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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1980 | 16 | 79 | ألم يروا إلى الطير مسخرات في جو السماء ما يمسكهن إلا الله إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या उन लोगों ने परिन्दों की तरफ ग़ौर नहीं किया जो आसमान के नीचे हवा में घिरे हुए (उड़ते रहते हैं) उनको तो बस ख़ुदा ही (गिरने से ) रोकता है बेशक इसमें भी (कुदरते ख़ुदा की) ईमानदारों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं |
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1981 | 16 | 80 | والله جعل لكم من بيوتكم سكنا وجعل لكم من جلود الأنعام بيوتا تستخفونها يوم ظعنكم ويوم إقامتكم ومن أصوافها وأوبارها وأشعارها أثاثا ومتاعا إلى حين |
| | | और ख़ुदा ही ने तुम्हारे घरों को तुम्हारा ठिकाना क़रार दिया और उसी ने तुम्हारे वास्ते चौपायों की खालों से तुम्हारे लिए (हलके फुलके) डेरे (ख़ेमे) बना जिन्हें तुम हलका पाकर अपने सफर और हजर (ठहरने) में काम लाते हो और इन चारपायों की ऊन और रुई और बालो से एक वक्त ख़ास (क़यामत तक) के लिए तुम्हारे बहुत से असबाब और अबकार आमद (काम की) चीज़े बनाई |
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1982 | 16 | 81 | والله جعل لكم مما خلق ظلالا وجعل لكم من الجبال أكنانا وجعل لكم سرابيل تقيكم الحر وسرابيل تقيكم بأسكم كذلك يتم نعمته عليكم لعلكم تسلمون |
| | | और ख़ुदा ही ने तुम्हारे आराम के लिए अपनी पैदा की हुईचीज़ों के साए बनाए और उसी ने तुम्हारे (छिपने बैठने) के वास्ते पहाड़ों में घरौन्दे (ग़ार वग़ैरह) बनाए और उसी ने तुम्हारे लिए कपड़े बनाए जो तुम्हें (सर्दी) गर्मी से महफूज़ रखें और (लोहे) के कुर्ते जो तुम्हें हाथियों की ज़द (मार) से बचा लंग़ यूँ ख़ुदा अपनी नेअमत तुम पर पूरी करता है |
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1983 | 16 | 82 | فإن تولوا فإنما عليك البلاغ المبين |
| | | तुम उसकी फरमाबरदारी करो उस पर भी अगर ये लोग (ईमान से) मुँह फेरे तो तुम्हारा फर्ज सिर्फ (एहकाम का) साफ पहुँचा देना है |
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1984 | 16 | 83 | يعرفون نعمت الله ثم ينكرونها وأكثرهم الكافرون |
| | | (बस) ये लोग ख़ुदा की नेअमतों को पहचानते हैं फिर (जानबुझ कर) उनसे मुकर जाते हैं और इन्हीं में से बहुतेरे नाशुक्रे हैं |
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1985 | 16 | 84 | ويوم نبعث من كل أمة شهيدا ثم لا يؤذن للذين كفروا ولا هم يستعتبون |
| | | और जिस दिन हम एक उम्मत में से (उसके पैग़म्बरों को) गवाह बनाकर क़ब्रों से उठा खड़ा करेगे फिर तो काफिरों को न (बात करने की) इजाज़त दी जाएगी और न उनका उज्र (जवाब) ही सुना जाएगा |
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1986 | 16 | 85 | وإذا رأى الذين ظلموا العذاب فلا يخفف عنهم ولا هم ينظرون |
| | | और जिन लोगों ने (दुनिया में) शरारतें की थी जब वह अज़ाब को देख लेगें तो उनके अज़ाब ही में तख़फ़ीफ़ की जाएगी और न उनको मोहलत ही दी जाएगी |
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1987 | 16 | 86 | وإذا رأى الذين أشركوا شركاءهم قالوا ربنا هؤلاء شركاؤنا الذين كنا ندعو من دونك فألقوا إليهم القول إنكم لكاذبون |
| | | और जिन लोगों ने दुनिया में ख़ुदा का शरीक (दूसरे को) ठहराया था जब अपने (उन) शरीकों को (क़यामत में) देखेंगे तो बोल उठेगें कि ऐ हमारे परवरदिगार यही तो हमारे शरीक हैं जिन्हें हम (मुसीबत) के वक्त तुझे छोड़ कर पुकारा करते थे तो वह शरीक उन्हीं की तरफ बात को फेंक मारेगें कि तुम निरे झूठे हो |
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1988 | 16 | 87 | وألقوا إلى الله يومئذ السلم وضل عنهم ما كانوا يفترون |
| | | और उस दिन ख़ुदा के सामने सर झुका देंगे और जो इफ़तेरा परदाज़ियाँ दुनिया में किया करते थे उनसे गायब हो जाएँगें |
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1989 | 16 | 88 | الذين كفروا وصدوا عن سبيل الله زدناهم عذابا فوق العذاب بما كانوا يفسدون |
| | | जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया और लोगों को ख़ुदा की राह से रोका उनके फ़साद वाले कामों के बदले में उनके लिए हम अज़ाब पर अज़ाब बढ़ाते जाएँगें |
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