بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
20001699إنه ليس له سلطان على الذين آمنوا وعلى ربهم يتوكلون
इसमें शक नहीं कि जो लोग ईमानदार हैं और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका क़ाबू नहीं चलता
200116100إنما سلطانه على الذين يتولونه والذين هم به مشركون
उसका क़ाबू चलता है तो बस उन्हीं लोगों पर जो उसको दोस्त बनाते हैं और जो लोग उसको ख़ुदा का शरीक बनाते हैं
200216101وإذا بدلنا آية مكان آية والله أعلم بما ينزل قالوا إنما أنت مفتر بل أكثرهم لا يعلمون
और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते
200316102قل نزله روح القدس من ربك بالحق ليثبت الذين آمنوا وهدى وبشرى للمسلمين
(ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि इस (क़ुरान) को तो रुहलकुदूस (जिबरील) ने तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ नाज़िल किया है ताकि जो लोग ईमान ला चुके हैं उनको साबित क़दम रखे और मुसलमानों के लिए (अज़सरतापा) खुशखबरी है
200416103ولقد نعلم أنهم يقولون إنما يعلمه بشر لسان الذي يلحدون إليه أعجمي وهذا لسان عربي مبين
और (ऐ रसूल) हम तहक़ीक़तन जानते हैं कि ये कुफ्फार तुम्हारी निस्बत कहा करते है कि उनको (तुम को) कोई आदमी क़ुरान सिखा दिया करता है हालॉकि बिल्कुल ग़लत है क्योंकि जिस शख्स की तरफ से ये लोग निस्बत देते हैं उसकी ज़बान तो अजमी है और ये तो साफ साफ अरबी ज़बान है
200516104إن الذين لا يؤمنون بآيات الله لا يهديهم الله ولهم عذاب أليم
इसमें तो शक ही नहीं कि जो लोग ख़ुदा की आयतों पर ईमान नहीं लाते ख़ुदा भी उनको मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
200616105إنما يفتري الكذب الذين لا يؤمنون بآيات الله وأولئك هم الكاذبون
झूठ बोहतान तो बस वही लोग बॉधा करते हैं जो खुदा की आयतों पर ईमान नहीं रखतें
200716106من كفر بالله من بعد إيمانه إلا من أكره وقلبه مطمئن بالإيمان ولكن من شرح بالكفر صدرا فعليهم غضب من الله ولهم عذاب عظيم
और हक़ीक़त अम्र ये है कि यही लोग झूठे हैं उस शख्स के सिवा जो (कलमाए कुफ्र) पर मजबूर किया जाए और उसका दिल ईमान की तरफ से मुतमइन हो जो शख्स भी ईमान लाने के बाद कुफ्र एख्तियार करे बल्कि खूब सीना कुशादा (जी खोलकर) कुफ्र करे तो उन पर ख़ुदा का ग़ज़ब है और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है
200816107ذلك بأنهم استحبوا الحياة الدنيا على الآخرة وأن الله لا يهدي القوم الكافرين
ये इस वजह से कि उन लोगों ने दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी को आख़िरत पर तरजीह दी और इस वजह से की ख़ुदा काफिरों को हरगिज़ मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता
200916108أولئك الذين طبع الله على قلوبهم وسمعهم وأبصارهم وأولئك هم الغافلون
ये वही लोग हैं जिनके दिलों पर और उनके कानों पर और उनकी ऑंखों पर खुदा ने अलामात मुक़र्रर कर दी है


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