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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2360 | 20 | 12 | إني أنا ربك فاخلع نعليك إنك بالواد المقدس طوى |
| | | कि ऐ मूसा बेशक मैं ही तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो तुम अपनी जूतियाँ उतार डालो क्योंकि तुम (इस वक्त) तुआ (नामी) पाक़ीज़ा चटियल मैदान में हो |
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2361 | 20 | 13 | وأنا اخترتك فاستمع لما يوحى |
| | | और मैंने तुमको पैग़म्बरी के वास्ते मुन्तख़िब किया (चुन लिया) है तो जो कुछ तुम्हारी तरफ़ वही की जाती है उसे कान लगा कर सुनो |
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2362 | 20 | 14 | إنني أنا الله لا إله إلا أنا فاعبدني وأقم الصلاة لذكري |
| | | इसमें शक नहीं कि मैं ही वह अल्लाह हूँ कि मेरे सिवा कोई माबूद नहीं तो मेरी ही इबादत करो और मेरी याद के लिए नमाज़ बराबर पढ़ा करो |
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2363 | 20 | 15 | إن الساعة آتية أكاد أخفيها لتجزى كل نفس بما تسعى |
| | | (क्योंकि) क़यामत ज़रूर आने वाली है और मैं उसे लामहौला छिपाए रखूँगा ताकि हर शख्स (उसके ख़ौफ से नेकी करे) और वैसी कोशिश की है उसका उसे बदला दिया जाए |
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2364 | 20 | 16 | فلا يصدنك عنها من لا يؤمن بها واتبع هواه فتردى |
| | | तो (कहीं) ऐसा न हो कि जो शख्स उसे दिल से नहीं मानता और अपनी नफ़सियानी ख्वाहिश के पीछे पड़ा वह तुम्हें इस (फिक्र) से रोक दे तो तुम तबाह हो जाओगे |
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2365 | 20 | 17 | وما تلك بيمينك يا موسى |
| | | और ऐ मूसा ये तुम्हारे दाहिने हाथ में क्या चीज़ है |
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2366 | 20 | 18 | قال هي عصاي أتوكأ عليها وأهش بها على غنمي ولي فيها مآرب أخرى |
| | | अर्ज़ की ये तो मेरी लाठी है मैं उस पर सहारा करता हूँ और इससे अपनी बकरियों पर (और दरख्तों की) पत्तियाँ झाड़ता हूँ और उसमें मेरे और भी मतलब हैं |
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2367 | 20 | 19 | قال ألقها يا موسى |
| | | फ़रमाया ऐ मूसा उसको ज़रा ज़मीन पर डाल तो दो मूसा ने उसे डाल दिया |
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2368 | 20 | 20 | فألقاها فإذا هي حية تسعى |
| | | तो फ़ौरन वह साँप बनकर दौड़ने लगा (ये देखकर मूसा भागे) |
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2369 | 20 | 21 | قال خذها ولا تخف سنعيدها سيرتها الأولى |
| | | तो फ़रमाया कि तुम इसको पकड़ लो और डरो नहीं मैं अभी इसकी पहली सी सूरत फिर किए देता हूँ |
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