بسم الله الرحمن الرحيم

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202116120إن إبراهيم كان أمة قانتا لله حنيفا ولم يك من المشركين
निश्चय ही इबराहीम की स्थिति एक समुदाय की थी। वह अल्लाह का आज्ञाकारी और उसकी ओर एकाग्र था। वह कोई बहुदेववादी न था
202216121شاكرا لأنعمه اجتباه وهداه إلى صراط مستقيم
वह उसके (अल्लाह के) उदार अनुग्रहों के प्रति कृतज्ञता दिखलानेवाला था। अल्लाह ने उसे चुन लिया और उसे सीधे मार्ग पर चलाया
202316122وآتيناه في الدنيا حسنة وإنه في الآخرة لمن الصالحين
और हमने उसे दुनिया में भी भलाई दी और आख़िरत में भी वह अच्छे पूर्णकाम लोगों मे से होगा
202416123ثم أوحينا إليك أن اتبع ملة إبراهيم حنيفا وما كان من المشركين
फिर अब हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना की, "इबराहीम के तरीक़े पर चलो, जो बिलकुल एक ओर का हो गया था और बहुदेववादियों में से न था।"
202516124إنما جعل السبت على الذين اختلفوا فيه وإن ربك ليحكم بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون
'सब्त' तो केवल उन लोगों पर लागू हुआ था जिन्होंने उसके विषय में विभेद किया था। निश्चय ही तुम्हारा रब उनके बीच क़ियामत के दिन उसका फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे विभेद करते रहे है
202616125ادع إلى سبيل ربك بالحكمة والموعظة الحسنة وجادلهم بالتي هي أحسن إن ربك هو أعلم بمن ضل عن سبيله وهو أعلم بالمهتدين
अपने रब के मार्ग की ओर तत्वदर्शिता और सदुपदेश के साथ बुलाओ और उनसे ऐसे ढंग से वाद विवाद करो जो उत्तम हो। तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वह उन्हें भी भली-भाँति जानता है जो मार्ग पर है
202716126وإن عاقبتم فعاقبوا بمثل ما عوقبتم به ولئن صبرتم لهو خير للصابرين
और यदि तुम बदला लो तो उतना ही जितना तुम्हें कष्ट पहुँचा हो, किन्तु यदि तुम सब्र करो तो निश्चय ही यह सब्र करनेवालों के लिए ज़्यादा अच्छा है
202816127واصبر وما صبرك إلا بالله ولا تحزن عليهم ولا تك في ضيق مما يمكرون
सब्र से काम लो - और तुम्हारा सब्र अल्लाह ही से सम्बद्ध है - और उन पर दुखी न हो और न उससे दिल तंग हो जो चालें वे चलते है
202916128إن الله مع الذين اتقوا والذين هم محسنون
निश्चय ही, अल्लाह उनके साथ है जो डर रखते है और जो उत्तमकार है
2030171بسم الله الرحمن الرحيم سبحان الذي أسرى بعبده ليلا من المسجد الحرام إلى المسجد الأقصى الذي باركنا حوله لنريه من آياتنا إنه هو السميع البصير
क्या ही महिमावान है वह जो रातों-रात अपने बन्दे (मुहम्मद) को प्रतिष्ठित मस्जिद (काबा) से दूरवर्ती मस्जिद (अक़्सा) तक ले गया, जिसके चतुर्दिक को हमने बरकत दी, ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियाँ दिखाएँ। निस्संदेह वही सब कुछ सुनता, देखता है


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