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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2187 | 18 | 47 | ويوم نسير الجبال وترى الأرض بارزة وحشرناهم فلم نغادر منهم أحدا |
| | | और (उस दिन से डरो) जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगें और तुम ज़मीन को खुला मैदान (पहाड़ों से) खाली देखोगे और हम इन सभी को इकट्ठा करेगे तो उनमें से एक को न छोड़ेगें |
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2188 | 18 | 48 | وعرضوا على ربك صفا لقد جئتمونا كما خلقناكم أول مرة بل زعمتم ألن نجعل لكم موعدا |
| | | सबके सब तुम्हारे परवरदिगार के सामने कतार पे क़तार पेश किए जाएँगें और (उस वक्त हम याद दिलाएँगे कि जिस तरह हमने तुमको पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) तुम लोगों को (आख़िर) हमारे पास आना पड़ा मगर तुम तो ये ख्याल करते थे कि हम तुम्हारे (दोबारा पैदा करने के) लिए कोई वक्त ही न ठहराएँगें |
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2189 | 18 | 49 | ووضع الكتاب فترى المجرمين مشفقين مما فيه ويقولون يا ويلتنا مال هذا الكتاب لا يغادر صغيرة ولا كبيرة إلا أحصاها ووجدوا ما عملوا حاضرا ولا يظلم ربك أحدا |
| | | और लोगों के आमाल की किताब (सामने) रखी जाएँगी तो तुम गुनेहगारों को देखोगे कि जो कुछ उसमें (लिखा) है (देख देख कर) सहमे हुए हैं और कहते जाते हैं हाए हमारी यामत ये कैसी किताब है कि न छोटे ही गुनाह को बे क़लमबन्द किए छोड़ती है न बड़े गुनाह को और जो कुछ इन लोगों ने (दुनिया में) किया था वह सब (लिखा हुआ) मौजूद पाएँगें और तेरा परवरदिगार किसी पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म न करेगा |
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2190 | 18 | 50 | وإذ قلنا للملائكة اسجدوا لآدم فسجدوا إلا إبليس كان من الجن ففسق عن أمر ربه أفتتخذونه وذريته أولياء من دوني وهم لكم عدو بئس للظالمين بدلا |
| | | और (वह वक्त याद करो) जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो इबलीस के सिवा सबने सजदा किया (ये इबलीस) जिन्नात से था तो अपने परवरदिगार के हुक्म से निकल भागा तो (लोगों) क्या मुझे छोड़कर उसको और उसकी औलाद को अपना दोस्त बनाते हो हालॉकि वह तुम्हारा (क़दीमी) दुश्मन हैं ज़ालिमों (ने ख़ुदा के बदले शैतान को अपना दोस्त बनाया ये उन) का क्या बुरा ऐवज़ है |
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2191 | 18 | 51 | ما أشهدتهم خلق السماوات والأرض ولا خلق أنفسهم وما كنت متخذ المضلين عضدا |
| | | मैने न तो आसमान व ज़मीन के पैदा करने के वक्त उनको (मदद के लिए) बुलाया था और न खुद उनके पैदा करने के वक्त अौर मै (ऐसा गया गुज़रा) न था कि मै गुमराह करने वालों को मददगार बनाता |
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2192 | 18 | 52 | ويوم يقول نادوا شركائي الذين زعمتم فدعوهم فلم يستجيبوا لهم وجعلنا بينهم موبقا |
| | | और (उस दिन से डरो) जिस दिन ख़ुदा फरमाएगा कि अब तुम जिन लोगों को मेरा शरीक़ ख्याल करते थे उनको (मदद के लिए) पुकारो तो वह लोग उनको पुकारेगें मगर वह लोग उनकी कुछ न सुनेगें और हम उन दोनों के बीच में महलक (खतरनाक) आड़ बना देंगे |
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2193 | 18 | 53 | ورأى المجرمون النار فظنوا أنهم مواقعوها ولم يجدوا عنها مصرفا |
| | | और गुनेहगार लोग (देखकर समझ जाएँगें कि ये इसमें सोके जाएँगे और उससे गरीज़ (बचने की) की राह न पाएँगें |
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2194 | 18 | 54 | ولقد صرفنا في هذا القرآن للناس من كل مثل وكان الإنسان أكثر شيء جدلا |
| | | और हमने तो इस क़ुरान में लोगों (के समझाने) के वास्ते हर तरह की मिसालें फेर बदल कर बयान कर दी है मगर इन्सान तो तमाम मख़लूक़ात से ज्यादा झगड़ालू है |
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2195 | 18 | 55 | وما منع الناس أن يؤمنوا إذ جاءهم الهدى ويستغفروا ربهم إلا أن تأتيهم سنة الأولين أو يأتيهم العذاب قبلا |
| | | और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो (फिर) उनको ईमान लाने और अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगने से (उसके सिवा और कौन) अम्र मायने है कि अगलों की सी रीत रस्म उनको भी पेश आई या हमारा अज़ाब उनके सामने से (मौजूद) हो |
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2196 | 18 | 56 | وما نرسل المرسلين إلا مبشرين ومنذرين ويجادل الذين كفروا بالباطل ليدحضوا به الحق واتخذوا آياتي وما أنذروا هزوا |
| | | और हम तो पैग़म्बरों को सिर्फ इसलिए भेजते हैं कि (अच्छों को निजात की) खुशख़बरी सुनाएंऔर (बदों को अज़ाब से) डराएंऔर जो लोग काफिर हैं झूटी झूटी बातों का सहारा पकड़ के झगड़ा करते है ताकि उसकी बदौलत हक़ को (उसकी जगह से उखाड़ फेकें और उन लोगों ने मेरी आयतों को जिस (अज़ाब से) ये लोग डराए गए हॅसी ठ्ठ्ठा (मज़ाक) बना रखा है |
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