نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
224 | 2 | 217 | يسألونك عن الشهر الحرام قتال فيه قل قتال فيه كبير وصد عن سبيل الله وكفر به والمسجد الحرام وإخراج أهله منه أكبر عند الله والفتنة أكبر من القتل ولا يزالون يقاتلونكم حتى يردوكم عن دينكم إن استطاعوا ومن يرتدد منكم عن دينه فيمت وهو كافر فأولئك حبطت أعمالهم في الدنيا والآخرة وأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | वे तुमसे आदरणीय महीने में युद्ध के विषय में पूछते है। कहो, "उसमें लड़ना बड़ी गम्भीर बात है, परन्तु अल्लाह के मार्ग से रोकना, उसके साथ अविश्वास करना, मस्जिदे हराम (काबा) से रोकना और उसके लोगों को उससे निकालना, अल्लाह की स्पष्ट में इससे भी अधिक गम्भीर है और फ़ितना (उत्पीड़न), रक्तपात से भी बुरा है।" और उसका बस चले तो वे तो तुमसे बराबर लड़ते रहे, ताकि तुम्हें तुम्हारे दीन (धर्म) से फेर दें। और तुममे से जो कोई अपने दीन से फिर जाए और अविश्वासी होकर मरे, तो ऐसे ही लोग है जिनके कर्म दुनिया और आख़िरत में नष्ट हो गए, और वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है, वे उसी में सदैव रहेंगे |
|
225 | 2 | 218 | إن الذين آمنوا والذين هاجروا وجاهدوا في سبيل الله أولئك يرجون رحمت الله والله غفور رحيم |
| | | रहे वे लोग जो ईमान लाए और जिन्होंने अल्लाह के मार्ग में घर-बार छोड़ा और जिहाद किया, वहीं अल्लाह की दयालुता की आशा रखते है। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
|
226 | 2 | 219 | يسألونك عن الخمر والميسر قل فيهما إثم كبير ومنافع للناس وإثمهما أكبر من نفعهما ويسألونك ماذا ينفقون قل العفو كذلك يبين الله لكم الآيات لعلكم تتفكرون |
| | | तुमसे शराब और जुए के विषय में पूछते है। कहो, "उन दोनों चीज़ों में बड़ा गुनाह है, यद्यपि लोगों के लिए कुछ फ़ायदे भी है, परन्तु उनका गुनाह उनके फ़ायदे से कहीं बढकर है।" और वे तुमसे पूछते है, "कितना ख़र्च करें?" कहो, "जो आवश्यकता से अधिक हो।" इस प्रकार अल्लाह दुनिया और आख़िरत के विषय में तुम्हारे लिए अपनी आयते खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम सोच-विचार करो। |
|
227 | 2 | 220 | في الدنيا والآخرة ويسألونك عن اليتامى قل إصلاح لهم خير وإن تخالطوهم فإخوانكم والله يعلم المفسد من المصلح ولو شاء الله لأعنتكم إن الله عزيز حكيم |
| | | और वे तुमसे अनाथों के विषय में पूछते है। कहो, "उनके सुधार की जो रीति अपनाई जाए अच्छी है। और यदि तुम उन्हें अपने साथ सम्मिलित कर लो तो वे तुम्हारे भाई-बन्धु ही हैं। और अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवाले को बचाव पैदा करनेवाले से अलग पहचानता है। और यदि अल्लाह चाहता तो तुमको ज़हमत (कठिनाई) में डाल देता। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।" |
|
228 | 2 | 221 | ولا تنكحوا المشركات حتى يؤمن ولأمة مؤمنة خير من مشركة ولو أعجبتكم ولا تنكحوا المشركين حتى يؤمنوا ولعبد مؤمن خير من مشرك ولو أعجبكم أولئك يدعون إلى النار والله يدعو إلى الجنة والمغفرة بإذنه ويبين آياته للناس لعلهم يتذكرون |
| | | और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानदारी बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियाँ) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला गुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते है और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें |
|
229 | 2 | 222 | ويسألونك عن المحيض قل هو أذى فاعتزلوا النساء في المحيض ولا تقربوهن حتى يطهرن فإذا تطهرن فأتوهن من حيث أمركم الله إن الله يحب التوابين ويحب المتطهرين |
| | | और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते है। कहो, "वह एक तकलीफ़ और गन्दगी की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में स्त्रियों से अलग रहो और उनके पास न जाओ, जबतक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाए, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसन्द करता है और वह उन्हें पसन्द करता है जो स्वच्छता को पसन्द करते है |
|
230 | 2 | 223 | نساؤكم حرث لكم فأتوا حرثكم أنى شئتم وقدموا لأنفسكم واتقوا الله واعلموا أنكم ملاقوه وبشر المؤمنين |
| | | तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान ले कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो |
|
231 | 2 | 224 | ولا تجعلوا الله عرضة لأيمانكم أن تبروا وتتقوا وتصلحوا بين الناس والله سميع عليم |
| | | अपने नेक और धर्मपरायण होने और लोगों के मध्य सुधारक होने के सिलसिले में अपनी क़समों के द्वारा अल्लाह को आड़ और निशाना न बनाओ कि इन कामों को छोड़ दो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है |
|
232 | 2 | 225 | لا يؤاخذكم الله باللغو في أيمانكم ولكن يؤاخذكم بما كسبت قلوبكم والله غفور حليم |
| | | अल्लाह तुम्हें तुम्हारी ऐसी कसमों पर नहीं पकड़ेगा जो यूँ ही मुँह से निकल गई हो, लेकिन उन क़समों पर वह तुम्हें अवश्य पकड़ेगा जो तुम्हारे दिल के इरादे का नतीजा हों। अल्लाह बहुत क्षमा करनेवाला, सहनशील है |
|
233 | 2 | 226 | للذين يؤلون من نسائهم تربص أربعة أشهر فإن فاءوا فإن الله غفور رحيم |
| | | जो लोग अपनी स्त्रियों से अलग रहने की क़सम खा बैठें, उनके लिए चार महीने की प्रतिक्षा है। फिर यदि वे पलट आएँ, तो अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
|