بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
24262078فأتبعهم فرعون بجنوده فغشيهم من اليم ما غشيهم
ग़रज़ फिरऔन ने अपने लशकर समैत उनका पीछा किया फिर दरिया (के पानी का रेला) जैसा कुछ उन पर छाया गया वह छा गया
24272079وأضل فرعون قومه وما هدى
और फिरऔन ने अपनी क़ौम को गुमराह (करके हलाक) कर डाला और उनकी हिदायत न की
24282080يا بني إسرائيل قد أنجيناكم من عدوكم وواعدناكم جانب الطور الأيمن ونزلنا عليكم المن والسلوى
ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाज़िल किया
24292081كلوا من طيبات ما رزقناكم ولا تطغوا فيه فيحل عليكم غضبي ومن يحلل عليه غضبي فقد هوى
और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी क़िस्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाज़िल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ
24302082وإني لغفار لمن تاب وآمن وعمل صالحا ثم اهتدى
और जो शख्स तौबा करे और ईमान लाए और अच्छे काम करे फिर साबित क़दम रहे तो हम उसको ज़रूर बख्शने वाले हैं
24312083وما أعجلك عن قومك يا موسى
फिर जब मूसा सत्तर आदमियों को लेकर चले और खुद बढ़ आए तो हमने कहा कि (ऐ मूसा तुमने अपनी क़ौम से आगे चलने में क्यों जल्दी की)
24322084قال هم أولاء على أثري وعجلت إليك رب لترضى
ग़रज़ की वह भी तो मेरे ही पीछे चले आ रहे हैं और इसी लिए मैं जल्दी करके तेरे पास इसलिए आगे बढ़ आया हूँ ताकि तू (मुझसे) खुश रहे
24332085قال فإنا قد فتنا قومك من بعدك وأضلهم السامري
फ़रमाया तो हमने तुम्हारे (आने के बाद) तुम्हारी क़ौम का इम्तिहान लिया और सामरी ने उनको गुमराह कर छोड़ा
24342086فرجع موسى إلى قومه غضبان أسفا قال يا قوم ألم يعدكم ربكم وعدا حسنا أفطال عليكم العهد أم أردتم أن يحل عليكم غضب من ربكم فأخلفتم موعدي
(तो मूसा) गुस्से में भरे पछताए हुए अपनी क़ौम की तरफ पलटे और आकर कहने लगे ऐ मेरी (क़म्बख्त) क़ौम क्या तुमसे तुम्हारे परवरदिगार ने एक अच्छा वायदा (तौरेत देने का) न किया था तुम्हारे वायदे में अरसा लग गया या तुमने ये चाहा कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार का ग़ज़ब टूंट पड़े कि तुमने मेरे वायदे (खुदा की परसतिश) के ख़िलाफ किया
24352087قالوا ما أخلفنا موعدك بملكنا ولكنا حملنا أوزارا من زينة القوم فقذفناها فكذلك ألقى السامري
वह लोग कहने लगे हमने आपके वायदे के ख़िलाफ नहीं किया बल्कि (बात ये हुईकि फिरऔन की) क़ौम के ज़ेवर के बोझे जो (मिस्र से निकलते वक्त) हम पर लोग गए थे उनको हम लोगों ने (सामरी के कहने से आग में) डाल दिया फिर सामरी ने भी डाल दिया


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