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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2150 | 18 | 10 | إذ أوى الفتية إلى الكهف فقالوا ربنا آتنا من لدنك رحمة وهيئ لنا من أمرنا رشدا |
| | | कि एक बारगी कुछ जवान ग़ार में आ पहुँचे और दुआ की-ऐ हमारे परवरदिगार हमें अपनी बारगाह से रहमत अता फरमा-और हमारे वास्ते हमारे काम में कामयाबी इनायत कर |
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2151 | 18 | 11 | فضربنا على آذانهم في الكهف سنين عددا |
| | | तब हमने कई बरस तक ग़ार में उनके कानों पर पर्दे डाल दिए (उन्हें सुला दिया) |
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2152 | 18 | 12 | ثم بعثناهم لنعلم أي الحزبين أحصى لما لبثوا أمدا |
| | | फिर हमने उन्हें चौकाया ताकि हम देखें कि दो गिरोहों में से किसी को (ग़ार में) ठहरने की मुद्दत खूब याद है |
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2153 | 18 | 13 | نحن نقص عليك نبأهم بالحق إنهم فتية آمنوا بربهم وزدناهم هدى |
| | | (ऐ रसूल) अब हम उनका हाल तुमसे बिल्कुल ठीक तहक़ीक़ातन (यक़ीन के साथ) बयान करते हैं वह चन्द जवान थे कि अपने (सच्चे) परवरदिगार पर ईमान लाए थे और हम ने उनकी सोच समझ और ज्यादा कर दी है |
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2154 | 18 | 14 | وربطنا على قلوبهم إذ قاموا فقالوا ربنا رب السماوات والأرض لن ندعو من دونه إلها لقد قلنا إذا شططا |
| | | और हमने उनकी दिलों पर (सब्र व इस्तेक़लाल की) गिराह लगा दी (कि जब दक़ियानूस बादशाह ने कुफ्र पर मजबूर किया) तो उठ खड़े हुए (और बे ताम्मुल (खटके)) कहने लगे हमारा परवरदिगार तो बस सारे आसमान व ज़मीन का मालिक है हम तो उसके सिवा किसी माबूद की हरगिज़ इबादत न करेगें |
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2155 | 18 | 15 | هؤلاء قومنا اتخذوا من دونه آلهة لولا يأتون عليهم بسلطان بين فمن أظلم ممن افترى على الله كذبا |
| | | अगर हम ऐसा करे तो यक़ीनन हमने अक़ल से दूर की बात कही (अफसोस एक) ये हमारी क़ौम के लोग हैं कि जिन्होनें ख़ुदा को छोड़कर (दूसरे) माबूद बनाए हैं (फिर) ये लोग उनके (माबूद होने) की कोई सरीही (खुली) दलील क्यों नहीं पेश करते और जो शख़्श ख़ुदा पर झूट बोहतान बाँधे उससे ज्यादा ज़ालिम और कौन होगा |
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2156 | 18 | 16 | وإذ اعتزلتموهم وما يعبدون إلا الله فأووا إلى الكهف ينشر لكم ربكم من رحمته ويهيئ لكم من أمركم مرفقا |
| | | (फिर बाहम कहने लगे कि) जब तुमने उन लोगों से और ख़ुदा के सिवा जिन माबूदों की ये लोग परसतिश करते हैं उनसे किनारा कशी करली तो चलो (फलॉ) ग़ार में जा बैठो और तुम्हारा परवरदिगार अपनी रहमत तुम पर वसीह कर देगा और तुम्हारा काम में तुम्हारे लिए आसानी के सामान मुहय्या करेगा |
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2157 | 18 | 17 | وترى الشمس إذا طلعت تزاور عن كهفهم ذات اليمين وإذا غربت تقرضهم ذات الشمال وهم في فجوة منه ذلك من آيات الله من يهد الله فهو المهتد ومن يضلل فلن تجد له وليا مرشدا |
| | | (ग़रज़ ये ठान कर ग़ार में जा पहुँचे) कि जब सूरज निकलता है तो देखेगा कि वह उनके ग़ार से दाहिनी तरफ झुक कर निकलता है और जब ग़ुरुब (डुबता) होता है तो उनसे बायीं तरफ कतरा जाता है और वह लोग (मजे से) ग़ार के अन्दर एक वसीइ (बड़ी) जगह में (लेटे) हैं ये ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों में से (एक निशानी) है जिसको हिदायत करे वही हिदायत याफ्ता है और जिस को गुमराह करे तो फिर उसका कोई सरपरस्त रहनुमा हरगिज़ न पाओगे |
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2158 | 18 | 18 | وتحسبهم أيقاظا وهم رقود ونقلبهم ذات اليمين وذات الشمال وكلبهم باسط ذراعيه بالوصيد لو اطلعت عليهم لوليت منهم فرارا ولملئت منهم رعبا |
| | | तू उनको समझेगा कि वह जागते हैं हालॉकि वह (गहरी नींद में) सो रहे हैं और हम कभी दाहिनी तरफ और कभी बायीं तरफ उनकी करवट बदलवा देते हैं और उनका कुत्ताा अपने आगे के दोनो पाँव फैलाए चौखट पर डटा बैठा है (उनकी ये हालत है कि) अगर कहीं तू उनको झाक कर देखे तो उलटे पाँव ज़रुर भाग खड़े हो और तेरे दिल में दहशत समा जाए |
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2159 | 18 | 19 | وكذلك بعثناهم ليتساءلوا بينهم قال قائل منهم كم لبثتم قالوا لبثنا يوما أو بعض يوم قالوا ربكم أعلم بما لبثتم فابعثوا أحدكم بورقكم هذه إلى المدينة فلينظر أيها أزكى طعاما فليأتكم برزق منه وليتلطف ولا يشعرن بكم أحدا |
| | | और (जिस तरह अपनी कुदरत से उनको सुलाया) उसी तरह (अपनी कुदरत से) उनको (जगा) उठाया ताकि आपस में कुछ पूछ गछ करें (ग़रज़) उनमें एक बोलने वाला बोल उठा कि (भई आख़िर इस ग़ार में) तुम कितनी मुद्दत ठहरे कहने लगे (अरे ठहरे क्या बस) एक दिन से भी कम उसके बाद कहने लगे कि जितनी देर तुम ग़ार में ठहरे उसको तुम्हारे परवरदिगार ही (कुछ तुम से) बेहतर जानता है (अच्छा) तो अब अपने में से किसी को अपना ये रुपया देकर शहर की तरफ भेजो तो वह (जाकर) देखभाल ले कि वहाँ कौन सा खाना बहुत अच्छा है फिर उसमें से (ज़रुरत भर) खाना तुम्हारे वास्ते ले आए और उसे चाहिए कि वह आहिस्ता चुपके से आ जाए और किसी को तुम्हारी ख़बर न होने दे |
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