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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
222 | 2 | 215 | يسألونك ماذا ينفقون قل ما أنفقتم من خير فللوالدين والأقربين واليتامى والمساكين وابن السبيل وما تفعلوا من خير فإن الله به عليم |
| | | (ऐ रसूल) तुमसे लोग पूछते हैं कि हम ख़ुदा की राह में क्या खर्च करें (तो तुम उन्हें) जवाब दो कि तुम अपनी नेक कमाई से जो कुछ खर्च करो तो (वह तुम्हारे माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों का हक़ है और तुम कोई नेक सा काम करो ख़ुदा उसको ज़रुर जानता है |
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223 | 2 | 216 | كتب عليكم القتال وهو كره لكم وعسى أن تكرهوا شيئا وهو خير لكم وعسى أن تحبوا شيئا وهو شر لكم والله يعلم وأنتم لا تعلمون |
| | | (मुसलमानों) तुम पर जिहाद फर्ज क़िया गया अगरचे तुम पर शाक़ ज़रुर है और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ (जिहाद) को नापसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बेहतर हो और अजब नहीं कि तुम किसी चीज़ को पसन्द करो हालॉकि वह तुम्हारे हक़ में बुरी हो और ख़ुदा (तो) जानता ही है मगर तुम नही जानते हो |
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224 | 2 | 217 | يسألونك عن الشهر الحرام قتال فيه قل قتال فيه كبير وصد عن سبيل الله وكفر به والمسجد الحرام وإخراج أهله منه أكبر عند الله والفتنة أكبر من القتل ولا يزالون يقاتلونكم حتى يردوكم عن دينكم إن استطاعوا ومن يرتدد منكم عن دينه فيمت وهو كافر فأولئك حبطت أعمالهم في الدنيا والآخرة وأولئك أصحاب النار هم فيها خالدون |
| | | (ऐ रसूल) तुमसे लोग हुरमत वाले महीनों की निस्बत पूछते हैं कि (आया) जिहाद उनमें जायज़ है तो तुम उन्हें जवाब दो कि इन महीनों में जेहाद बड़ा गुनाह है और ये भी याद रहे कि ख़ुदा की राह से रोकना और ख़ुदा से इन्कार और मस्जिदुल हराम (काबा) से रोकना और जो उस के अहल है उनका मस्जिद से निकाल बाहर करना (ये सब) ख़ुदा के नज़दीक इस से भी बढ़कर गुनाह है और फ़ितना परदाज़ी कुश्ती ख़़ून से भी बढ़ कर है और ये कुफ्फ़ार हमेशा तुम से लड़ते ही चले जाएँगें यहाँ तक कि अगर उन का बस चले तो तुम को तुम्हारे दीन से फिरा दे और तुम में जो शख्स अपने दीन से फिरा और कुफ़्र की हालत में मर गया तो ऐसों ही का किया कराया सब कुछ दुनिया और आखेरत (दोनों) में अकारत है और यही लोग जहन्नुमी हैं (और) वह उसी में हमेशा रहेंगें |
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225 | 2 | 218 | إن الذين آمنوا والذين هاجروا وجاهدوا في سبيل الله أولئك يرجون رحمت الله والله غفور رحيم |
| | | बेशक जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और ख़ुदा की राह में हिजरत की और जिहाद किया यही लोग रहमते ख़ुदा के उम्मीदवार हैं और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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226 | 2 | 219 | يسألونك عن الخمر والميسر قل فيهما إثم كبير ومنافع للناس وإثمهما أكبر من نفعهما ويسألونك ماذا ينفقون قل العفو كذلك يبين الله لكم الآيات لعلكم تتفكرون |
| | | (ऐ रसूल) तुमसे लोग शराब और जुए के बारे में पूछते हैं तो तुम उन से कह दो कि इन दोनो में बड़ा गुनाह है और कुछ फायदे भी हैं और उन के फायदे से उन का गुनाह बढ़ के है और तुम से लोग पूछते हैं कि ख़ुदा की राह में क्या ख़र्च करे तुम उनसे कह दो कि जो तुम्हारे ज़रुरत से बचे यूँ ख़ुदा अपने एहकाम तुम से साफ़ साफ़ बयान करता है |
