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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2349 | 20 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم طه |
| | | ऐ ता हा (रसूलअल्लाह) |
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2350 | 20 | 2 | ما أنزلنا عليك القرآن لتشقى |
| | | हमने तुम पर कुरान इसलिए नाज़िल नहीं किया कि तुम (इस क़दर) मशक्क़त उठाओ |
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2351 | 20 | 3 | إلا تذكرة لمن يخشى |
| | | मगर जो शख्स खुदा से डरता है उसके लिए नसीहत (क़रार दिया है) |
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2352 | 20 | 4 | تنزيلا ممن خلق الأرض والسماوات العلى |
| | | (ये) उस शख्स की तरफ़ से नाज़िल हुआ है जिसने ज़मीन और ऊँचे-ऊँचे आसमानों को पैदा किया |
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2353 | 20 | 5 | الرحمن على العرش استوى |
| | | वही रहमान है जो अर्श पर (हुक्मरानी के लिए) आमादा व मुस्तईद है |
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2354 | 20 | 6 | له ما في السماوات وما في الأرض وما بينهما وما تحت الثرى |
| | | जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है और जो कुछ दोनों के बीच में है और जो कुछ ज़मीन के नीचे है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है |
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2355 | 20 | 7 | وإن تجهر بالقول فإنه يعلم السر وأخفى |
| | | और अगर तू पुकार कर बात करे (तो भी आहिस्ता करे तो भी) वह यक़ीनन भेद और उससे ज्यादा पोशीदा चीज़ को जानता है |
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2356 | 20 | 8 | الله لا إله إلا هو له الأسماء الحسنى |
| | | अल्लाह (वह माबूद है कि) उसके सिवा कोइ माबूद नहीं है (अच्छे-अच्छे) उसी के नाम हैं |
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2357 | 20 | 9 | وهل أتاك حديث موسى |
| | | और (ऐ रसूल) क्या तुम तक मूसा की ख़बर पहुँची है कि जब उन्होंने दूर से आग देखी |
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2358 | 20 | 10 | إذ رأى نارا فقال لأهله امكثوا إني آنست نارا لعلي آتيكم منها بقبس أو أجد على النار هدى |
| | | तो अपने घर के लोगों से कहने लगे कि तुम लोग (ज़रा यहीं) ठहरो मैंने आग देखी है क्या अजब है कि मैं वहाँ (जाकर) उसमें से एक अंगारा तुम्हारे पास ले आऊँ या आग के पास किसी राह का पता पा जाऊँ |
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