بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
23832035إنك كنت بنا بصيرا
तू तो हमारी हालत देख ही रहा है
23842036قال قد أوتيت سؤلك يا موسى
फ़रमाया ऐ मूसा तुम्हारी सब दरख्वास्तें मंज़ूर की गई
23852037ولقد مننا عليك مرة أخرى
और हम तो तुम पर एक बार और एहसान कर चुके हैं
23862038إذ أوحينا إلى أمك ما يوحى
जब हमने तुम्हारी माँ को इलहाम किया जो अब तुम्हें ''वही'' के ज़रिए से बताया जाता है
23872039أن اقذفيه في التابوت فاقذفيه في اليم فليلقه اليم بالساحل يأخذه عدو لي وعدو له وألقيت عليك محبة مني ولتصنع على عيني
कि तुम इसे (मूसा को) सन्दूक़ में रखकर सन्दूक़ को दरिया में डाल दो फिर दरिया उसे ढकेल कर किनारे डाल देगा कि मूसा को मेरा दुशमन और मूसा का दुशमन (फिरऔन) उठा लेगा और मैंने तुम पर अपनी मोहब्बत को डाल दिया जो देखता (प्यार करता) ताकि तुम मेरी ख़ास निगरानी में पाले पोसे जाओ
23882040إذ تمشي أختك فتقول هل أدلكم على من يكفله فرجعناك إلى أمك كي تقر عينها ولا تحزن وقتلت نفسا فنجيناك من الغم وفتناك فتونا فلبثت سنين في أهل مدين ثم جئت على قدر يا موسى
(उस वक्त) ज़ब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो (इस तदबीर से) हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी ऑंखें ठन्डी रहें और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख्स (क़िबती) को मार डाला था और सख्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदयन के लोगों में जाकर रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए
23892041واصطنعتك لنفسي
और मैंने तुमको अपनी रिसालत के वास्ते मुन्तख़िब किया
23902042اذهب أنت وأخوك بآياتي ولا تنيا في ذكري
तुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना
23912043اذهبا إلى فرعون إنه طغى
तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ बेशक वह बहुत सरकश हो गया है
23922044فقولا له قولا لينا لعله يتذكر أو يخشى
फिर उससे (जाकर) नरमी से बातें करो ताकि वह नसीहत मान ले या डर जाए


0 ... 228.2 229.2 230.2 231.2 232.2 233.2 234.2 235.2 236.2 237.2 239.2 240.2 241.2 242.2 243.2 244.2 245.2 246.2 247.2 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

38081825977823173153011394135325032497