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, "यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।" |
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2437 | 20 | 89 | أفلا يرون ألا يرجع إليهم قولا ولا يملك لهم ضرا ولا نفعا |
| | | क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का? |
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2438 | 20 | 90 | ولقد قال لهم هارون من قبل يا قوم إنما فتنتم به وإن ربكم الرحمن فاتبعوني وأطيعوا أمري |
| | | और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि "मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।" |
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2439 | 20 | 91 | قالوا لن نبرح عليه عاكفين حتى يرجع إلينا موسى |
| | | उन्होंने कहा, "जब तक मूसा लौटकर हमारे पास न आ जाए, हम तो इससे ही लगे बैठे रहेंगे।" |
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2440 | 20 | 92 | قال يا هارون ما منعك إذ رأيتهم ضلوا |
| | | उसने कहा, "ऐ हारून! जब तुमने देखा कि ये पथभ्रष्ट हो गए है, तो किस चीज़ ने तुम्हें रोका |
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2441 | 20 | 93 | ألا تتبعن أفعصيت أمري |
| | | कि तुमने मेरा अनुसरण न किया? क्या तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की?" |
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2442 | 20 | 94 | قال يا ابن أم لا تأخذ بلحيتي ولا برأسي إني خشيت أن تقول فرقت بين بني إسرائيل ولم ترقب قولي |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरी माँ के बेटे! मेरी दाढ़ी न पकड़ और न मेरा सिर! मैं डरा कि तू कहेंगा कि तूने इसराईल की सन्तान में फूट डाल दी और मेरी बात पर ध्यान न दिया।" |
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2443 | 20 | 95 | قال فما خطبك يا سامري |
| | | (मूसा ने) कहा, "ऐ सामरी! तेरा क्या मामला है?" |
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