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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2179 | 18 | 39 | ولولا إذ دخلت جنتك قلت ما شاء الله لا قوة إلا بالله إن ترن أنا أقل منك مالا وولدا |
| | | और जब तू अपने बाग़ में आया तो (ये) क्यों न कहा कि ये सब (माशा अल्लाह ख़ुदा ही के चाहने से हुआ है (मेरा कुछ भी नहीं क्योंकि) बग़ैर ख़ुदा की (मदद) के (किसी में) कुछ सकत नहीं अगर माल और औलाद की राह से तू मुझे कम समझता है |
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2180 | 18 | 40 | فعسى ربي أن يؤتين خيرا من جنتك ويرسل عليها حسبانا من السماء فتصبح صعيدا زلقا |
| | | तो अनक़ीरब ही मेरा परवरदिगार मुझे वह बाग़ अता फरमाएगा जो तेरे बाग़ से कहीं बेहतर होगा और तेरे बाग़ पर कोई ऐसी आफत आसमान से नाज़िल करे कि (ख़ाक सियाह) होकर चटियल चिकना सफ़ाचट मैदान हो जाए |
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2181 | 18 | 41 | أو يصبح ماؤها غورا فلن تستطيع له طلبا |
| | | उसका पानी नीचे उतर (के खुश्क) हो जाए फिर तो उसको किसी तरह तलब न कर सके |
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2182 | 18 | 42 | وأحيط بثمره فأصبح يقلب كفيه على ما أنفق فيها وهي خاوية على عروشها ويقول يا ليتني لم أشرك بربي أحدا |
| | | (चुनान्चे अज़ाब नाज़िल हुआ) और उसके (बाग़ के) फल (आफत में) घेर लिए गए तो उस माल पर जो बाग़ की तैयारी में सर्फ (ख़र्च) किया था (अफसोस से) हाथ मलने लगा और बाग़ की ये हालत थी कि अपनी टहनियों पर औंधा गिरा हुआ पड़ा था तो कहने लगा काश मै अपने परवरदिगार का किसी को शरीक न बनाता |
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2183 | 18 | 43 | ولم تكن له فئة ينصرونه من دون الله وما كان منتصرا |
| | | और ख़ुदा के सिवा उसका कोई जत्था भी न था कि उसकी मदद करता और न वह बदला ले सकता था इसी जगह से (साबित हो गया |
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2184 | 18 | 44 | هنالك الولاية لله الحق هو خير ثوابا وخير عقبا |
| | | कि सरपरस्ती ख़ास ख़ुदा ही के लिए है जो सच्चा है वही बेहतर सवाब (देने) वाला है और अन्जाम के जंगल से भी वही बेहतर है |
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2185 | 18 | 45 | واضرب لهم مثل الحياة الدنيا كماء أنزلناه من السماء فاختلط به نبات الأرض فأصبح هشيما تذروه الرياح وكان الله على كل شيء مقتدرا |
| | | और (ऐ रसूल) इनसे दुनिया की ज़िन्दगी की मसल भी बयान कर दो कि उसके हालत पानी की सी है जिसे हमने आसमान से बरसाया तो ज़मीन की उगाने की ताक़त उसमें मिल गई और (खूब फली फूली) फिर आख़िर रेज़ा रेज़ा (भूसा) हो गई कि उसको हवाएँ उड़ाए फिरती है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
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2186 | 18 | 46 | المال والبنون زينة الحياة الدنيا والباقيات الصالحات خير عند ربك ثوابا وخير أملا |
| | | (ऐ रसूल) माल और औलाद (इस ज़रा सी) दुनिया की ज़िन्दगी की ज़ीनत हैं और बाक़ी रहने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब में उससे कही ज्यादा अच्छी हैं और तमन्नाएँ व आरजू की राह से (भी) बेहतर हैं |
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2187 | 18 | 47 | ويوم نسير الجبال وترى الأرض بارزة وحشرناهم فلم نغادر منهم أحدا |
| | | और (उस दिन से डरो) जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगें और तुम ज़मीन को खुला मैदान (पहाड़ों से) खाली देखोगे और हम इन सभी को इकट्ठा करेगे तो उनमें से एक को न छोड़ेगें |
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2188 | 18 | 48 | وعرضوا على ربك صفا لقد جئتمونا كما خلقناكم أول مرة بل زعمتم ألن نجعل لكم موعدا |
| | | सबके सब तुम्हारे परवरदिगार के सामने कतार पे क़तार पेश किए जाएँगें और (उस वक्त हम याद दिलाएँगे कि जिस तरह हमने तुमको पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) तुम लोगों को (आख़िर) हमारे पास आना पड़ा मगर तुम तो ये ख्याल करते थे कि हम तुम्हारे (दोबारा पैदा करने के) लिए कोई वक्त ही न ठहराएँगें |
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