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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2212 | 18 | 72 | قال ألم أقل إنك لن تستطيع معي صبرا |
| | | कि लोगों को डुबा दीजिए ये तो आप ने बड़ी अजीब बात की है-ख़िज्र ने कहा क्या मैने आप से (पहले ही) न कह दिया था |
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2213 | 18 | 73 | قال لا تؤاخذني بما نسيت ولا ترهقني من أمري عسرا |
| | | कि आप मेरे साथ हरगिज़ सब्र न कर सकेगे-मूसा ने कहा अच्छा जो हुआ सो हुआ आप मेरी गिरफत न कीजिए और मुझ पर मेरे इस मामले में इतनी सख्ती न कीजिए |
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2214 | 18 | 74 | فانطلقا حتى إذا لقيا غلاما فقتله قال أقتلت نفسا زكية بغير نفس لقد جئت شيئا نكرا |
| | | (ख़ैर ये तो हो गया) फिर दोनों के दोनों आगे चले यहाँ तक कि दोनों एक लड़के से मिले तो उस बन्दे ख़ुदा ने उसे जान से मार डाला मूसा ने कहा (ऐ माज़ अल्लाह) क्या आपने एक मासूम शख़्श को मार डाला और वह भी किसी के (ख़ौफ के) बदले में नहीं आपने तो यक़ीनी एक अजीब हरकत की |
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2215 | 18 | 75 | قال ألم أقل لك إنك لن تستطيع معي صبرا |
| | | खिज्र ने कहा कि मैंने आपसे (मुक़र्रर) न कह दिया था कि आप मेरे साथ हरगिज़ नहीं सब्र कर सकेगें |
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2216 | 18 | 76 | قال إن سألتك عن شيء بعدها فلا تصاحبني قد بلغت من لدني عذرا |
| | | मूसा ने कहा (ख़ैर जो हुआ वह हुआ) अब अगर मैं आप से किसी चीज़ के बारे में पूछगछ करूँगा तो आप मुझे अपने साथ न रखियेगा बेशक आप मेरी तरफ से माज़रत (की हद को) पहुँच गए |
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2217 | 18 | 77 | فانطلقا حتى إذا أتيا أهل قرية استطعما أهلها فأبوا أن يضيفوهما فوجدا فيها جدارا يريد أن ينقض فأقامه قال لو شئت لاتخذت عليه أجرا |
| | | ग़रज़ (ये सब हो हुआ कर फिर) दोनों आगे चले यहाँ तक कि जब एक गाँव वालों के पास पहुँचे तो वहाँ के लोगों से कुछ खाने को माँगा तो उन लोगों ने दोनों को मेहमान बनाने से इन्कार कर दिया फिर उन दोनों ने उसी गाँव में एक दीवार को देखा कि गिरा ही चाहती थी तो खिज्र ने उसे सीधा खड़ा कर दिया उस पर मूसा ने कहा अगर आप चाहते तो (इन लोगों से) इसकी मज़दूरी ले सकते थे |
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2218 | 18 | 78 | قال هذا فراق بيني وبينك سأنبئك بتأويل ما لم تستطع عليه صبرا |
| | | (ताकि खाने का सहारा होता) खिज्र ने कहा मेरे और आपके दरमियान छुट्टम छुट्टा अब जिन बातों पर आप से सब्र न हो सका मैं अभी आप को उनकी असल हक़ीकत बताए देता हूँ |
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2219 | 18 | 79 | أما السفينة فكانت لمساكين يعملون في البحر فأردت أن أعيبها وكان وراءهم ملك يأخذ كل سفينة غصبا |
| | | (लीजिए सुनिये) वह कश्ती (जिसमें मैंने सुराख़ कर दिया था) तो चन्द ग़रीबों की थी जो दरिया में मेहनत करके गुज़ारा करते थे मैंने चाहा कि उसे ऐबदार बना दूँ (क्योंकि) उनके पीछे-पीछे एक (ज़ालिम) बादशाह (आता) था कि तमाम कश्तियां ज़बरदस्ती बेगार में पकड़ लेता था |
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2220 | 18 | 80 | وأما الغلام فكان أبواه مؤمنين فخشينا أن يرهقهما طغيانا وكفرا |
| | | और वह जो लड़का जिसको मैंने मार डाला तो उसके माँ बाप दोनों (सच्चे) ईमानदार हैं तो मुझको ये अन्देशा हुआ कि (ऐसा न हो कि बड़ा होकर) उनको भी अपने सरकशी और कुफ़्र में फँसा दे |
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2221 | 18 | 81 | فأردنا أن يبدلهما ربهما خيرا منه زكاة وأقرب رحما |
| | | तो हमने चाहा कि (हम उसको मार डाले और) उनका परवरदिगार इसके बदले में ऐसा फरज़न्द अता फरमाए जो उससे पाक नफ़सी और पाक कराबत में बेहतर हो |
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