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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2021 | 16 | 120 | إن إبراهيم كان أمة قانتا لله حنيفا ولم يك من المشركين |
| | | निश्चय ही इबराहीम की स्थिति एक समुदाय की थी। वह अल्लाह का आज्ञाकारी और उसकी ओर एकाग्र था। वह कोई बहुदेववादी न था |
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2022 | 16 | 121 | شاكرا لأنعمه اجتباه وهداه إلى صراط مستقيم |
| | | वह उसके (अल्लाह के) उदार अनुग्रहों के प्रति कृतज्ञता दिखलानेवाला था। अल्लाह ने उसे चुन लिया और उसे सीधे मार्ग पर चलाया |
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2023 | 16 | 122 | وآتيناه في الدنيا حسنة وإنه في الآخرة لمن الصالحين |
| | | और हमने उसे दुनिया में भी भलाई दी और आख़िरत में भी वह अच्छे पूर्णकाम लोगों मे से होगा |
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2024 | 16 | 123 | ثم أوحينا إليك أن اتبع ملة إبراهيم حنيفا وما كان من المشركين |
| | | फिर अब हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना की, "इबराहीम के तरीक़े पर चलो, जो बिलकुल एक ओर का हो गया था और बहुदेववादियों में से न था।" |
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2025 | 16 | 124 | إنما جعل السبت على الذين اختلفوا فيه وإن ربك ليحكم بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون |
| | | 'सब्त' तो केवल उन लोगों पर लागू हुआ था जिन्होंने उसके विषय में विभेद किया था। निश्चय ही तुम्हारा रब उनके बीच क़ियामत के दिन उसका फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे विभेद करते रहे है |
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2026 | 16 | 125 | ادع إلى سبيل ربك بالحكمة والموعظة الحسنة وجادلهم بالتي هي أحسن إن ربك هو أعلم بمن ضل عن سبيله وهو أعلم بالمهتدين |
| | | अपने रब के मार्ग की ओर तत्वदर्शिता और सदुपदेश के साथ बुलाओ और उनसे ऐसे ढंग से वाद विवाद करो जो उत्तम हो। तुम्हारा रब उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वह उन्हें भी भली-भाँति जानता है जो मार्ग पर है |
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2027 | 16 | 126 | وإن عاقبتم فعاقبوا بمثل ما عوقبتم به ولئن صبرتم لهو خير للصابرين |
| | | और यदि तुम बदला लो तो उतना ही जितना तुम्हें कष्ट पहुँचा हो, किन्तु यदि तुम सब्र करो तो निश्चय ही यह सब्र करनेवालों के लिए ज़्यादा अच्छा है |
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2028 | 16 | 127 | واصبر وما صبرك إلا بالله ولا تحزن عليهم ولا تك في ضيق مما يمكرون |
| | | सब्र से काम लो - और तुम्हारा सब्र अल्लाह ही से सम्बद्ध है - और उन पर दुखी न हो और न उससे दिल तंग हो जो चालें वे चलते है |
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2029 | 16 | 128 | إن الله مع الذين اتقوا والذين هم محسنون |
| | | निश्चय ही, अल्लाह उनके साथ है जो डर रखते है और जो उत्तमकार है |
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2030 | 17 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم سبحان الذي أسرى بعبده ليلا من المسجد الحرام إلى المسجد الأقصى الذي باركنا حوله لنريه من آياتنا إنه هو السميع البصير |
| | | क्या ही महिमावान है वह जो रातों-रात अपने बन्दे (मुहम्मद) को प्रतिष्ठित मस्जिद (काबा) से दूरवर्ती मस्जिद (अक़्सा) तक ले गया, जिसके चतुर्दिक को हमने बरकत दी, ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियाँ दिखाएँ। निस्संदेह वही सब कुछ सुनता, देखता है |
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