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227 | 2 | 220 | في الدنيا والآخرة ويسألونك عن اليتامى قل إصلاح لهم خير وإن تخالطوهم فإخوانكم والله يعلم المفسد من المصلح ولو شاء الله لأعنتكم إن الله عزيز حكيم |
| | | ताकि तुम दुनिया और आख़िरत (के मामलात) में ग़ौर करो और तुम से लोग यतीमों के बारे में पूछते हैं तुम (उन से) कह दो कि उनकी (इसलाह दुरुस्ती) बेहतर है और अगर तुम उन से मिलजुल कर रहो तो (कुछ हर्ज) नहीं आख़िर वह तुम्हारें भाई ही तो हैं और ख़ुदा फ़सादी को ख़ैर ख्वाह से (अलग ख़ूब) जानता है और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम को मुसीबत में डाल देता बेशक ख़ुदा ज़बरदस्त हिक़मत वाला है |
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228 | 2 | 221 | ولا تنكحوا المشركات حتى يؤمن ولأمة مؤمنة خير من مشركة ولو أعجبتكم ولا تنكحوا المشركين حتى يؤمنوا ولعبد مؤمن خير من مشرك ولو أعجبكم أولئك يدعون إلى النار والله يدعو إلى الجنة والمغفرة بإذنه ويبين آياته للناس لعلهم يتذكرون |
| | | और (मुसलमानों) तुम मुशरिक औरतों से जब तक ईमान न लाएँ निकाह न करो क्योंकि मुशरिका औरत तुम्हें अपने हुस्नो जमाल में कैसी ही अच्छी क्यों न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हे कैसा ही अच्छा क्यो न मालूम हो मगर फिर भी ईमानदार औरत उस से ज़रुर अच्छी है और मुशरेकीन जब तक ईमान न लाएँ अपनी औरतें उन के निकाह में न दो और मुशरिक तुम्हें क्या ही अच्छा क्यों न मालूम हो मगर फिर भी बन्दा मोमिन उनसे ज़रुर अच्छा है ये (मुशरिक मर्द या औरत) लोगों को दोज़ख़ की तरफ बुलाते हैं और ख़ुदा अपनी इनायत से बेहिश्त और बख़्शिस की तरफ बुलाता है और अपने एहकाम लोगों से साफ साफ बयान करता है ताकि ये लोग चेते |
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229 | 2 | 222 | ويسألونك عن المحيض قل هو أذى فاعتزلوا النساء في المحيض ولا تقربوهن حتى يطهرن فإذا تطهرن فأتوهن من حيث أمركم الله إن الله يحب التوابين ويحب المتطهرين |
| | | (ऐ रसूल) तुम से लोग हैज़ के बारे में पूछते हैं तुम उनसे कह दो कि ये गन्दगी और घिन की बीमारी है तो (अय्यामे हैज़) में तुम औरतों से अलग रहो और जब तक वह पाक न हो जाएँ उनके पास न जाओ पस जब वह पाक हो जाएँ तो जिधर से तुम्हें ख़ुदा ने हुक्म दिया है उन के पास जाओ बेशक ख़ुदा तौबा करने वालो और सुथरे लोगों को पसन्द करता है तुम्हारी बीवियाँ (गोया) तुम्हारी खेती हैं |
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230 | 2 | 223 | نساؤكم حرث لكم فأتوا حرثكم أنى شئتم وقدموا لأنفسكم واتقوا الله واعلموا أنكم ملاقوه وبشر المؤمنين |
| | | तो तुम अपनी खेती में जिस तरह चाहो आओ और अपनी आइन्दा की भलाई के वास्ते (आमाल साके) पेशगी भेजो और ख़ुदा से डरते रहो और ये भी समझ रखो कि एक दिन तुमको उसके सामने जाना है और ऐ रसूल ईमानदारों को नजात की ख़ुश ख़बरी दे दो |
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231 | 2 | 224 | ولا تجعلوا الله عرضة لأيمانكم أن تبروا وتتقوا وتصلحوا بين الناس والله سميع عليم |
| | | और (मुसलमानों) तुम अपनी क़समों (के हीले) से ख़ुदा (के नाम) को लोगों के साथ सुलूक करने और ख़ुदा से डरने और लोगों के दरमियान सुलह करवा देने का मानेअ न ठहराव और ख़ुदा सबकी सुनता और सब को जानता है |
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