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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1972 | 16 | 71 | والله فضل بعضكم على بعض في الرزق فما الذين فضلوا برادي رزقهم على ما ملكت أيمانهم فهم فيه سواء أفبنعمة الله يجحدون |
| | | और ख़ुदा ही ने तुममें से बाज़ को बाज़ पर रिज़क (दौलत में) तरजीह दी है फिर जिन लोगों को रोज़ी ज्यादा दी गई है वह लोग अपनी रोज़ी में से उन लोगों को जिन पर उनका दस्तरस (इख्तेयार) है (लौन्डी ग़ुलाम वग़ैरह) देने वाला नहीं (हालॉकि इस माल में तो सब के सब मालिक गुलाम वग़ैरह) बराबर हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा की नेअमत के मुन्किर हैं |
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1973 | 16 | 72 | والله جعل لكم من أنفسكم أزواجا وجعل لكم من أزواجكم بنين وحفدة ورزقكم من الطيبات أفبالباطل يؤمنون وبنعمت الله هم يكفرون |
| | | और ख़ुदा ही ने तुम्हारे लिए बीबियाँ तुम ही में से बनाई और उसी ने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी बीवियों से बेटे और पोते पैदा किए और तुम्हें पाक व पाकीज़ा रोज़ी खाने को दी तो क्या ये लोग बिल्कुल बातिल (सुल्तान बुत वग़ैरह) पर ईमान रखते हैं और ख़ुदा की नेअमत (वहदानियत वग़ैरह से) इन्कार करते हैं |
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1974 | 16 | 73 | ويعبدون من دون الله ما لا يملك لهم رزقا من السماوات والأرض شيئا ولا يستطيعون |
| | | और ख़ुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ की परसतिश करते हैं जो आसमानों और ज़मीन में से उनको रिज़क़ देने का कुछ भी न एख्तियार रखते हैं और न कुदरत हासिल कर सकते हैं |
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1975 | 16 | 74 | فلا تضربوا لله الأمثال إن الله يعلم وأنتم لا تعلمون |
| | | तो तुम (दुनिया के लोगों पर कयास करके ख़ुद) मिसालें न गढ़ो बेशक ख़ुदा (सब कुछ) जानता है और तुम नहीं जानते |
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1976 | 16 | 75 | ضرب الله مثلا عبدا مملوكا لا يقدر على شيء ومن رزقناه منا رزقا حسنا فهو ينفق منه سرا وجهرا هل يستوون الحمد لله بل أكثرهم لا يعلمون |
| | | एक मसल ख़ुदा ने बयान फरमाई कि एक ग़ुलाम है जो दूसरे के कब्जे में है (और) कुछ भी एख्तियार नहीं रखता और एक शख़्श वह है कि हमने उसे अपनी बारगाह से अच्छी (खासी) रोज़ी दे रखी है तो वह उसमें से छिपा के दिखा के (ग़रज़ हर तरह ख़ुदा की राह में) ख़र्च करता है क्या ये दोनो बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह (कि वह भी उसके मुक़र्रर हैं) मगर उनके बहुतेरे (इतना भी) नहीं जानते |
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1977 | 16 | 76 | وضرب الله مثلا رجلين أحدهما أبكم لا يقدر على شيء وهو كل على مولاه أينما يوجهه لا يأت بخير هل يستوي هو ومن يأمر بالعدل وهو على صراط مستقيم |
| | | और ख़ुदा एक दूसरी मसल बयान फरमाता है दो आदमी हैं कि एक उनमें से बिल्कुल गूँगा उस पर गुलाम जो कुछ भी (बात वग़ैरह की) कुदरत नहीं रखता और (इस वजह से) वह अपने मालिक को दूभर हो रहा है कि उसको जिधर भेजता है (ख़ैर से) कभी भलाई नहीं लाता क्या ऐसा ग़ुलाम और वह शख़्श जो (लोगों को) अदल व मियाना रवी का हुक्म करता है वह खुद भी ठीक सीधी राह पर क़ायम है (दोनों बराबर हो सकते हैं (हरगिज़ नहीं) |
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1978 | 16 | 77 | ولله غيب السماوات والأرض وما أمر الساعة إلا كلمح البصر أو هو أقرب إن الله على كل شيء قدير |
| | | और सारे आसमान व ज़मीन की ग़ैब की बातें ख़ुदा ही के लिए मख़सूस हैं और ख़ुदा क़यामत का वाकेए होना तो ऐसा है जैसे पलक का झपकना बल्कि इससे भी जल्दी बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ुदरत कामेला रखता है |
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1979 | 16 | 78 | والله أخرجكم من بطون أمهاتكم لا تعلمون شيئا وجعل لكم السمع والأبصار والأفئدة لعلكم تشكرون |
| | | और ख़ुदा ही ने तुम्हें तुम्हारी माओं के पेट से निकाला (जब) तुम बिल्कुल नासमझ थे और तुम को कान दिए और ऑंखें (अता की) दिल (इनायत किए) ताकि तुम शुक्र करो |
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1980 | 16 | 79 | ألم يروا إلى الطير مسخرات في جو السماء ما يمسكهن إلا الله إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या उन लोगों ने परिन्दों की तरफ ग़ौर नहीं किया जो आसमान के नीचे हवा में घिरे हुए (उड़ते रहते हैं) उनको तो बस ख़ुदा ही (गिरने से ) रोकता है बेशक इसमें भी (कुदरते ख़ुदा की) ईमानदारों के लिए बहुत सी निशानियाँ हैं |
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1981 | 16 | 80 | والله جعل لكم من بيوتكم سكنا وجعل لكم من جلود الأنعام بيوتا تستخفونها يوم ظعنكم ويوم إقامتكم ومن أصوافها وأوبارها وأشعارها أثاثا ومتاعا إلى حين |
| | | और ख़ुदा ही ने तुम्हारे घरों को तुम्हारा ठिकाना क़रार दिया और उसी ने तुम्हारे वास्ते चौपायों की खालों से तुम्हारे लिए (हलके फुलके) डेरे (ख़ेमे) बना जिन्हें तुम हलका पाकर अपने सफर और हजर (ठहरने) में काम लाते हो और इन चारपायों की ऊन और रुई और बालो से एक वक्त ख़ास (क़यामत तक) के लिए तुम्हारे बहुत से असबाब और अबकार आमद (काम की) चीज़े बनाई |
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