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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2118 | 17 | 89 | ولقد صرفنا للناس في هذا القرآن من كل مثل فأبى أكثر الناس إلا كفورا |
| | | और हमने तो लोगों (के समझाने) के वास्ते इस क़ुरान में हर क़िस्म की मसलें अदल बदल के बयान कर दीं उस पर भी अक्सर लोग बग़ैर नाशुक्री किए नहीं रहते |
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2119 | 17 | 90 | وقالوا لن نؤمن لك حتى تفجر لنا من الأرض ينبوعا |
| | | (ऐ रसूल कुफ्फार मक्के ने) तुमसे कहा कि जब तक तुम हमारे वास्ते ज़मीन से चश्मा (न) बहा निकालोगे हम तो तुम पर हरगिज़ ईमान न लाएँगें |
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2120 | 17 | 91 | أو تكون لك جنة من نخيل وعنب فتفجر الأنهار خلالها تفجيرا |
| | | या (ये नहीं तो) खजूरों और अंगूरों का तुम्हारा कोई बाग़ हो उसमें तुम बीच बीच में नहरे जारी करके दिखा दो |
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2121 | 17 | 92 | أو تسقط السماء كما زعمت علينا كسفا أو تأتي بالله والملائكة قبيلا |
| | | या जैसा तुम गुमान रखते थे हम पर आसमान ही को टुकड़े (टुकड़े) करके गिराओ या ख़ुदा और फरिश्तों को (अपने क़ौल की तस्दीक़) में हमारे सामने (गवाही में ला खड़ा कर दिया |
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2122 | 17 | 93 | أو يكون لك بيت من زخرف أو ترقى في السماء ولن نؤمن لرقيك حتى تنزل علينا كتابا نقرؤه قل سبحان ربي هل كنت إلا بشرا رسولا |
| | | और जब तक तुम हम पर ख़ुदा के यहाँ से एक किताब न नाज़िल करोगे कि हम उसे खुद पढ़ भी लें उस वक्त तक हम तुम्हारे (आसमान पर चढ़ने के भी) क़ायल न होगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सुबहान अल्लाह मै एक आदमी (ख़ुदा के) रसूल के सिवा आख़िर और क्या हूँ |
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2123 | 17 | 94 | وما منع الناس أن يؤمنوا إذ جاءهم الهدى إلا أن قالوا أبعث الله بشرا رسولا |
| | | (जो ये बेहूदा बातें करते हो) और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो उनको ईमान लाने से इसके सिवा किसी चीज़ ने न रोका कि वह कहने लगे कि क्या ख़ुदा ने आदमी को रसूल बनाकर भेजा है |
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2124 | 17 | 95 | قل لو كان في الأرض ملائكة يمشون مطمئنين لنزلنا عليهم من السماء ملكا رسولا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ज़मीन पर फ़रिश्ते (बसे हुये) होते कि इत्मेनान से चलते फिरते तो हम उन लोगों के पास फ़रिश्ते ही को रसूल बनाकर नाज़िल करते |
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2125 | 17 | 96 | قل كفى بالله شهيدا بيني وبينكم إنه كان بعباده خبيرا بصيرا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हमारे तुम्हारे दरमियान गवाही के वास्ते बस ख़ुदा काफी है इसमें शक़ नहीं कि वह अपने बन्दों के हाल से खूब वाक़िफ और देखता रहता है |
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2126 | 17 | 97 | ومن يهد الله فهو المهتد ومن يضلل فلن تجد لهم أولياء من دونه ونحشرهم يوم القيامة على وجوههم عميا وبكما وصما مأواهم جهنم كلما خبت زدناهم سعيرا |
| | | और ख़ुदा जिसकी हिदायत करे वही हिदायत याफता है और जिसको गुमराही में छोड़ दे तो (याद रखो कि) फिर उसके सिवा किसी को उसका सरपरस्त न पाआगे और क़यामत के दिन हम उन लोगों का मुँह के बल औंधे और गूँगें और बहरे क़ब्रों से उठाएँगें उनका ठिकाना जहन्नुम है कि जब कभी बुझने को होगी तो हम उन लोगों पर (उसे) और भड़का देंगे |
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2127 | 17 | 98 | ذلك جزاؤهم بأنهم كفروا بآياتنا وقالوا أإذا كنا عظاما ورفاتا أإنا لمبعوثون خلقا جديدا |
| | | ये सज़ा उनकी इस वज़ह से है कि उन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया और कहने लगे कि जब हम (मरने के बाद सड़ गल) कर हड्डियाँ और रेज़ा रेज़ा हो जाएँगीं तो क्या फिर हम नये सिरे से पैदा करके उठाए जाएँगें |
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