بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
21081779ومن الليل فتهجد به نافلة لك عسى أن يبعثك ربك مقاما محمودا
और रात के ख़ास हिस्से में नमाजे तहज्जुद पढ़ा करो ये सुन्नत तुम्हारी खास फज़ीलत हैं क़रीब है कि क़यामत के दिन ख़ुदा तुमको मक़ामे महमूद तक पहुँचा दे
21091780وقل رب أدخلني مدخل صدق وأخرجني مخرج صدق واجعل لي من لدنك سلطانا نصيرا
और ये दुआ माँगा करो कि ऐ मेरे परवरदिगार मुझे (जहाँ) पहुँचा अच्छी तरह पहुँचा और मुझे (जहाँ से निकाल) तो अच्छी तरह निकाल और मुझे ख़ास अपनी बारगाह से एक हुकूमत अता फरमा जिस से (हर क़िस्म की) मदद पहुँचे
21101781وقل جاء الحق وزهق الباطل إن الباطل كان زهوقا
और (ऐ रसूल) कह दो कि (दीन) हक़ आ गया और बातिल नेस्तनाबूद हुआ इसमें शक़ नहीं कि बातिल मिटने वाला ही था
21111782وننزل من القرآن ما هو شفاء ورحمة للمؤمنين ولا يزيد الظالمين إلا خسارا
और हम तो क़ुरान में वही चीज़ नाज़िल करते हैं जो मोमिनों के लिए (सरासर) शिफा और रहमत है (मगर) नाफरमानों को तो घाटे के सिवा कुछ बढ़ाता ही नहीं
21121783وإذا أنعمنا على الإنسان أعرض ونأى بجانبه وإذا مسه الشر كان يئوسا
और जब हमने आदमी को नेअमत अता फरमाई तो (उल्टे) उसने (हमसे) मुँह फेरा और पहलू बचाने लगा और जब उसे कोई तकलीफ छू भी गई तो मायूस हो बैठा
21131784قل كل يعمل على شاكلته فربكم أعلم بمن هو أهدى سبيلا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हर (एक अपने तरीक़े पर कारगुज़ारी करता है फिर तुम में से जो शख़्श बिल्कुल ठीक सीधी राह पर है तुम्हारा परवरदिगार (उससे) खूब वाक़िफ है
21141785ويسألونك عن الروح قل الروح من أمر ربي وما أوتيتم من العلم إلا قليلا
और (ऐ रसूल) तुमसे लोग रुह के बारे में सवाल करते हैं तुम (उनके जवाब में) कह दो कि रूह (भी) मेरे परदिगार के हुक्म से (पैदा हुईहै) और तुमको बहुत थोड़ा सा इल्म दिया गया है
21151786ولئن شئنا لنذهبن بالذي أوحينا إليك ثم لا تجد لك به علينا وكيلا
(इसकी हक़ीकत नहीं समझ सकते) और (ऐ रसूल) अगर हम चाहे तो जो (क़ुरान) हमने तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए भेजा है (दुनिया से) उठा ले जाएँ फिर तुम अपने वास्ते हमारे मुक़ाबले में कोई मददगार न पाओगे
21161787إلا رحمة من ربك إن فضله كان عليك كبيرا
मगर ये सिर्फ तुम्हारे परवरदिगार की रहमत है (कि उसने ऐसा किया) इसमें शक़ नहीं कि उसका तुम पर बड़ा फज़ल व करम है
21171788قل لئن اجتمعت الإنس والجن على أن يأتوا بمثل هذا القرآن لا يأتون بمثله ولو كان بعضهم لبعض ظهيرا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे (उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने


0 ... 200.7 201.7 202.7 203.7 204.7 205.7 206.7 207.7 208.7 209.7 211.7 212.7 213.7 214.7 215.7 216.7 217.7 218.7 219.7 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

3562611526202669417437843980406031611154