بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
2253193إذ نادى ربه نداء خفيا
कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से पुकारा
2254194قال رب إني وهن العظم مني واشتعل الرأس شيبا ولم أكن بدعائك رب شقيا
(और) अर्ज़ की ऐ मेरे पालने वाले मेरी हड्डियां कमज़ोर हो गई और सर है कि बुढ़ापे की (आग से) भड़क उठा (सेफद हो गया) है और ऐ मेरे पालने वाले मैं तेरी बारगाह में दुआ कर के कभी महरूम नहीं रहा हूँ
2255195وإني خفت الموالي من ورائي وكانت امرأتي عاقرا فهب لي من لدنك وليا
और मैं अपने (मरने के) बाद अपने वारिसों से सहम जाता हूँ (कि मुबादा दीन को बरबाद करें) और मेरी बीबी उम्मे कुलसूम बिनते इमरान बांझ है पस तू मुझको अपनी बारगाह से एक जाँनशीन फरज़न्द अता फ़रमा
2256196يرثني ويرث من آل يعقوب واجعله رب رضيا
जो मेरी और याकूब की नस्ल की मीरास का मालिक हो ऐ मेरे परवरदिगार और उसको अपना पसन्दीदा बन्दा बना
2257197يا زكريا إنا نبشرك بغلام اسمه يحيى لم نجعل له من قبل سميا
खुदा ने फरमाया हम तुमको एक लड़के की खुशख़बरी देते हैं जिसका नाम यहया होगा और हमने उससे पहले किसी को उसका हमनाम नहीं पैदा किया
2258198قال رب أنى يكون لي غلام وكانت امرأتي عاقرا وقد بلغت من الكبر عتيا
ज़करिया ने अर्ज़ की या इलाही (भला) मुझे लड़का क्योंकर होगा और हालत ये है कि मेरी बीवी बाँझ है और मैं खुद हद से ज्यादा बुढ़ापे को पहुँच गया हूँ
2259199قال كذلك قال ربك هو علي هين وقد خلقتك من قبل ولم تك شيئا
(खुदा ने) फ़रमाया ऐसा ही होगा तुम्हारा परवरदिगार फ़रमाता है कि ये बात हम पर (कुछ दुशवार नहीं) आसान है और (तुम अपने को तो ख्याल करो कि) इससे पहले तुमको पैदा किया हालाँकि तुम कुछ भी न थे
22601910قال رب اجعل لي آية قال آيتك ألا تكلم الناس ثلاث ليال سويا
ज़करिया ने अर्ज़ की इलाही मेरे लिए कोई अलामत मुक़र्रर कर दें हुक्म हुआ तुम्हारी पहचान ये है कि तुम तीन रात (दिन) बराबर लोगों से बात नहीं कर सकोगे
22611911فخرج على قومه من المحراب فأوحى إليهم أن سبحوا بكرة وعشيا
फिर ज़करिया (अपने इबादत के) हुजरे से अपनी क़ौम के पास (हिदायत देने के लिए) निकले तो उन से इशारा किया कि तुम लोग सुबह व शाम बराबर उसकी तसबीह (व तक़दीस) किया करो
22621912يا يحيى خذ الكتاب بقوة وآتيناه الحكم صبيا
(ग़रज़ यहया पैदा हुए और हमने उनसे कहा) ऐ यहया किताब (तौरेत) मज़बूती के साथ लो


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