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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
238 | 2 | 231 | وإذا طلقتم النساء فبلغن أجلهن فأمسكوهن بمعروف أو سرحوهن بمعروف ولا تمسكوهن ضرارا لتعتدوا ومن يفعل ذلك فقد ظلم نفسه ولا تتخذوا آيات الله هزوا واذكروا نعمت الله عليكم وما أنزل عليكم من الكتاب والحكمة يعظكم به واتقوا الله واعلموا أن الله بكل شيء عليم |
| | | और जब तुम अपनी बीवियों को तलाक़ दो और उनकी मुद्दत पूरी होने को आए तो अच्छे उनवान से उन को रोक लो या हुस्ने सुलूक से बिल्कुल रुख़सत ही कर दो और उन्हें तकलीफ पहुँचाने के लिए न रोको ताकि (फिर उन पर) ज्यादती करने लगो और जो ऐसा करेगा तो यक़ीनन अपने ही पर जुल्म करेगा और ख़ुदा के एहकाम को कुछ हँसी ठट्टा न समझो और ख़ुदा ने जो तुम्हें नेअमतें दी हैं उन्हें याद करो और जो किताब और अक्ल की बातें तुम पर नाज़िल की उनसे तुम्हारी नसीहत करता है और ख़ुदा से डरते रहो और समझ रखो कि ख़ुदा हर चीज़ को ज़रुर जानता है |
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239 | 2 | 232 | وإذا طلقتم النساء فبلغن أجلهن فلا تعضلوهن أن ينكحن أزواجهن إذا تراضوا بينهم بالمعروف ذلك يوعظ به من كان منكم يؤمن بالله واليوم الآخر ذلكم أزكى لكم وأطهر والله يعلم وأنتم لا تعلمون |
| | | और जब तुम औरतों को तलाक़ दो और वह अपनी मुद्दत (इद्दत) पूरी कर लें तो उन्हें अपने शौहरों के साथ निकाह करने से न रोकों जब आपस में दोनों मिया बीवी शरीयत के मुवाफिक़ अच्छी तरह मिल जुल जाएँ ये उसी शख्स को नसीहत की जाती है जो तुम में से ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान ला चुका हो यही तुम्हारे हक़ में बड़ी पाकीज़ा और सफ़ाई की बात है और उसकी ख़ूबी ख़ुदा खूब जानता है और तुम (वैसा) नहीं जानते हो |
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240 | 2 | 233 | والوالدات يرضعن أولادهن حولين كاملين لمن أراد أن يتم الرضاعة وعلى المولود له رزقهن وكسوتهن بالمعروف لا تكلف نفس إلا وسعها لا تضار والدة بولدها ولا مولود له بولده وعلى الوارث مثل ذلك فإن أرادا فصالا عن تراض منهما وتشاور فلا جناح عليهما وإن أردتم أن تسترضعوا أولادكم فلا جناح عليكم إذا سلمتم ما آتيتم بالمعروف واتقوا الله واعلموا أن الله بما تعملون بصير |
| | | और (तलाक़ देने के बाद) जो शख्स अपनी औलाद को पूरी मुद्दत तक दूध पिलवाना चाहे तो उसकी ख़ातिर से माएँ अपनी औलाद को पूरे दो बरस दूध पिलाएँ और जिसका वह लड़का है (बाप) उस पर माओं का खाना कपड़ा दस्तूर के मुताबिक़ लाज़िम है किसी शख्स को ज़हमत नहीं दी जाती मगर उसकी गुन्जाइश भर न माँ का उस के बच्चे की वजह से नुक़सान गवारा किया जाए और न जिस का लड़का है (बाप) उसका (बल्कि दस्तूर के मुताबिक़ दिया जाए) और अगर बाप न हो तो दूध पिलाने का हक़ उसी तरह वारिस पर लाज़िम है फिर अगर दो बरस के क़ब्ल माँ बाप दोनों अपनी मरज़ी और मशवरे से दूध बढ़ाई करना चाहें तो उन दोनों पर कोई गुनाह नहीं और अगर तुम अपनी औलाद को (किसी अन्ना से) दूध पिलवाना चाहो तो उस में भी तुम पर कुछ गुनाह नहीं है बशर्ते कि जो तुमने दस्तूर के मुताबिक़ मुक़र्रर किया है उन के हवाले कर दो और ख़ुदा से डरते रहो और जान रखो कि जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा ज़रुर देखता है |
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241 | 2 | 234 | والذين يتوفون منكم ويذرون أزواجا يتربصن بأنفسهن أربعة أشهر وعشرا فإذا بلغن أجلهن فلا جناح عليكم فيما فعلن في أنفسهن بالمعروف والله بما تعملون خبير |
| | | और तुममें से जो लोग बीवियाँ छोड़ के मर जाएँ तो ये औरतें चार महीने दस रोज़ (इद्दा भर) अपने को रोके (और दूसरा निकाह न करें) फिर जब (इद्दे की मुद्दत) पूरी कर ले तो शरीयत के मुताबिक़ जो कुछ अपने हक़ में करें इस बारे में तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उस से ख़बरदार है |
