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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1992 | 16 | 91 | وأوفوا بعهد الله إذا عاهدتم ولا تنقضوا الأيمان بعد توكيدها وقد جعلتم الله عليكم كفيلا إن الله يعلم ما تفعلون |
| | | और जब तुम लोग बाहम क़ौल व क़रार कर लिया करो तो ख़ुदा के एहदो पैमान को पूरा करो और क़समों को उनके पक्का हो जाने के बाद न तोड़ा करो हालॉकि तुम तो ख़ुदा को अपना ज़ामिन बना चुके हो जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे ज़रुर जानता है |
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1993 | 16 | 92 | ولا تكونوا كالتي نقضت غزلها من بعد قوة أنكاثا تتخذون أيمانكم دخلا بينكم أن تكون أمة هي أربى من أمة إنما يبلوكم الله به وليبينن لكم يوم القيامة ما كنتم فيه تختلفون |
| | | और तुम लोग (क़समों के तोड़ने में) उस औरत के ऐसे न हो जो अपना सूत मज़बूत कातने के बाद टुकड़े टुकड़े करके तोड़ डाले कि अपने एहदो को आपस में उस बात की मक्कारी का ज़रिया बनाने लगो कि एक गिरोह दूसरे गिरोह से (ख्वामख़वाह) बढ़ जाए इससे बस ख़ुदा तुमको आज़माता है (कि तुम किसी की पालाइश करते हो) और जिन बातों में तुम दुनिया में झगड़ते थे क़यामत के दिन ख़ुदा खुद तुम से साफ साफ बयान कर देगा |
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1994 | 16 | 93 | ولو شاء الله لجعلكم أمة واحدة ولكن يضل من يشاء ويهدي من يشاء ولتسألن عما كنتم تعملون |
| | | और अगर ख़ुदा चाहता तो तुम सबको एक ही (किस्म के) गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसकी चाहता है हिदायत करता है और जो कुछ तुम लोग दुनिया में किया करते थे उसकी बाज़ पुर्स (पुछ गछ) तुमसे ज़रुर की जाएगी |
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1995 | 16 | 94 | ولا تتخذوا أيمانكم دخلا بينكم فتزل قدم بعد ثبوتها وتذوقوا السوء بما صددتم عن سبيل الله ولكم عذاب عظيم |
| | | और तुम अपनी क़समों को आपस में के फसाद का सबब न बनाओ ताकि (लोगों के) क़दम जमने के बाद (इस्लाम से) उखड़ जाएँ और फिर आख़िरकार क़यामत में तुम्हें लोगों को ख़ुदा की राह से रोकने की पादाश (रोकने के बदले) में अज़ाब का मज़ा चखना पड़े और तुम्हारे वास्ते बड़ा सख्त अज़ाब हो |
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1996 | 16 | 95 | ولا تشتروا بعهد الله ثمنا قليلا إنما عند الله هو خير لكم إن كنتم تعلمون |
| | | और ख़ुदा के एहदो पैमान के बदले थोड़ी क़ीमत (दुनयावी नफा) न लो अगर तुम जानते (बूझते) हो तो (समझ लो कि) जो कुछ ख़ुदा के पास है वह उससे कहीं बेहतर है |
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1997 | 16 | 96 | ما عندكم ينفد وما عند الله باق ولنجزين الذين صبروا أجرهم بأحسن ما كانوا يعملون |
| | | (क्योंकि माल दुनिया से) जो कुछ तुम्हारे पास है एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगा और (अज्र) ख़ुदा के पास है वह हमेशा बाक़ी रहेगा और जिन लोगों ने दुनिया में सब्र किया था उनको (क़यामत में) उनके कामों का हम अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता करेंगें |
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1998 | 16 | 97 | من عمل صالحا من ذكر أو أنثى وهو مؤمن فلنحيينه حياة طيبة ولنجزينهم أجرهم بأحسن ما كانوا يعملون |
| | | मर्द हो या औरत जो शख़्श नेक काम करेगा और वह ईमानदार भी हो तो हम उसे (दुनिया में भी) पाक व पाकीज़ा जिन्दगी बसर कराएँगें और (आख़िरत में भी) जो कुछ वह करते थे उसका अच्छे से अच्छा अज्र व सवाब अता फरमाएँगें |
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1999 | 16 | 98 | فإذا قرأت القرآن فاستعذ بالله من الشيطان الرجيم |
| | | और जब तुम क़ुरान पढ़ने लगो तो शैतान मरदूद (के वसवसो) से ख़ुदा की पनाह तलब कर लिया करो |
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2000 | 16 | 99 | إنه ليس له سلطان على الذين آمنوا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | इसमें शक नहीं कि जो लोग ईमानदार हैं और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका क़ाबू नहीं चलता |
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2001 | 16 | 100 | إنما سلطانه على الذين يتولونه والذين هم به مشركون |
| | | उसका क़ाबू चलता है तो बस उन्हीं लोगों पर जो उसको दोस्त बनाते हैं और जो लोग उसको ख़ुदा का शरीक बनाते हैं |
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