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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2000 | 16 | 99 | إنه ليس له سلطان على الذين آمنوا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | इसमें शक नहीं कि जो लोग ईमानदार हैं और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका क़ाबू नहीं चलता |
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2001 | 16 | 100 | إنما سلطانه على الذين يتولونه والذين هم به مشركون |
| | | उसका क़ाबू चलता है तो बस उन्हीं लोगों पर जो उसको दोस्त बनाते हैं और जो लोग उसको ख़ुदा का शरीक बनाते हैं |
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2002 | 16 | 101 | وإذا بدلنا آية مكان آية والله أعلم بما ينزل قالوا إنما أنت مفتر بل أكثرهم لا يعلمون |
| | | और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते |
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2003 | 16 | 102 | قل نزله روح القدس من ربك بالحق ليثبت الذين آمنوا وهدى وبشرى للمسلمين |
| | | (ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि इस (क़ुरान) को तो रुहलकुदूस (जिबरील) ने तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ नाज़िल किया है ताकि जो लोग ईमान ला चुके हैं उनको साबित क़दम रखे और मुसलमानों के लिए (अज़सरतापा) खुशखबरी है |
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2004 | 16 | 103 | ولقد نعلم أنهم يقولون إنما يعلمه بشر لسان الذي يلحدون إليه أعجمي وهذا لسان عربي مبين |
| | | और (ऐ रसूल) हम तहक़ीक़तन जानते हैं कि ये कुफ्फार तुम्हारी निस्बत कहा करते है कि उनको (तुम को) कोई आदमी क़ुरान सिखा दिया करता है हालॉकि बिल्कुल ग़लत है क्योंकि जिस शख्स की तरफ से ये लोग निस्बत देते हैं उसकी ज़बान तो अजमी है और ये तो साफ साफ अरबी ज़बान है |
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2005 | 16 | 104 | إن الذين لا يؤمنون بآيات الله لا يهديهم الله ولهم عذاب أليم |
| | | इसमें तो शक ही नहीं कि जो लोग ख़ुदा की आयतों पर ईमान नहीं लाते ख़ुदा भी उनको मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है |
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2006 | 16 | 105 | إنما يفتري الكذب الذين لا يؤمنون بآيات الله وأولئك هم الكاذبون |
| | | झूठ बोहतान तो बस वही लोग बॉधा करते हैं जो खुदा की आयतों पर ईमान नहीं रखतें |
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2007 | 16 | 106 | من كفر بالله من بعد إيمانه إلا من أكره وقلبه مطمئن بالإيمان ولكن من شرح بالكفر صدرا فعليهم غضب من الله ولهم عذاب عظيم |
| | | और हक़ीक़त अम्र ये है कि यही लोग झूठे हैं उस शख्स के सिवा जो (कलमाए कुफ्र) पर मजबूर किया जाए और उसका दिल ईमान की तरफ से मुतमइन हो जो शख्स भी ईमान लाने के बाद कुफ्र एख्तियार करे बल्कि खूब सीना कुशादा (जी खोलकर) कुफ्र करे तो उन पर ख़ुदा का ग़ज़ब है और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है |
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2008 | 16 | 107 | ذلك بأنهم استحبوا الحياة الدنيا على الآخرة وأن الله لا يهدي القوم الكافرين |
| | | ये इस वजह से कि उन लोगों ने दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी को आख़िरत पर तरजीह दी और इस वजह से की ख़ुदा काफिरों को हरगिज़ मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता |
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2009 | 16 | 108 | أولئك الذين طبع الله على قلوبهم وسمعهم وأبصارهم وأولئك هم الغافلون |
| | | ये वही लोग हैं जिनके दिलों पर और उनके कानों पर और उनकी ऑंखों पर खुदा ने अलामात मुक़र्रर कर दी है |
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