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242 | 2 | 235 | ولا جناح عليكم فيما عرضتم به من خطبة النساء أو أكننتم في أنفسكم علم الله أنكم ستذكرونهن ولكن لا تواعدوهن سرا إلا أن تقولوا قولا معروفا ولا تعزموا عقدة النكاح حتى يبلغ الكتاب أجله واعلموا أن الله يعلم ما في أنفسكم فاحذروه واعلموا أن الله غفور حليم |
| | | और अगर तुम (उस ख़ौफ से कि शायद कोई दूसरा निकाह कर ले) उन औरतों से इशारतन निकाह की (कैद इद्दा) ख़ास्तगारी (उम्मीदवारी) करो या अपने दिलो में छिपाए रखो तो उसमें भी कुछ तुम पर इल्ज़ाम नहीं हैं (क्योंकि) ख़ुदा को मालूम है कि (तुम से सब्र न हो सकेगा और) उन औरतों से निकाह करने का ख्याल आएगा लेकिन चोरी छिपे से निकाह का वायदा न करना मगर ये कि उन से अच्छी बात कह गुज़रों (तो मज़ाएक़ा नहीं) और जब तक मुक़र्रर मियाद गुज़र न जाए निकाह का क़सद (इरादा) भी न करना और समझ रखो कि जो कुछ तुम्हारी दिल में है ख़ुदा उस को ज़रुर जानता है तो उस से डरते रहो और (ये भी) जान लो कि ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दबार है |
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243 | 2 | 236 | لا جناح عليكم إن طلقتم النساء ما لم تمسوهن أو تفرضوا لهن فريضة ومتعوهن على الموسع قدره وعلى المقتر قدره متاعا بالمعروف حقا على المحسنين |
| | | और अगर तुम ने अपनी बीवियों को हाथ तक न लगाया हो और न महर मुअय्युन किया हो और उसके क़ब्ल ही तुम उनको तलाक़ दे दो (तो इस में भी) तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है हाँ उन औरतों के साथ (दस्तूर के मुताबिक़) मालदार पर अपनी हैसियत के मुआफिक़ और ग़रीब पर अपनी हैसियत के मुवाफिक़ (कपड़े रुपए वग़ैरह से) कुछ सुलूक करना लाज़िम है नेकी करने वालों पर ये भी एक हक़ है |
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244 | 2 | 237 | وإن طلقتموهن من قبل أن تمسوهن وقد فرضتم لهن فريضة فنصف ما فرضتم إلا أن يعفون أو يعفو الذي بيده عقدة النكاح وأن تعفوا أقرب للتقوى ولا تنسوا الفضل بينكم إن الله بما تعملون بصير |
| | | और अगर तुम उन औरतों का मेहर तो मुअय्यन कर चुके हो मगर हाथ लगाने के क़ब्ल ही तलाक़ दे दो तो उन औरतों को मेहर मुअय्यन का आधा दे दो मगर ये कि ये औरतें ख़ुद माफ कर दें या उन का वली जिसके हाथ में उनके निकाह का एख्तेयार हो माफ़ कर दे (तब कुछ नही) और अगर तुम ही सारा मेहर बख्श दो तो परहेज़गारी से बहुत ही क़रीब है और आपस की बुर्ज़ुगी तो मत भूलो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा ज़रुर देख रहा है |
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245 | 2 | 238 | حافظوا على الصلوات والصلاة الوسطى وقوموا لله قانتين |
| | | और (मुसलमानों) तुम तमाम नमाज़ों की और ख़ुसूसन बीच वाली नमाज़ सुबह या ज़ोहर या अस्र की पाबन्दी करो और ख़ास ख़ुदा ही वास्ते नमाज़ में क़ुनूत पढ़ने वाले हो कर खड़े हो फिर अगर तुम ख़ौफ की हालत में हो |
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246 | 2 | 239 | فإن خفتم فرجالا أو ركبانا فإذا أمنتم فاذكروا الله كما علمكم ما لم تكونوا تعلمون |
| | | और पूरी नमाज़ न पढ़ सको तो सवार या पैदल जिस तरह बन पड़े पढ़ लो फिर जब तुम्हें इत्मेनान हो तो जिस तरह ख़ुदा ने तुम्हें (अपने रसूल की मआरफत इन बातों को सिखाया है जो तुम नहीं जानते थे |
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247 | 2 | 240 | والذين يتوفون منكم ويذرون أزواجا وصية لأزواجهم متاعا إلى الحول غير إخراج فإن خرجن فلا جناح عليكم في ما فعلن في أنفسهن من معروف والله عزيز حكيم |
| | | उसी तरह ख़ुदा को याद करो और तुम में से जो लोग अपनी बीवियों को छोड़ कर मर जाएँ उन पर अपनी बीबियों के हक़ में साल भर तक के नान व नुफ्के (रोटी कपड़ा) और (घर से) न निकलने की वसीयत करनी (लाज़िम) है पस अगर औरतें ख़ुद निकल खड़ी हो तो जायज़ बातों (निकाह वगैरह) से कुछ अपने हक़ में करे उसका तुम पर कुछ इल्ज़ाम नही है और ख़ुदा हर यै पर ग़ालिब और हिक़मत वाला है |
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