بسم الله الرحمن الرحيم

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201716116ولا تقولوا لما تصف ألسنتكم الكذب هذا حلال وهذا حرام لتفتروا على الله الكذب إن الذين يفترون على الله الكذب لا يفلحون
और झूट मूट जो कुछ तुम्हारी ज़बान पर आए (बे समझे बूझे) न कह बैठा करों कि ये हलाल है और हराम है ताकि इसकी बदौलत ख़ुदा पर झूठ बोहतान बाँधने लगो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग ख़ुदा पर झूठ बोहतान बाधते हैं वह कभी कामयाब न होगें
201816117متاع قليل ولهم عذاب أليم
(दुनिया में) फायदा तो ज़रा सा है और (आख़िरत में) दर्दनाक अज़ाब है
201916118وعلى الذين هادوا حرمنا ما قصصنا عليك من قبل وما ظلمناهم ولكن كانوا أنفسهم يظلمون
और यहूदियों पर हमने वह चीज़े हराम कर दीं थी जो तुमसे पहले बयान कर चुके हैं और हमने तो (इस की वजह से) उन पर कुछ ज़ुल्म नहीं किया
202016119ثم إن ربك للذين عملوا السوء بجهالة ثم تابوا من بعد ذلك وأصلحوا إن ربك من بعدها لغفور رحيم
मगर वह लोग खुद अपने ऊपर सितम तोड़ रहे हैं फिर इसमे शक़ नहीं कि जो लोग नादानी से गुनाह कर बैठे उसके बाद सदक़ दिल से तौबा कर ली और अपने को दुरुस्त कर लिया तो (ऐ रसूल) इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार इसके बाद बख्शने वाला मेहरबान है
202116120إن إبراهيم كان أمة قانتا لله حنيفا ولم يك من المشركين
इसमें शक़ नहीं कि इबराहीम (लोगों के) पेशवा ख़ुदा के फरमाबरदार बन्दे और बातिल से कतरा कर चलने वाले थे और मुशरेकीन से हरगिज़ न थे
202216121شاكرا لأنعمه اجتباه وهداه إلى صراط مستقيم
उसकी नेअमतों के शुक्र गुज़ार उनको ख़ुदा ने मुनतख़िब कर लिया है और (अपनी) सीधी राह की उन्हें हिदायत की थी
202316122وآتيناه في الدنيا حسنة وإنه في الآخرة لمن الصالحين
और हमने उन्हें दुनिया में भी (हर तरह की) बेहतरी अता की थी
202416123ثم أوحينا إليك أن اتبع ملة إبراهيم حنيفا وما كان من المشركين
और वह आख़िरत में भी यक़ीनन नेको कारों से होगें ऐ रसूल फिर तुम्हारे पास वही भेजी कि इबराहीम के तरीक़े की पैरवी करो जो बातिल से कतरा के चलते थे और मुशरेकीन से नहीं थे
202516124إنما جعل السبت على الذين اختلفوا فيه وإن ربك ليحكم بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون
(ऐ रसूल) हफ्ते (के दिन) की ताज़ीम तो बस उन्हीं लोगों पर लाज़िम की गई थी (यहूद व नसारा इसके बारे में) एख्तिलाफ करते थे और कुछ शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनके दरमियान जिस अग्र में वह झगड़ा करते थे क़यामत के दिन फैसला कर देगा
202616125ادع إلى سبيل ربك بالحكمة والموعظة الحسنة وجادلهم بالتي هي أحسن إن ربك هو أعلم بمن ضل عن سبيله وهو أعلم بالمهتدين
(ऐ रसूल) तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की राह पर हिकमत और अच्छी अच्छी नसीहत के ज़रिए से बुलाओ और बहस व मुबाशा करो भी तो इस तरीक़े से जो लोगों के नज़दीक सबसे अच्छा हो इसमें शक़ नहीं कि जो लोग ख़ुदा की राह से भटक गए उनको तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है


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