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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2169 | 18 | 29 | وقل الحق من ربكم فمن شاء فليؤمن ومن شاء فليكفر إنا أعتدنا للظالمين نارا أحاط بهم سرادقها وإن يستغيثوا يغاثوا بماء كالمهل يشوي الوجوه بئس الشراب وساءت مرتفقا |
| | | और (ऐ रसूल) तुम कह दों कि सच्ची बात (कलमए तौहीद) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नाज़िल हो चुकी है) बस जो चाहे माने और जो चाहे न माने (मगर) हमने ज़ालिमों के लिए वह आग (दहका के) तैयार कर रखी है जिसकी क़नातें उन्हें घेर लेगी और अगर वह लोग दोहाई करेगें तो उनकी फरियाद रसी खौलते हुए पानी से की जाएगी जो मसलन पिघले हुए ताबें की तरह होगा (और) वह मुँह को भून डालेगा क्या बुरा पानी है और (जहन्नुम भी) क्या बुरी जगह है |
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2170 | 18 | 30 | إن الذين آمنوا وعملوا الصالحات إنا لا نضيع أجر من أحسن عملا |
| | | इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम करते रहे तो हम हरगिज़ अच्छे काम वालो के अज्र को अकारत नहीं करते |
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2171 | 18 | 31 | أولئك لهم جنات عدن تجري من تحتهم الأنهار يحلون فيها من أساور من ذهب ويلبسون ثيابا خضرا من سندس وإستبرق متكئين فيها على الأرائك نعم الثواب وحسنت مرتفقا |
| | | ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है |
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2172 | 18 | 32 | واضرب لهم مثلا رجلين جعلنا لأحدهما جنتين من أعناب وحففناهما بنخل وجعلنا بينهما زرعا |
| | | और (ऐ रसूल) इन लोगों से उन दो शख़्शों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा दिये है और उन दोनों बाग़ के दरमियान खेती भी लगाई है |
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2173 | 18 | 33 | كلتا الجنتين آتت أكلها ولم تظلم منه شيئا وفجرنا خلالهما نهرا |
| | | वह दोनों बाग़ खूब फल लाए और फल लाने में कुछ कमी नहीं की और हमने उन दोनों बाग़ों के दरमियान नहर भी जारी कर दी है |
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2174 | 18 | 34 | وكان له ثمر فقال لصاحبه وهو يحاوره أنا أكثر منك مالا وأعز نفرا |
| | | और उसे फल मिला तो अपने साथी से जो उससे बातें कर रहा था बोल उठा कि मै तो तुझसे माल में (भी) ज्यादा हूँ और जत्थे में भी बढ़ कर हूँ |
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2175 | 18 | 35 | ودخل جنته وهو ظالم لنفسه قال ما أظن أن تبيد هذه أبدا |
| | | और ये बातें करता हुआ अपने बाग़ मे भी जा पहुँचा हालॉकि उसकी आदत ये थी कि (कुफ्र की वजह से) अपने ऊपर आप ज़ुल्म कर रहा था (ग़रज़ वह कह बैठा) कि मुझे तो इसका गुमान नहीं तो कि कभी भी ये बाग़ उजड़ जाए |
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2176 | 18 | 36 | وما أظن الساعة قائمة ولئن رددت إلى ربي لأجدن خيرا منها منقلبا |
| | | और मै तो ये भी नहीं ख्याल करता कि क़यामत क़ायम होगी और (बिलग़रज़ हुई भी तो) जब मै अपने परवरदिगार की तरफ लौटाया जाऊँगा तो यक़ीनन इससे कहीं अच्छी जगह पाऊँगा |
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2177 | 18 | 37 | قال له صاحبه وهو يحاوره أكفرت بالذي خلقك من تراب ثم من نطفة ثم سواك رجلا |
| | | उसका साथी जो उससे बातें कर रहा था कहने लगा कि क्या तू उस परवरदिगार का मुन्किर है जिसने (पहले) तुझे मिट्टी से पैदा किया फिर नुत्फे से फिर तुझे बिल्कुल ठीक मर्द (आदमी) बना दिया |
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2178 | 18 | 38 | لكنا هو الله ربي ولا أشرك بربي أحدا |
| | | हम तो (कहते हैं कि) वही ख़ुदा मेरा परवरदिगार है और मै तो अपने परवरदिगार का किसी को शरीक नहीं बनाता |
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