بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
19151614وهو الذي سخر البحر لتأكلوا منه لحما طريا وتستخرجوا منه حلية تلبسونها وترى الفلك مواخر فيه ولتبتغوا من فضله ولعلكم تشكرون
वही तो है जिसने समुद्र को वश में किया है, ताकि तुम उससे ताज़ा मांस लेकर खाओ और उससे आभूषण निकालो, जिसे तुम पहनते हो। तुम देखते ही हो कि नौकाएँ उसको चीरती हुई चलती हैं (ताकि तुम सफ़र कर सको) और ताकि तुम उसका अनुग्रह तलाश करो और ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ
19161615وألقى في الأرض رواسي أن تميد بكم وأنهارا وسبلا لعلكم تهتدون
और उसने धरती में अटल पहाड़ डाल दिए, कि वह तुम्हें लेकर झुक न पड़े। और नदियाँ बनाई और प्राकृतिक मार्ग बनाए, ताकि तुम मार्ग पा सको
19171616وعلامات وبالنجم هم يهتدون
और मार्ग चिन्ह भी बनाए और तारों के द्वारा भी लोग मार्ग पर लेते है
19181617أفمن يخلق كمن لا يخلق أفلا تذكرون
फिर क्या जो पैदा करता है वह उस जैसा हो सकता है, जो पैदा नहीं करता? फिर क्या तुम्हें होश नहीं होता?
19191618وإن تعدوا نعمة الله لا تحصوها إن الله لغفور رحيم
और यदि तुम अल्लाह की नेमतों (कृपादानों) को गिनना चाहो तो उन्हें पूर्ण-रूप से गिन नहीं सकते। निस्संदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
19201619والله يعلم ما تسرون وما تعلنون
और अल्लाह जानता है जो कुछ तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो
19211620والذين يدعون من دون الله لا يخلقون شيئا وهم يخلقون
और जिन्हें वे अल्लाह से हटकर पुकारते है वे किसी चीज़ को भी पैदा नहीं करते, बल्कि वे स्वयं पैदा किए जाते है
19221621أموات غير أحياء وما يشعرون أيان يبعثون
मृत है, जिनमें प्राण नहीं। उन्हें मालूम नहीं कि वे कब उठाए जाएँगे
19231622إلهكم إله واحد فالذين لا يؤمنون بالآخرة قلوبهم منكرة وهم مستكبرون
तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला प्रभु-पूज्य है। किन्तु जो आख़िरत में विश्वास नहीं रखते, उनके दिलों को इनकार है। वे अपने आपको बड़ा समझ रहे है
19241623لا جرم أن الله يعلم ما يسرون وما يعلنون إنه لا يحب المستكبرين
निश्चय ही अल्लाह भली-भाँति जानता है, जो कुछ वे छिपाते है और जो कुछ प्रकट करते है। उसे ऐसे लोग प्रिय नहीं, जो अपने आपको बड़ा समझते हो


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