بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
23221972ثم ننجي الذين اتقوا ونذر الظالمين فيها جثيا
फिर हम परहेज़गारों को बचाएँगे और नाफ़रमानों को घुटने के भल उसमें छोड़ देंगे
23231973وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قال الذين كفروا للذين آمنوا أي الفريقين خير مقاما وأحسن نديا
और जब हमारी वाज़ेए रौशन आयतें उनके सामने पढ़ी जाती हैं तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया ईमानवालों से पूछते हैं भला ये तो बताओ कि हम तुम दोनों फरीक़ो में से मरतबे में कौन ज्यादा बेहतर है और किसकी महफिल ज्यादा अच्छी है
23241974وكم أهلكنا قبلهم من قرن هم أحسن أثاثا ورئيا
हालाँकि हमने उनसे पहले बहुत सी जमाअतों को हलाक कर छोड़ा जो उनसे साज़ो सामान और ज़ाहिरी नमूद में कहीं बढ़ चढ़ के थी
23251975قل من كان في الضلالة فليمدد له الرحمن مدا حتى إذا رأوا ما يوعدون إما العذاب وإما الساعة فسيعلمون من هو شر مكانا وأضعف جندا
(ऐ रसूल) कह दो कि जो शख्स गुमराही में पड़ा है तो खुदा उसको ढ़ील ही देता चला जाता है यहाँ तक कि उस चीज़ को (अपनी ऑंखों से) देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया गया है या अज़ाब या क़यामत तो उस वक्त उन्हें मालूम हो जाएगा कि मरतबे में कौन बदतर है और लश्कर (जत्थे) में कौन कमज़ोर है (बेकस) है
23261976ويزيد الله الذين اهتدوا هدى والباقيات الصالحات خير عند ربك ثوابا وخير مردا
और जो लोग राहे रास्त पर हैं खुदा उनकी हिदायत और ज्यादा करता जाता है और बाक़ी रह जाने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब की राह से भी बेहतर है और अन्जाम के ऐतबार से (भी) बेहतर है
23271977أفرأيت الذي كفر بآياتنا وقال لأوتين مالا وولدا
(ऐ रसूल) क्या तुमने उस शख्स पर भी नज़र की जिसने हमारी आयतों से इन्कार किया और कहने लगा कि (अगर क़यामत हुईतो भी) मुझे माल और औलाद ज़रूर मिलेगी
23281978أطلع الغيب أم اتخذ عند الرحمن عهدا
क्या उसे ग़ैब का हाल मालूम हो गया है या उसने खुदा से कोई अहद (व पैमान) ले रखा है हरग़िज नहीं
23291979كلا سنكتب ما يقول ونمد له من العذاب مدا
जो कुछ ये बकता है (सब) हम सभी से लिखे लेते हैं और उसके लिए और ज्यादा अज़ाब बढ़ाते हैं
23301980ونرثه ما يقول ويأتينا فردا
और वो माल व औलाद की निस्बत बक रहा है हम ही उसके मालिक हो बैठेंगे और ये हमारे पास तनहा आयेगा
23311981واتخذوا من دون الله آلهة ليكونوا لهم عزا
और उन लोगों ने खुदा को छोड़कर दूसरे-दूसरे माबूद बना रखे हैं ताकि वह उनकी इज्ज़त के बाएस हों हरग़िज़ नहीं


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