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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
1938 | 16 | 37 | إن تحرص على هداهم فإن الله لا يهدي من يضل وما لهم من ناصرين |
| | | (ऐ रसूल) अगर तुमको इन लोगों के राहे रास्त पर जाने का हौका है (तो बे फायदा) क्योंकि ख़ुदा तो हरगिज़ उस शख़्श की हिदायत नहीं करेगा जिसको (नाज़िल होने की वजह से) गुमराही में छोड़ देता है और न उनका कोई मददगार है |
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1939 | 16 | 38 | وأقسموا بالله جهد أيمانهم لا يبعث الله من يموت بلى وعدا عليه حقا ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | (कि अज़ाब से बचाए) और ये कुफ्फार ख़ुदा की जितनी क़समें उनके इमकान में तुम्हें खा (कर कहते) हैं कि जो शख़्श मर जाता है फिर उसको ख़ुदा दोबारा ज़िन्दा नहीं करेगा (ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ ज़रुर ऐसा करेगा इस पर अपने वायदे की (वफा) लाज़िम व ज़रुरी है मगर बहुतेरे आदमी नहीं जानते हैं |
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1940 | 16 | 39 | ليبين لهم الذي يختلفون فيه وليعلم الذين كفروا أنهم كانوا كاذبين |
| | | (दोबारा ज़िन्दा करना इसलिए ज़रुरी है) कि जिन बातों पर ये लोग झगड़ा करते हैं उन्हें उनके सामने साफ वाज़ेए कर देगा और ताकि कुफ्फार ये समझ लें कि ये लोग (दुनिया में) झूठे थे |
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1941 | 16 | 40 | إنما قولنا لشيء إذا أردناه أن نقول له كن فيكون |
| | | हम जब किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करते हैं तो हमारा कहना उसके बारे में इतना ही होता है कि हम कह देते हैं कि 'हो जा' बस फौरन हो जाती है (तो फिर मुर्दों का जिलाना भी कोई बात है) |
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1942 | 16 | 41 | والذين هاجروا في الله من بعد ما ظلموا لنبوئنهم في الدنيا حسنة ولأجر الآخرة أكبر لو كانوا يعلمون |
| | | और जिन लोगों ने (कुफ्फ़ार के ज़ुल्म पर ज़ुल्म सहने के बाद ख़ुदा की खुशी के लिए घर बार छोड़ा हिजरत की हम उनको ज़रुर दुनिया में भी अच्छी जगह बिठाएँगें और आख़िरत की जज़ा तो उससे कहीं बढ़ कर है काश ये लोग जिन्होंने ख़ुदा की राह में सख्तियों पर सब्र किया |
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1943 | 16 | 42 | الذين صبروا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | और अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं (आख़िरत का सवाब) जानते होते |
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1944 | 16 | 43 | وما أرسلنا من قبلك إلا رجالا نوحي إليهم فاسألوا أهل الذكر إن كنتم لا تعلمون |
| | | और (ऐ रसूल) तुम से पहले आदमियों ही को पैग़म्बर बना बनाकर भेजा किए जिन की तरफ हम वहीं भेजते थे तो (तुम अहले मक्का से कहो कि) अगर तुम खुद नहीं जानते हो तो अहले ज़िक्र (आलिमों से) पूछो (और उन पैग़म्बरों को भेजा भी तो) रौशन दलीलों और किताबों के साथ |
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1945 | 16 | 44 | بالبينات والزبر وأنزلنا إليك الذكر لتبين للناس ما نزل إليهم ولعلهم يتفكرون |
| | | और तुम्हारे पास क़ुरान नाज़िल किया है ताकि जो एहकाम लोगों के लिए नाज़िल किए गए है तुम उनसे साफ साफ बयान कर दो ताकि वह लोग खुद से कुछ ग़ौर फिक्र करें |
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1946 | 16 | 45 | أفأمن الذين مكروا السيئات أن يخسف الله بهم الأرض أو يأتيهم العذاب من حيث لا يشعرون |
| | | तो क्या जो लोग बड़ी बड़ी मक्कारियाँ (शिर्क वग़ैरह) करते थे (उनको इस बात का इत्मिनान हो गया है (और मुत्तलिक़ ख़ौफ नहीं) कि ख़ुदा उन्हें ज़मीन में धसा दे या ऐसी तरफ से उन पर अज़ाब आ पहुँचे कि उसकी उनको ख़बर भी न हो |
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1947 | 16 | 46 | أو يأخذهم في تقلبهم فما هم بمعجزين |
| | | उनके चलते फिरते (ख़ुदा का अज़ाब) उन्हें गिरफ्तार करे तो वह लोग उसे ज़ेर नहीं कर सकते |
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