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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2384 | 20 | 36 | قال قد أوتيت سؤلك يا موسى |
| | | कहा, "दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा! |
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2385 | 20 | 37 | ولقد مننا عليك مرة أخرى |
| | | हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है |
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2386 | 20 | 38 | إذ أوحينا إلى أمك ما يوحى |
| | | जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है, |
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2387 | 20 | 39 | أن اقذفيه في التابوت فاقذفيه في اليم فليلقه اليم بالساحل يأخذه عدو لي وعدو له وألقيت عليك محبة مني ولتصنع على عيني |
| | | कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो |
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2388 | 20 | 40 | إذ تمشي أختك فتقول هل أدلكم على من يكفله فرجعناك إلى أمك كي تقر عينها ولا تحزن وقتلت نفسا فنجيناك من الغم وفتناك فتونا فلبثت سنين في أهل مدين ثم جئت على قدر يا موسى |
| | | याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है |
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2389 | 20 | 41 | واصطنعتك لنفسي |
| | | हमने तुझे अपने लिए तैयार किया है |
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2390 | 20 | 42 | اذهب أنت وأخوك بآياتي ولا تنيا في ذكري |
| | | जो, तू और तेरी भाई मेरी निशानियो के साथ; और मेरी याद में ढ़ीले मत पड़ना |
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2391 | 20 | 43 | اذهبا إلى فرعون إنه طغى |
| | | जाओ दोनों, फ़िरऔन के पास, वह सरकश हो गया है |
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2392 | 20 | 44 | فقولا له قولا لينا لعله يتذكر أو يخشى |
| | | उससे नर्म बात करना, कदाचित वह ध्यान दे या डरे।" |
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2393 | 20 | 45 | قالا ربنا إننا نخاف أن يفرط علينا أو أن يطغى |
| | | दोनों ने कहा, "ऐ हमारे रब! हमें इसका भय है कि वह हमपर ज़्यादती करे या सरकशी करने लग जाए।" |
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