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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
203 | 2 | 196 | وأتموا الحج والعمرة لله فإن أحصرتم فما استيسر من الهدي ولا تحلقوا رءوسكم حتى يبلغ الهدي محله فمن كان منكم مريضا أو به أذى من رأسه ففدية من صيام أو صدقة أو نسك فإذا أمنتم فمن تمتع بالعمرة إلى الحج فما استيسر من الهدي فمن لم يجد فصيام ثلاثة أيام في الحج وسبعة إذا رجعتم تلك عشرة كاملة ذلك لمن لم يكن أهله حاضري المسجد الحرام واتقوا الله واعلموا أن الله شديد العقاب |
| | | और हज और उमरा जो कि अल्लाह के लिए है, पूरे करो। फिर यदि तुम घिर जाओ, तो जो क़ुरबानी उपलब्ध हो पेश कर दो। और अपने सिर न मूड़ो जब तक कि क़ुरबानी अपने ठिकाने न पहुँच जाए, किन्तु जो व्यक्ति तुममें बीमार हो या उसके सिर में कोई तकलीफ़ हो, तो रोज़े या सदक़ा या क़रबानी के रूप में फ़िद्याी देना होगा। फिर जब तुम पर से ख़तरा टल जाए, तो जो व्यक्ति हज तक उमरा से लाभान्वित हो, जो जो क़ुरबानी उपलब्ध हो पेश करे, और जिसको उपलब्ध न हो तो हज के दिनों में तीन दिन के रोज़े रखे और सात दिन के रोज़े जब तुम वापस हो, ये पूरे दस हुए। यह उसके लिए है जिसके बाल-बच्चे मस्जिदे हराम के निकट न रहते हों। अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह कठोर दंड देनेवाला है |
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204 | 2 | 197 | الحج أشهر معلومات فمن فرض فيهن الحج فلا رفث ولا فسوق ولا جدال في الحج وما تفعلوا من خير يعلمه الله وتزودوا فإن خير الزاد التقوى واتقون يا أولي الألباب |
| | | हज के महीने जाने-पहचाने और निश्चित हैं, तो जो इनमें हज करने का निश्चय करे, को हज में न तो काम-वासना की बातें हो सकती है और न अवज्ञा और न लड़ाई-झगड़े की कोई बात। और जो भलाई के काम भी तुम करोंगे अल्लाह उसे जानता होगा। और (ईश-भय) पाथेय ले लो, क्योंकि सबसे उत्तम पाथेय ईश-भय है। और ऐ बुद्धि और समझवालो! मेरा डर रखो |
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205 | 2 | 198 | ليس عليكم جناح أن تبتغوا فضلا من ربكم فإذا أفضتم من عرفات فاذكروا الله عند المشعر الحرام واذكروه كما هداكم وإن كنتم من قبله لمن الضالين |
| | | इसमे तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने रब का अनुग्रह तलब करो। फिर जब तुम अरफ़ात से चलो तो 'मशअरे हराम' (मुज़दल्फ़ा) के निकट ठहरकर अल्लाह को याद करो, और उसे याद करो जैसाकि उसने तुम्हें बताया है, और इससे पहले तुम पथभ्रष्ट थे |
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206 | 2 | 199 | ثم أفيضوا من حيث أفاض الناس واستغفروا الله إن الله غفور رحيم |
| | | इसके पश्चात जहाँ से और सब लोग चलें, वहीं से तुम भी चलो, और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
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207 | 2 | 200 | فإذا قضيتم مناسككم فاذكروا الله كذكركم آباءكم أو أشد ذكرا فمن الناس من يقول ربنا آتنا في الدنيا وما له في الآخرة من خلاق |
| | | फिर जब तुम अपनी हज सम्बन्धी रीतियों को पूरा कर चुको तो अल्लाह को याद करो जैसे अपने बाप-दादा को याद करते रहे हो, बल्कि उससे भी बढ़कर याद करो। फिर लोगों सें कोई तो ऐसा है जो कहता है, "हमारे रब! हमें दुनिया में दे दो।" ऐसी हालत में आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं |
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208 | 2 | 201 | ومنهم من يقول ربنا آتنا في الدنيا حسنة وفي الآخرة حسنة وقنا عذاب النار |
| | | और उनमें कोई ऐसा है जो कहता है, "हमारे रब! हमें प्रदान कर दुनिया में भी अच्छी दशा और आख़िरत में भी अच्छा दशा, और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले।" |
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209 | 2 | 202 | أولئك لهم نصيب مما كسبوا والله سريع الحساب |
| | | ऐसे ही लोग है कि उन्होंने जो कुछ कमाया है उसकी जिन्स का हिस्सा उनके लिए नियत है। और अल्लाह जल्द ही हिसाब चुकानेवाला है |
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210 | 2 | 203 | واذكروا الله في أيام معدودات فمن تعجل في يومين فلا إثم عليه ومن تأخر فلا إثم عليه لمن اتقى واتقوا الله واعلموا أنكم إليه تحشرون |
| | | और अल्लाह की याद में गिनती के ये कुछ दिन व्यतीत करो। फिर जो कोई जल्दी करके दो ही दिन में कूच करे तो इसमें उसपर कोई गुनाह नहीं। और जो ठहरा रहे तो इसमें भी उसपर कोई गुनाह नहीं। यह उसके लिेए है जो अल्लाह का डर रखे। और अल्लाह का डर रखो और जान रखो कि उसी के पास तुम इकट्ठा होगे |
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211 | 2 | 204 | ومن الناس من يعجبك قوله في الحياة الدنيا ويشهد الله على ما في قلبه وهو ألد الخصام |
| | | लोगों में कोई तो ऐसा है कि इस सांसारिक जीवन के विषय में उसकी बाते तुम्हें बहुत भाती है, उस (खोट) के बावजूद जो उसके दिल में होती है, वह अल्लाह को गवाह ठहराता है और झगड़े में वह बड़ा हठी है |
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212 | 2 | 205 | وإذا تولى سعى في الأرض ليفسد فيها ويهلك الحرث والنسل والله لا يحب الفساد |
| | | और जब वह लौटता है, तो धरती में इसलिए दौड़-धूप करता है कि इसमें बिगाड़ पैदा करे और खेती और नस्ल को तबाह करे, जबकि अल्लाह बिगाड़ को पसन्द नहीं करता |
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