بسم الله الرحمن الرحيم

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21501810إذ أوى الفتية إلى الكهف فقالوا ربنا آتنا من لدنك رحمة وهيئ لنا من أمرنا رشدا
कि एक बारगी कुछ जवान ग़ार में आ पहुँचे और दुआ की-ऐ हमारे परवरदिगार हमें अपनी बारगाह से रहमत अता फरमा-और हमारे वास्ते हमारे काम में कामयाबी इनायत कर
21511811فضربنا على آذانهم في الكهف سنين عددا
तब हमने कई बरस तक ग़ार में उनके कानों पर पर्दे डाल दिए (उन्हें सुला दिया)
21521812ثم بعثناهم لنعلم أي الحزبين أحصى لما لبثوا أمدا
फिर हमने उन्हें चौकाया ताकि हम देखें कि दो गिरोहों में से किसी को (ग़ार में) ठहरने की मुद्दत खूब याद है
21531813نحن نقص عليك نبأهم بالحق إنهم فتية آمنوا بربهم وزدناهم هدى
(ऐ रसूल) अब हम उनका हाल तुमसे बिल्कुल ठीक तहक़ीक़ातन (यक़ीन के साथ) बयान करते हैं वह चन्द जवान थे कि अपने (सच्चे) परवरदिगार पर ईमान लाए थे और हम ने उनकी सोच समझ और ज्यादा कर दी है
21541814وربطنا على قلوبهم إذ قاموا فقالوا ربنا رب السماوات والأرض لن ندعو من دونه إلها لقد قلنا إذا شططا
और हमने उनकी दिलों पर (सब्र व इस्तेक़लाल की) गिराह लगा दी (कि जब दक़ियानूस बादशाह ने कुफ्र पर मजबूर किया) तो उठ खड़े हुए (और बे ताम्मुल (खटके)) कहने लगे हमारा परवरदिगार तो बस सारे आसमान व ज़मीन का मालिक है हम तो उसके सिवा किसी माबूद की हरगिज़ इबादत न करेगें
21551815هؤلاء قومنا اتخذوا من دونه آلهة لولا يأتون عليهم بسلطان بين فمن أظلم ممن افترى على الله كذبا
अगर हम ऐसा करे तो यक़ीनन हमने अक़ल से दूर की बात कही (अफसोस एक) ये हमारी क़ौम के लोग हैं कि जिन्होनें ख़ुदा को छोड़कर (दूसरे) माबूद बनाए हैं (फिर) ये लोग उनके (माबूद होने) की कोई सरीही (खुली) दलील क्यों नहीं पेश करते और जो शख़्श ख़ुदा पर झूट बोहतान बाँधे उससे ज्यादा ज़ालिम और कौन होगा
21561816وإذ اعتزلتموهم وما يعبدون إلا الله فأووا إلى الكهف ينشر لكم ربكم من رحمته ويهيئ لكم من أمركم مرفقا
(फिर बाहम कहने लगे कि) जब तुमने उन लोगों से और ख़ुदा के सिवा जिन माबूदों की ये लोग परसतिश करते हैं उनसे किनारा कशी करली तो चलो (फलॉ) ग़ार में जा बैठो और तुम्हारा परवरदिगार अपनी रहमत तुम पर वसीह कर देगा और तुम्हारा काम में तुम्हारे लिए आसानी के सामान मुहय्या करेगा
21571817وترى الشمس إذا طلعت تزاور عن كهفهم ذات اليمين وإذا غربت تقرضهم ذات الشمال وهم في فجوة منه ذلك من آيات الله من يهد الله فهو المهتد ومن يضلل فلن تجد له وليا مرشدا
(ग़रज़ ये ठान कर ग़ार में जा पहुँचे) कि जब सूरज निकलता है तो देखेगा कि वह उनके ग़ार से दाहिनी तरफ झुक कर निकलता है और जब ग़ुरुब (डुबता) होता है तो उनसे बायीं तरफ कतरा जाता है और वह लोग (मजे से) ग़ार के अन्दर एक वसीइ (बड़ी) जगह में (लेटे) हैं ये ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों में से (एक निशानी) है जिसको हिदायत करे वही हिदायत याफ्ता है और जिस को गुमराह करे तो फिर उसका कोई सरपरस्त रहनुमा हरगिज़ न पाओगे
21581818وتحسبهم أيقاظا وهم رقود ونقلبهم ذات اليمين وذات الشمال وكلبهم باسط ذراعيه بالوصيد لو اطلعت عليهم لوليت منهم فرارا ولملئت منهم رعبا
तू उनको समझेगा कि वह जागते हैं हालॉकि वह (गहरी नींद में) सो रहे हैं और हम कभी दाहिनी तरफ और कभी बायीं तरफ उनकी करवट बदलवा देते हैं और उनका कुत्ताा अपने आगे के दोनो पाँव फैलाए चौखट पर डटा बैठा है (उनकी ये हालत है कि) अगर कहीं तू उनको झाक कर देखे तो उलटे पाँव ज़रुर भाग खड़े हो और तेरे दिल में दहशत समा जाए
21591819وكذلك بعثناهم ليتساءلوا بينهم قال قائل منهم كم لبثتم قالوا لبثنا يوما أو بعض يوم قالوا ربكم أعلم بما لبثتم فابعثوا أحدكم بورقكم هذه إلى المدينة فلينظر أيها أزكى طعاما فليأتكم برزق منه وليتلطف ولا يشعرن بكم أحدا
और (जिस तरह अपनी कुदरत से उनको सुलाया) उसी तरह (अपनी कुदरत से) उनको (जगा) उठाया ताकि आपस में कुछ पूछ गछ करें (ग़रज़) उनमें एक बोलने वाला बोल उठा कि (भई आख़िर इस ग़ार में) तुम कितनी मुद्दत ठहरे कहने लगे (अरे ठहरे क्या बस) एक दिन से भी कम उसके बाद कहने लगे कि जितनी देर तुम ग़ार में ठहरे उसको तुम्हारे परवरदिगार ही (कुछ तुम से) बेहतर जानता है (अच्छा) तो अब अपने में से किसी को अपना ये रुपया देकर शहर की तरफ भेजो तो वह (जाकर) देखभाल ले कि वहाँ कौन सा खाना बहुत अच्छा है फिर उसमें से (ज़रुरत भर) खाना तुम्हारे वास्ते ले आए और उसे चाहिए कि वह आहिस्ता चुपके से आ जाए और किसी को तुम्हारी ख़बर न होने दे


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