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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1944 | 16 | 43 | وما أرسلنا من قبلك إلا رجالا نوحي إليهم فاسألوا أهل الذكر إن كنتم لا تعلمون |
| | | हमने तुमसे पहले भी पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजा था - जिनकी ओर हम प्रकाशना करते रहे है। यदि तुम नहीं जानते तो अनुस्मृतिवालों से पूछ लो |
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1945 | 16 | 44 | بالبينات والزبر وأنزلنا إليك الذكر لتبين للناس ما نزل إليهم ولعلهم يتفكرون |
| | | स्पष्ट प्रमाणों और ज़बूरों (किताबों) के साथ। और अब यह अनुस्मृति तुम्हारी ओर हमने अवतरित की, ताकि तुम लोगों के समक्ष खोल-खोलकर बयान कर दो जो कुछ उनकी ओर उतारा गया है और ताकि वे सोच-विचार करें |
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1946 | 16 | 45 | أفأمن الذين مكروا السيئات أن يخسف الله بهم الأرض أو يأتيهم العذاب من حيث لا يشعرون |
| | | फिर क्या वे लोग जो ऐसी बुरी-बुरी चालें चल रहे है, इस बात से निश्चिन्त हो गए है कि अल्लाह उन्हें धरती में धँसा दे या ऐसे मौके से उनपर यातना आ जाए जिसका उन्हें एहसास तक न हो? |
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1947 | 16 | 46 | أو يأخذهم في تقلبهم فما هم بمعجزين |
| | | या उन्हें चलते-फिरते ही पकड़ ले, वे क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले तो है नहीं? |
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1948 | 16 | 47 | أو يأخذهم على تخوف فإن ربكم لرءوف رحيم |
| | | क्या अल्लाह की पैदा की हुई किसी चीज़ को उन्होंने देखा नहीं कि किस प्रकार उसकी परछाइयाँ अल्लाह को सजदा करती और विनम्रता दिखाती हुई दाएँ और बाएँ ढलती है? |
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1949 | 16 | 48 | أولم يروا إلى ما خلق الله من شيء يتفيأ ظلاله عن اليمين والشمائل سجدا لله وهم داخرون |
| | | या वह उन्हें त्रस्त अवस्था में पकड़ ले? किन्तु तुम्हारा रब तो बड़ा ही करुणामय, दयावान है |
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1950 | 16 | 49 | ولله يسجد ما في السماوات وما في الأرض من دابة والملائكة وهم لا يستكبرون |
| | | और आकाशों और धरती में जितने भी जीवधारी है वे सब अल्लाह ही को सजदा करते है और फ़रिश्ते भी और वे घमंड बिलकुल नहीं करते |
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1951 | 16 | 50 | يخافون ربهم من فوقهم ويفعلون ما يؤمرون |
| | | अपने ऊपर से अपने रब का डर रखते है और जो उन्हें आदेश होता है, वही करते है |
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1952 | 16 | 51 | وقال الله لا تتخذوا إلهين اثنين إنما هو إله واحد فإياي فارهبون |
| | | अल्लाह का फ़रमान है, "दो-दो पूज्य-प्रभु न बनाओ, वह तो बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः मुझी से डरो।" |
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1953 | 16 | 52 | وله ما في السماوات والأرض وله الدين واصبا أفغير الله تتقون |
| | | जो कुछ आकाशों और धरती में है सब उसी का है। उसी का दीन (धर्म) स्थायी और अनिवार्य है। फिर क्या अल्लाह के सिवा तुम किसी और का डर रखोगे? |
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