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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2105 | 17 | 76 | وإن كادوا ليستفزونك من الأرض ليخرجوك منها وإذا لا يلبثون خلافك إلا قليلا |
| | | और निश्चय ही उन्होंने चाल चली कि इस भूभाग से तुम्हारे क़दम उखाड़ दें, ताकि तुम्हें यहाँ से निकालकर ही रहे। और ऐसा हुआ तो तुम्हारे पीछे ये भी रह थोड़े ही पाएँगे |
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2106 | 17 | 77 | سنة من قد أرسلنا قبلك من رسلنا ولا تجد لسنتنا تحويلا |
| | | यही कार्य-प्रणाली हमारे उन रसूलों के विषय में भी रही है, जिन्हें हमने तुमसे पहले भेजा था और तुम हमारी कार्य-प्रणाली में कोई अन्तर न पाओगे |
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2107 | 17 | 78 | أقم الصلاة لدلوك الشمس إلى غسق الليل وقرآن الفجر إن قرآن الفجر كان مشهودا |
| | | नमाज़ क़ायम करो सूर्य के ढलने से लेकर रात के छा जाने तक और फ़ज्र (प्रभात) के क़ुरआन (अर्थात फ़ज्र की नमाज़ः के पाबन्द रहो। निश्चय ही फ़ज्र का क़ुरआन पढ़ना हुज़ूरी की चीज़ है |
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2108 | 17 | 79 | ومن الليل فتهجد به نافلة لك عسى أن يبعثك ربك مقاما محمودا |
| | | और रात के कुछ हिस्से में उस (क़ुरआन) के द्वारा जागरण किया करो, यह तुम्हारे लिए तद्अधिक (नफ़्ल) है। आशा है कि तुम्हारा रब तुम्हें उठाए ऐसा उठाना जो प्रशंसित हो |
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2109 | 17 | 80 | وقل رب أدخلني مدخل صدق وأخرجني مخرج صدق واجعل لي من لدنك سلطانا نصيرا |
| | | और कहो, "मेरे रब! तू मुझे ख़ूबी के साथ दाख़िल कर और ख़ूबी के साथ निकाल, और अपनी ओर से मुझे सहायक शक्ति प्रदान कर।" |
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2110 | 17 | 81 | وقل جاء الحق وزهق الباطل إن الباطل كان زهوقا |
| | | कह दो, "सत्य आ गया और असत्य मिट गया; असत्य तो मिट जानेवाला ही होता है।" |
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2111 | 17 | 82 | وننزل من القرآن ما هو شفاء ورحمة للمؤمنين ولا يزيد الظالمين إلا خسارا |
| | | हम क़ुरआन में से जो उतारते है वह मोमिनों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) और दयालुता है, किन्तु ज़ालिमों के लिए तो वह बस घाटे ही में अभिवृद्धि करता है |
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2112 | 17 | 83 | وإذا أنعمنا على الإنسان أعرض ونأى بجانبه وإذا مسه الشر كان يئوسا |
| | | मानव पर जब हम सुखद कृपा करते है तो वह मुँह फेरता और अपना पहलू बचाता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है, तो वह निराश होने लगता है |
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2113 | 17 | 84 | قل كل يعمل على شاكلته فربكم أعلم بمن هو أهدى سبيلا |
| | | कह दो, "हर एक अपने ढब पर काम कर रहा है, तो अब तुम्हारा रब ही भली-भाँति जानता है कि कौन अधिक सीधे मार्ग पर है।" |
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2114 | 17 | 85 | ويسألونك عن الروح قل الروح من أمر ربي وما أوتيتم من العلم إلا قليلا |
| | | वे तुमसे रूह के विषय में पूछते है। कह दो, "रूह का संबंध तो मेरे रब के आदेश से है, किन्तु ज्ञान तुम्हें मिला थोड़ा ही है।" |
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