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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2108 | 17 | 79 | ومن الليل فتهجد به نافلة لك عسى أن يبعثك ربك مقاما محمودا |
| | | और रात के ख़ास हिस्से में नमाजे तहज्जुद पढ़ा करो ये सुन्नत तुम्हारी खास फज़ीलत हैं क़रीब है कि क़यामत के दिन ख़ुदा तुमको मक़ामे महमूद तक पहुँचा दे |
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2109 | 17 | 80 | وقل رب أدخلني مدخل صدق وأخرجني مخرج صدق واجعل لي من لدنك سلطانا نصيرا |
| | | और ये दुआ माँगा करो कि ऐ मेरे परवरदिगार मुझे (जहाँ) पहुँचा अच्छी तरह पहुँचा और मुझे (जहाँ से निकाल) तो अच्छी तरह निकाल और मुझे ख़ास अपनी बारगाह से एक हुकूमत अता फरमा जिस से (हर क़िस्म की) मदद पहुँचे |
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2110 | 17 | 81 | وقل جاء الحق وزهق الباطل إن الباطل كان زهوقا |
| | | और (ऐ रसूल) कह दो कि (दीन) हक़ आ गया और बातिल नेस्तनाबूद हुआ इसमें शक़ नहीं कि बातिल मिटने वाला ही था |
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2111 | 17 | 82 | وننزل من القرآن ما هو شفاء ورحمة للمؤمنين ولا يزيد الظالمين إلا خسارا |
| | | और हम तो क़ुरान में वही चीज़ नाज़िल करते हैं जो मोमिनों के लिए (सरासर) शिफा और रहमत है (मगर) नाफरमानों को तो घाटे के सिवा कुछ बढ़ाता ही नहीं |
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2112 | 17 | 83 | وإذا أنعمنا على الإنسان أعرض ونأى بجانبه وإذا مسه الشر كان يئوسا |
| | | और जब हमने आदमी को नेअमत अता फरमाई तो (उल्टे) उसने (हमसे) मुँह फेरा और पहलू बचाने लगा और जब उसे कोई तकलीफ छू भी गई तो मायूस हो बैठा |
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2113 | 17 | 84 | قل كل يعمل على شاكلته فربكم أعلم بمن هو أهدى سبيلا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हर (एक अपने तरीक़े पर कारगुज़ारी करता है फिर तुम में से जो शख़्श बिल्कुल ठीक सीधी राह पर है तुम्हारा परवरदिगार (उससे) खूब वाक़िफ है |
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2114 | 17 | 85 | ويسألونك عن الروح قل الروح من أمر ربي وما أوتيتم من العلم إلا قليلا |
| | | और (ऐ रसूल) तुमसे लोग रुह के बारे में सवाल करते हैं तुम (उनके जवाब में) कह दो कि रूह (भी) मेरे परदिगार के हुक्म से (पैदा हुईहै) और तुमको बहुत थोड़ा सा इल्म दिया गया है |
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2115 | 17 | 86 | ولئن شئنا لنذهبن بالذي أوحينا إليك ثم لا تجد لك به علينا وكيلا |
| | | (इसकी हक़ीकत नहीं समझ सकते) और (ऐ रसूल) अगर हम चाहे तो जो (क़ुरान) हमने तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए भेजा है (दुनिया से) उठा ले जाएँ फिर तुम अपने वास्ते हमारे मुक़ाबले में कोई मददगार न पाओगे |
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2116 | 17 | 87 | إلا رحمة من ربك إن فضله كان عليك كبيرا |
| | | मगर ये सिर्फ तुम्हारे परवरदिगार की रहमत है (कि उसने ऐसा किया) इसमें शक़ नहीं कि उसका तुम पर बड़ा फज़ल व करम है |
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2117 | 17 | 88 | قل لئن اجتمعت الإنس والجن على أن يأتوا بمثل هذا القرآن لا يأتون بمثله ولو كان بعضهم لبعض ظهيرا |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे (उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने |
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