بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
23031953ووهبنا له من رحمتنا أخاه هارون نبيا
और हमने उन्हें अपनी ख़ास मेहरबानी से उनके भाई हारून को (उनका वज़ीर बनाकर) इनायत फ़रमाया
23041954واذكر في الكتاب إسماعيل إنه كان صادق الوعد وكان رسولا نبيا
(ऐ रसूल) कुरान में इसमाईल का (भी) तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह वायदे के सच्चे थे और भेजे हुए पैग़म्बर थे
23051955وكان يأمر أهله بالصلاة والزكاة وكان عند ربه مرضيا
और अपने घर के लोगों को नमाज़ पढ़ने और ज़कात देने की ताकीद किया करते थे और अपने परवरदिगार की बारगाह में पसन्दीदा थे
23061956واذكر في الكتاب إدريس إنه كان صديقا نبيا
और (ऐ रसूल) कुरान में इदरीस का भी तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह बड़े सच्चे (बन्दे और) नबी थे
23071957ورفعناه مكانا عليا
और हमने उनको बहुत ऊँची जगह (बेहिश्त में) बुलन्द कर (के पहुँचा) दिया
23081958أولئك الذين أنعم الله عليهم من النبيين من ذرية آدم وممن حملنا مع نوح ومن ذرية إبراهيم وإسرائيل وممن هدينا واجتبينا إذا تتلى عليهم آيات الرحمن خروا سجدا وبكيا
ये अम्बिया लोग जिन्हें खुदा ने अपनी नेअमत दी आदमी की औलाद से हैं और उनकी नस्ल से जिन्हें हमने (तूफ़ान के वक्त) नूह के साथ (कश्ती पर) सवारकर लिया था और इबराहीम व याकूब की औलाद से हैं और उन लोगों में से हैं जिनकी हमने हिदायत की और मुन्तिख़ब किया जब उनके सामने खुदा की (नाज़िल की हुई) आयतें पढ़ी जाती थीं तो सजदे में ज़ारोक़तार रोते हुए गिर पड़ते थे (58) सजदा
23091959فخلف من بعدهم خلف أضاعوا الصلاة واتبعوا الشهوات فسوف يلقون غيا
फिर उनके बाद कुछ नाख़लफ (उनके) जानशीन हुए जिन्होंने नमाज़ें खोयी और नफ़सानी ख्वाहिशों के चेले बन बैठे अनक़रीब ही ये लोग (अपनी) गुमराही (के ख़ामयाजे) से जा मिलेंगे
23101960إلا من تاب وآمن وعمل صالحا فأولئك يدخلون الجنة ولا يظلمون شيئا
मगर (हाँ) जिसने तौबा कर लिया और अच्छे-अच्छे काम किए तो ऐसे लोग बेहिश्त में दाख़िल होंगे और उन पर कुछ भी जुल्म नहीं किया जाएगा वह सदाबहार बाग़ात में रहेंगे
23111961جنات عدن التي وعد الرحمن عباده بالغيب إنه كان وعده مأتيا
जिनका खुदा ने अपने बन्दों से ग़ाएबाना वायदा कर लिया है बेशक उसका वायदा पूरा होने वाला है
23121962لا يسمعون فيها لغوا إلا سلاما ولهم رزقهم فيها بكرة وعشيا
वह लोग वहाँ सलाम के सिवा कोई बेहूदा बात सुनेंगे ही नहीं मगर हर तरफ से इस्लाम ही इस्लाम (की आवाज़ आएगी) और वहाँ उनका खाना सुबह व शाम (जिस वक्त चाहेंगे) उनके लिए (तैयार) रहेगा


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