نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2089 | 17 | 60 | وإذ قلنا لك إن ربك أحاط بالناس وما جعلنا الرؤيا التي أريناك إلا فتنة للناس والشجرة الملعونة في القرآن ونخوفهم فما يزيدهم إلا طغيانا كبيرا |
| | | और (ऐ रसूल) वह वक्त याद करो जब तुमसे हमने कह दिया था कि तुम्हारे परवरदिगार ने लोगों को (हर तरफ से) रोक रखा है कि (तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते और हमने जो ख्वाब तुमाको दिखलाया था तो बस उसे लोगों (के ईमान) की आज़माइश का ज़रिया ठहराया था और (इसी तरह) वह दरख्त जिस पर क़ुरान में लानत की गई है और हम बावजूद कि उन लोगों को (तरह तरह) से डराते हैं मगर हमारा डराना उनकी सख्त सरकशी को बढ़ाता ही गया |
|
2090 | 17 | 61 | وإذ قلنا للملائكة اسجدوا لآدم فسجدوا إلا إبليس قال أأسجد لمن خلقت طينا |
| | | और जब हम ने फरिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर इबलीस वह (गुरुर से) कहने लगा कि क्या मै ऐसे शख़्श को सजदा करुँ जिसे तूने मिट्टी से पैदा किया है |
|
2091 | 17 | 62 | قال أرأيتك هذا الذي كرمت علي لئن أخرتن إلى يوم القيامة لأحتنكن ذريته إلا قليلا |
| | | और (शेख़ी से) बोला भला देखो तो सही यही वह शख़्श है जिसको तूने मुझ पर फज़ीलत दी है अगर तू मुझ को क़यामत तक की मोहलत दे तो मैं (दावे से कहता हूँ कि) कम लोगों के सिवा इसकी नस्ल की जड़ काटता रहूँगा |
|
2092 | 17 | 63 | قال اذهب فمن تبعك منهم فإن جهنم جزاؤكم جزاء موفورا |
| | | ख़ुदा ने फरमाया चल (दूर हो) उनमें से जो शख़्श तेरी पैरवी करेगा तो (याद रहे कि) तुम सबकी सज़ा जहन्नुम है और वह भी पूरी पूरी सज़ा है |
|
2093 | 17 | 64 | واستفزز من استطعت منهم بصوتك وأجلب عليهم بخيلك ورجلك وشاركهم في الأموال والأولاد وعدهم وما يعدهم الشيطان إلا غرورا |
| | | और इसमें से जिस पर अपनी (चिकनी चुपड़ी) बात से क़ाबू पा सके वहॉ और अपने (चेलों के लश्कर) सवार और पैदल (सब) से चढ़ाई कर और माल और औलाद में उनके साथ साझा करे और उनसे (खूब झूठे) वायदे कर और शैतान तो उनसे जो वायदे करता है धोखे के सिवा कुछ नहीं होता |
|
2094 | 17 | 65 | إن عبادي ليس لك عليهم سلطان وكفى بربك وكيلا |
| | | बेशक जो मेरे (ख़ास) बन्दें हैं उन पर तेरा ज़ोर नहीं चल (सकता) और कारसाज़ी में तेरा परवरदिगार काफी है |
|
2095 | 17 | 66 | ربكم الذي يزجي لكم الفلك في البحر لتبتغوا من فضله إنه كان بكم رحيما |
| | | लोगों) तुम्हारा परवरदिगार वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जो तुम्हारे लिए समन्दर में जहाज़ों को चलाता है ताकि तुम उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो इसमें शक़ नहीं कि वह तुम पर बड़ा मेहरबान है |
|
2096 | 17 | 67 | وإذا مسكم الضر في البحر ضل من تدعون إلا إياه فلما نجاكم إلى البر أعرضتم وكان الإنسان كفورا |
| | | और जब समन्दर में कभी तुम को कोई तकलीफ पहुँचे तो जिनकी तुम इबादत किया करते थे ग़ायब हो गए मगर बस वही (एक ख़ुदा याद रहता है) उस पर भी जब ख़ुदा ने तुम को छुटकारा देकर खुशकी तक पहुँचा दिया तो फिर तुम इससे मुँह मोड़ बैठें और इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है |
|
2097 | 17 | 68 | أفأمنتم أن يخسف بكم جانب البر أو يرسل عليكم حاصبا ثم لا تجدوا لكم وكيلا |
| | | तो क्या तुम उसको इस का भी इत्मिनान हो गया कि वह तुम्हें खुश्की की तरफ (ले जाकर) (क़ारुन की तरह) ज़मीन में धंसा दे या तुम पर (क़ौम) लूत की तरह पत्थरों का मेंह बरसा दे फिर (उस वक्त) तुम किसी को अपना कारसाज़ न पाओगे |
|
2098 | 17 | 69 | أم أمنتم أن يعيدكم فيه تارة أخرى فيرسل عليكم قاصفا من الريح فيغرقكم بما كفرتم ثم لا تجدوا لكم علينا به تبيعا |
| | | या तुमको इसका भी इत्मेनान हो गया कि फिर तुमको दोबारा इसी समन्दर में ले जाएगा उसके बाद हवा का एक ऐसा झोका जो (जहाज़ के) परख़चे उड़ा दे तुम पर भेजे फिर तुम्हें तुम्हारे कुफ्र की सज़ा में डुबा मारे फिर तुम किसी को (ऐसा हिमायती) न पाओगे जो हमारा पीछा करे और (तुम्हें छोड़ा जाए) |
|