بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
21651825ولبثوا في كهفهم ثلاث مائة سنين وازدادوا تسعا
और असहाब कहफ अपने ग़ार में नौ ऊपर तीन सौ बरस रहे
21661826قل الله أعلم بما لبثوا له غيب السماوات والأرض أبصر به وأسمع ما لهم من دونه من ولي ولا يشرك في حكمه أحدا
(ऐ रसूल) अगर वह लोग इस पर भी न मानें तो तुम कह दो कि ख़ुदा उनके ठहरने की मुद्दत से बखूबी वाक़िफ है सारे आसमान और ज़मीन का ग़ैब उसी के वास्ते ख़ास है (अल्लाह हो अकबर) वो कैसा देखने वाला क्या ही सुनने वाला है उसके सिवा उन लोगों का कोई सरपरस्त नहीं और वह अपने हुक्म में किसी को अपना दख़ील (शरीक) नहीं बनाता
21671827واتل ما أوحي إليك من كتاب ربك لا مبدل لكلماته ولن تجد من دونه ملتحدا
और (ऐ रसूल) जो किताब तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वही के ज़रिए से नाज़िल हुईहै उसको पढ़ा करो उसकी बातों को कोई बदल नहीं सकता और तुम उसके सिवा कहीं कोई हरगिज़ पनाह की जगह (भी) न पाओगे
21681828واصبر نفسك مع الذين يدعون ربهم بالغداة والعشي يريدون وجهه ولا تعد عيناك عنهم تريد زينة الحياة الدنيا ولا تطع من أغفلنا قلبه عن ذكرنا واتبع هواه وكان أمره فرطا
और (ऐ रसूल) जो लोग अपने परवरदिगार को सुबह सवेरे और झटपट वक्त शाम को याद करते हैं और उसकी खुशनूदी के ख्वाहाँ हैं उनके उनके साथ तुम खुद (भी) अपने नफस पर जब्र करो और उनकी तरफ से अपनी नज़र (तवज्जो) न फेरो कि तुम दुनिया में ज़िन्दगी की आराइश चाहने लगो और जिसके दिल को हमने (गोया खुद) अपने ज़िक्र से ग़ाफिल कर दिया है और वह अपनी ख्वाहिशे नफसानी के पीछे पड़ा है और उसका काम सरासर ज्यादती है उसका कहना हरगिज़ न मानना
21691829وقل الحق من ربكم فمن شاء فليؤمن ومن شاء فليكفر إنا أعتدنا للظالمين نارا أحاط بهم سرادقها وإن يستغيثوا يغاثوا بماء كالمهل يشوي الوجوه بئس الشراب وساءت مرتفقا
और (ऐ रसूल) तुम कह दों कि सच्ची बात (कलमए तौहीद) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नाज़िल हो चुकी है) बस जो चाहे माने और जो चाहे न माने (मगर) हमने ज़ालिमों के लिए वह आग (दहका के) तैयार कर रखी है जिसकी क़नातें उन्हें घेर लेगी और अगर वह लोग दोहाई करेगें तो उनकी फरियाद रसी खौलते हुए पानी से की जाएगी जो मसलन पिघले हुए ताबें की तरह होगा (और) वह मुँह को भून डालेगा क्या बुरा पानी है और (जहन्नुम भी) क्या बुरी जगह है
21701830إن الذين آمنوا وعملوا الصالحات إنا لا نضيع أجر من أحسن عملا
इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम करते रहे तो हम हरगिज़ अच्छे काम वालो के अज्र को अकारत नहीं करते
21711831أولئك لهم جنات عدن تجري من تحتهم الأنهار يحلون فيها من أساور من ذهب ويلبسون ثيابا خضرا من سندس وإستبرق متكئين فيها على الأرائك نعم الثواب وحسنت مرتفقا
ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है
21721832واضرب لهم مثلا رجلين جعلنا لأحدهما جنتين من أعناب وحففناهما بنخل وجعلنا بينهما زرعا
और (ऐ रसूल) इन लोगों से उन दो शख़्शों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा दिये है और उन दोनों बाग़ के दरमियान खेती भी लगाई है
21731833كلتا الجنتين آتت أكلها ولم تظلم منه شيئا وفجرنا خلالهما نهرا
वह दोनों बाग़ खूब फल लाए और फल लाने में कुछ कमी नहीं की और हमने उन दोनों बाग़ों के दरमियान नहर भी जारी कर दी है
21741834وكان له ثمر فقال لصاحبه وهو يحاوره أنا أكثر منك مالا وأعز نفرا
और उसे फल मिला तो अपने साथी से जो उससे बातें कर रहा था बोल उठा कि मै तो तुझसे माल में (भी) ज्यादा हूँ और जत्थे में भी बढ़ कर हूँ


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