بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
18891587ولقد آتيناك سبعا من المثاني والقرآن العظيم
(बड़ा दाना व बीना है) और हमने तुमको सबए मसानी (सूरे हम्द) और क़ुरान अज़ीम अता किया है
18901588لا تمدن عينيك إلى ما متعنا به أزواجا منهم ولا تحزن عليهم واخفض جناحك للمؤمنين
और हमने जो उन कुफ्फारों में से कुछ लोगों को (दुनिया की) माल व दौलत से निहाल कर दिया है तुम उसकी तरफ हरगिज़ नज़र भी न उठाना और न उनकी (बेदीनी) पर कुछ अफसोस करना और ईमानदारों से (अगरचे ग़रीब हो) झुककर मिला करो और कहा दो कि मै तो (अज़ाबे ख़ुदा से) सरीही तौर से डराने वाला हूँ
18911589وقل إني أنا النذير المبين
(ऐ रसूल) उन कुफ्फारों पर इस तरह अज़ाब नाज़िल करेगें जिस तरह हमने उन लोगों पर नाज़िल किया
18921590كما أنزلنا على المقتسمين
जिन्होंने क़ुरान को बॉट कर टुकडे टुकड़े कर डाला
18931591الذين جعلوا القرآن عضين
(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम
18941592فوربك لنسألنهم أجمعين
कि हम उनसे जो कुछ ये (दुनिया में) किया करते थे (बहुत सख्ती से) ज़रुर बाज़ पुर्स (पुछताछ) करेंगे
18951593عما كانوا يعملون
पस जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है उसे वाजेए करके सुना दो
18961594فاصدع بما تؤمر وأعرض عن المشركين
और मुशरेकीन की तरफ से मुँह फेर लो
18971595إنا كفيناك المستهزئين
जो लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते है
18981596الذين يجعلون مع الله إلها آخر فسوف يعلمون
और ख़ुदा के साथ दूसरे परवरदिगार को (शरीक) ठहराते हैं हम तुम्हारी तरफ से उनके लिए काफी हैं तो अनक़रीब ही उन्हें मालूम हो जाएगा


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